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17140/- का मामला पूरी तरह अधिकारियो द्वारा सरकार को गुमराह करने का मामला है, अन्यथा एक ही पद के लिए दो तरह का वेतन निर्धारित न होता.............

 छठें वेतन आयोग में पदोन्नति पर वेतन निर्धारण की व्यवस्था ने एक अजीब सी भेदभाव परक स्थिति पैदा की। शिक्षा विभाग में इस विसंगति को 17140 का नाम लेकर पुकारा जाता है।

वास्तव में पंचम वेतनमान में हर पद हेतु अलग स्तर के वेतनमान होते थे। जहाँ पदोन्नति या चयन वेतनमान की स्थिति में अगला वेतनमान मिलता था। तथा उक्त वेतनमान के न्यूनतनम से ज्यादा वेतन निर्धारित होने पर एक इन्क्रीमेंट दिया जाता था। और न्यूनतम से कम निर्धारित होने पर उक्त सीमा तक बढ़ा दिया जाता था।
जैसे 4500 से 5500 में पदोन्नति होने पर यदि वेतन 5500 से कम निर्धारित होता था। तो उसे 5500 तक बढ़ा दिया जाता था। छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन तीन कोटियों में बाँटा गया । पहला वेतन बैंड जैसे 9300 से 34800 दूसरा ग्रेड पे जो एक वेतन बैंड में कई होता था। जैसे 9300 से 34800 में 4200,4600, 4800 तीसरा बैंड पे जो प्रत्येक ग्रेड पे के सापेक्ष अलग अलग होता था।
जैसे 4200 के सापेक्ष 9300, 4600 के सापेक्ष 12540, व 4800 के सापेक्ष 13150 यहाँ यह विचारणीय है कि कोई भी भर्ती या पदोन्नति ग्रेड पे के सापेक्ष होती है ।और भर्ती के समय ग्रेड पे के साथ उक्त का न्यूनतम बैंड पे दे दिया जाता है। जिसे 4200 में भर्ती होने पर 9300 (13500) व 4600 में होने पर 12540 (17140) परन्तु पदोन्नति की स्थिति में एक ग्रेड पे से दूसरे ग्रेड पे में पदोन्नति होने पर ग्रेड पे तो मिल रहा है परन्तु उक्त ग्रेड पे का बैंड पे (जैसे 4600 का 12540) नहीं मिल रहा है।
विभाग द्वारा इसे न देने के पीछे का तर्क शासनादेश संख्या 1318 दिनांक 8/12/08 का प्रस्तर 11 है। जो एक ग्रेड पे से दूसरे ग्रेड पे में पदोन्नति का प्रावधान करता है। प्रस्तर 11 के अनुसार वर्तमान पद के वेतन में एक इन्क्रीमेंट लगाकर वर्तमान ग्रेड पे हटा लिया जायेगा यही पदोन्नति पद का बैंड पे होगा।
पुन: उसमें पदोन्नति पद का ग्रेड पे जोड़ दिया जाएगा।
यहाँ प्रस्तर 11 पदोन्नति पर एक इन्क्रीमेंट देने की बात तो करता है पर यह नहीं बताता की यदि उक्त इन्क्रीमेंट के बावजूद बैंड पे पदोन्नति पद हेतु निर्धारित ग्रेड पे से कम रह जाय तो क्या किया जाय???
विभागीय अधिकारियों की व्याख़्या व मनमानेपन से आज एक ही पद के लिए दो अलग अलग वेतन दिए जा रहे है ।
सoअo यूपीएस पद पर सीधी भर्ती से आने वाले के लिए 12540 व् 4600 (17140) दिया जा रहा है तो वही पदोन्नति से आने वाले को मात्र 4600 व् 12540 से कम बैंड पे। जो की विधिक व् नैतिक दोनों दृष्टियों से अनुचित है । आईये अब इसके विधिक पहलूओं पर दृष्टिपात करें ।
1 �� प्रथमतः छठें वेतन आयोग में यह विसंगति है कि यदि कोई पदधारक 2800 से 4200 ग्रेड पे में पदोन्नति प्राप्त करता है या 4800 से 5400 ग्रेड पे में पदोन्नति प्राप्त करता है तो उसे उक्त ग्रेड पे का न्यूनतम बैंड
पे दे दिया जाएगा। परंतु यदि वही पद धारक 4200 से 4600 में या 4600 से 4800 में पदोन्नति प्राप्त करता है तो उसे उक्त ग्रेड पे का न्यूनतम बैंड पे.(12540 या 13150) नहीं दिया जाएगा। यह व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद.14 का उल्लंघन है।
2 �� छठें वेतन आयोग में कही नहीं कहा गया है की पदोन्नति की स्थिति में किसी ग्रेड पे में पदोन्नति होने पर उक्त ग्रेड पे का न्यूनतम बैंड पे नहीं दिया जाएगा। बल्कि ये व्यवस्था की गयी है की पदोन्नति में पे बैंड
परिवर्तित होने पर उक्त पे बैंड का न्यूनतम यानि 2800 से 4200 में पदोन्नति.होने पर 9300 दिया जाएगा।
पुनः ये तर्क की पे बैंड परिवर्तित होने पर ही न्यूनतम मिलेगा गलत है क्योकि छठें वेतन आयोग को ये न देने की मंशा रही होती तो एक पे बैंड में अलग अलग ग्रेड पे का अलग अलग बैंड पे (जैसे 4200 का 9300 व् 4600 का.12540 तथा 4800 का 13150) न दिया गया होता।
अतः आयोग की मंशा एकदम स्पष्ट है कि प्रत्येक ग्रेड पे का अलग अलग न्यूनतम बैंड पे निर्धारित है जो उक्त पद को धारण करने वाले को मिलना है।
3 ��. विभाग द्वारा ये कहना है कि भर्ती (नियुक्ति/नए पद पर.कार्यभार ग्रहण) होने पर ग्रेड पे 4600 का न्यूनतम बैंड पे 12540 (17140) मिलेगा जबकि पदोन्नति (नए पद पर कार्यभार ग्रहण) होने पर उक्त पद के.ग्रेड पे 4600 का न्यूनतम बैंड पे 12540 नहीं मिलेगा बल्कि कम देय होगा।.या एक ही पद के लिए दो तरह का वेतन निर्धारित होगा जो की संविधान.के समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

4. �� जहाँ तक शिक्षा विभाग की बात है। अध्यापकों का वेतन छठे वेतन आयोग में 2800,4200,4800 निर्धारित हुआ जिसे 24/2/09को उच्चीकृत कर 4500-125-7000को 6500-200-10500 कर दिया गया इसी प्रकार 5500-175-9000 को 7450- 225-11000 कर दिया गया साथ ही यह कहा गया कि उच्चीकृत वेतन का निर्धारण 1/1/06 से काल्पनिक रूप से.किया जाएगा तथा वास्तविक भुगतान 1/12/08 से किया जाएगा।

और वेतन निर्धारण शासनादेश 1318 से किया जायेगा। उक्त प्रक्रिया के अनुसार 1/1/06 के पूर्व नियुक्त हर अध्यापक AT UPS का वेतन 6500 से कम था तथा atups का वेतन 7450 से कम था, अतः नियमानुसार उच्चीकरण के पश्चात वेतन निर्धारण उच्चीकृत वेतन के न्यूनतम यानि AT UPS हेतु 6500 से व् AT UPS हेतु 7450 में 1.86 का गुना करके होना था जो क्रमश 16290 व् 18460 होता। जो कि सीधी भर्ती के वेतन 13500 व 17140 दोनों से ज्यादा होता। 


परन्तु सरकार पद हेतु निर्धारित सीधी भर्ती के वेतन 13500 व् 17140 के बराबर करने के उद्देश्य से 7/09/09 को एक.फिटमेंट चार्ट जारी कर पदोन्नत अध्यापकों का वेतन सीधी भर्ती के.बराबर कर दिया।

किन्तु कालान्तर में AT UPS पद पर पदोन्नत अध्यापकों का वेतन सीधी भर्ती के वेतन के बराबर करने से इनकार कर दिया जो की एक विरोधाभास है। जब सरकार वेतन कम करने हेतु पदोन्नत अध्यापकों का वेतन सीधी भर्ती के वेतन.के बराबर कर सकती है।

तो वेतन ज्यादा (17140) करने के लिए क्यों नहीं कर
सकती। यह भी संविधान का उल्लंघन है।

5. �� यह की 1/1/6 से पूर्व पदोन्नत अध्यापक फिटमेंट चार्ट से व् 1/12/08 से पूर्व पदोन्नत अध्यापक विकल्प के आधार पर फिटमेंट चार्ट से (जबकि बिना फिटमेंट चार्ट के इनका वेतन 18460 होता) तथा 2015 में पदोन्नत अध्यापक 22बी से 17140 पा रहे है जबकि 1/12/08से 2014 की.मध्य पदोन्नत अध्यापक उन्हें न तो विकल्प से न ही 22बी से 17140 मिल पा रहा है ।

सारांशत : 17140 का मामला पूरी तरह अधिकारियो द्वारा सरकार को गुमराह करने का मामला है। अन्यथा एक ही पद के लिए दो तरह का वेतन निर्धारित न होता।
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