वर्गीकरण (रिव्यु) विशेषांक : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

जीवन में निष्पक्षता बेहद ही जरुरी विषय है ।
वर्गीकरण विषय को डिवीज़न बेंच से जब तक मुकदमा निर्णित नहीं था मैंने नहीं उठाया क्योंकि एकल बेंच ने बता दिया था कि पुराना विज्ञापन सर्विस रुल से नहीं था ।
डिवीज़न बेंच उसे जब सर्विस रुल से बताती तब ही उठा सकता था ।

इंटर कॉलेज के शिक्षकों पर दिया गया बड़ा आदेश : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News डिवीज़न बेंच ने जब ओल्ड ऐड को सर्विस रुल पर बताकर बहाल किया तब मैंने सर्विस रुल में वर्गीकरण न होने का मुद्दा उठाया ।
मुकदमा सुप्रीम कोर्ट तक गया ।
एकल बेंच ने गेम इज ओवर बताकर सुनने से इंकार किया ।
डिवीज़न बेंच में उसी जज से सामना हुआ जिसने एकल बेंच में ऐड को सर्विस रुल पर न पाकर रद्द किया था ।
आखिर वे हमें नैसर्गिक न्याय कैसे देते ?
उन्होंने पुनः अपने पुराने फैसले के
मद्देनजर DB द्वारा बहाल ऐड को सर्विस रुल पर आदेश होने के बावजूद
सर्विस रुल जैसा व्यवहार नहीं किया तथा संविधान के अनुच्छेद 15(3) के तहत वर्गीकरण को बता दिया तथा गेम इज ओवर बता दिया ।


बीएड की एक लाख 20 हजार सीटें खाली : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News हम सुप्रीम कोर्ट गये और सुप्रीम कोर्ट भी एजुकेशन लेने की बात समझकर याचिका ख़ारिज करना चाहती थी ।
हमने बताया कि यह नियुक्ति की प्रक्रिया है एजुकेशन देने की बात है ।
सहायक अध्यापक की भर्ती है सर्विस रुल से संपन्न होगी ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि DB ने तो सर्विस रुल की बात ही नहीं की है ।
गेम इज ओवर पर हमने बताया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है तो मान गये और रिट ख़ारिज नहीं की तथा कहा कि DB में जाकर आर्डर में यह स्पष्ट मेंशन करायें कि भर्ती सर्विस रुल पर है कि नहीं है ।
हम रिव्यु पर गये ।
आपको बताना चाहता हूँ कि रिव्यु में जाने के पहले मैंने आपको बताया था कि यदि मै न्यायमूर्ति श्री टंडन की जगह होता तो रिव्यु को हाईजैक कर लेता और सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद निर्णय करता ।
इसका कारण यह था कि DB में श्री अशोक भूषण ने भर्ती को सर्विस रुल पर बताया था लेकिन वह आदेश सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज है ।


माध्यमिक विद्यालयों में सृजित होंगे कंप्यूटर शिक्षकों के पद : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News अब जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो DB (न्यायमूर्ति श्री अरुण टंडन जी)
फैसला कैसे सुनाये ?
इसी लिए मैंने आपसे कहा था कि रिव्यु हाईजैक करता ।
आप लोगों की कृपा से रिव्यु दाखिल हुयी और न्यायमूर्ति ने वही किया जो मेरा दिल कह रहा था ।
इस प्रकार आप सबको मुझपर शंका हो गयी कि राहुल ने पहले ही कहा था कि मै केस को हाईजैक करता इसलिए स्वयं सुनवाई नहीं चाहते हैं ।
जबकि ऐसा नहीं है और सुनवाई भी चाहता हूँ ।
आप देखिये अपने तर्क का आपको सुबूत देता हूँ जब मुख्य न्यायमूर्ति डाक्टर साहब को पता चली कि शिक्षामित्र मामला सुप्रीम कोर्ट में उठ गया तो शिक्षामित्र सुनवाई की तारीख बढ़ा दी तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दे दिया ।
यदि सुप्रीम कोर्ट में नियमावली का 16(क) अर्थात संशोधन 19 चैलेंज न हुआ होगा तो डिवीज़न बेंच में उसका निपटारा होगा ।
इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट यदि पुराने विज्ञापन को सर्विस रुल पर बता देगी तो वर्गीकरण को ख़त्म करेगी
अन्यथा उसी आदेश को दिखाकर हम रिव्यु में वर्गीकरण ख़त्म करा देंगे ।
यदि सुप्रीम कोर्ट ने यह कह दिया कि ओल्ड ऐड सर्विस रुल पर नहीं है तो पुराना विज्ञापन स्वतः समूल नष्ट हो जायेगा ।
जस्टिस अशोक भूषण द्वारा ऐड को सर्विस रुल पर बताने के कारण ही मैंने वर्गीकरण मुद्दा उठाया बाकी यदि एकल बेंच ने सर्विस रुल पर न पाकर क्या किया था आपको बताने की जरुरत नहीं है ।
एक बात और स्पष्ट कर दूँ कि अशोक भूषण जी ने कहा था कि RTE एक्ट लागू था सर्विस रुल से हटकर ऐड आ ही नहीं सकता था ।
इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट की भी यह सोच रही तो वर्गीकरण ख़त्म होगा तथा सुप्रीम कोर्ट एकल बेंच के फैसले पर गयी तो चयनितों की सम्पूर्ण ट्रेनिंग व्यर्थ हो जायेगी ।
सम्पूर्ण बातें आपसे साझा की अतः हाय तौबा न मचायें ।
कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो स्वयं मुझसे बात करें ।
मै एक बात दावे के साथ कह सकता हूँ कि चयन का आधार सुप्रीम कोर्ट निर्णित करेगी परन्तु वर्गीकरण का फैसला मै कर चुका हूँ कि वर्गीकरण कदापि नहीं होगा ।

 
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