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शिक्षामित्रों के मामले में लापरवाही डिंपल को महंगी पड़ी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

लखनऊ (ब्यूरो)। वरिष्ठ आईएएस अफसर डिंपल वर्मा को शिक्षामित्रों के समायोजन से जुड़े मामले में लापरवाही महंगी पड़ गई। उन्हें सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने में दो महीने से ज्यादा वक्त लग गया, जिसे सरकार ने खराब परफॉर्मेंस माना।
हालांकि, वर्मा को हटाए जाने के संकेत शायद पहले ही मिल गए थे, इसलिए दो-तीन दिन से वे सचिवालय स्थित अपने दफ्तर में भी थोड़ी देर ही बैठ रही थीं।
हाईकोर्ट ने गत 12 सितंबर को शिक्षामित्रों के खिलाफ फैसला सुनाते हुए उनका समायोजन रद्द कर दिया था। अदालत का कहना था कि इनके मामले में राज्य सरकार ने उन नियमों को शिथिल कर दिया था, जिन पर कोई निर्णय लेने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के ही पास है। हालांकि, जब यह फैसला आया, उस वक्त प्राथमिक शिक्षा विभाग की कमान हीरालाल गुप्ता के पास थी। उनके रिटायर होने के बाद डिंपल वर्मा को प्रमुख सचिव (प्राथमिक शिक्षा) बनाया गया।
राज्य सरकार को उम्मीद थी कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने में वे तेजी दिखाएंगी, लेकिन शिक्षामित्रों के एक समूह और प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने राज्य सरकार से पहले सुप्रीम कोर्ट में जरूरी दस्तावेज जमा कर दिए। सूत्रों का कहना है, सरकार की अपेक्षा थी कि एसएलपी दायर करवाने को डिंपल ज्यादा समय दिल्ली में रहेंगी, लेकिन बीच-बीच में वे लखनऊ चली आईं। इन सब वजहों से भी एसएलपी दायर होने में देरी हुई। अंतत: इसका नतीजा उन्हें हटाने के रूप में सामने आया।

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