जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : देश के ज्यादातर राज्यों में प्राइमरी व
माध्यमिक शिक्षकों के साथ होने वाली ज्यादती का मामला बुधवार को संसद में
उठाया गया।
शिक्षकों को शिक्षण कार्य से अलग ड्यूटी लगाने को लेकर नाराजगी जताई गई।
यह मुद्दा उत्तर प्रदेश के चंदौली के सांसद डॉ.महेंद्रनाथ पांडेय ने लोकसभा में उठाया।
शून्यकाल के दौरान उठाए गए इस मसले में बताया गया कि जनगणना, मतदाता सूची के निर्धारण, पुनरीक्षण, सहकारिता, पंचायत व विभिन्न प्रकार के चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन, सरकार के अन्य अनेक कार्यक्रमों के संचालन में सामान्य तौर पर इन्हीं शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है।
इससे स्कूलों पठन-पाठन का कार्य बुरी तरह प्रभावित होता है। साल के छह महीने इन अध्यापकों की ड्यूटी ऐसे ही कार्यो में लगी रहती है।
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यह मुद्दा उत्तर प्रदेश के चंदौली के सांसद डॉ.महेंद्रनाथ पांडेय ने लोकसभा में उठाया।
शून्यकाल के दौरान उठाए गए इस मसले में बताया गया कि जनगणना, मतदाता सूची के निर्धारण, पुनरीक्षण, सहकारिता, पंचायत व विभिन्न प्रकार के चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन, सरकार के अन्य अनेक कार्यक्रमों के संचालन में सामान्य तौर पर इन्हीं शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है।
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