हाईकोर्ट ने अध्यापकों की नियुक्ति के मामले में दीवानी अदालत को सुनवाई का
क्षेत्रधिकार न होने की राज्य सरकार की दलील नामंजूर कर दी है। कोर्ट ने
कहा कि किसी मामले में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं होने पर
दीवानी अदालत को उसपर सुनवाई का क्षेत्रधिकार प्राप्त है।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डी वाई चंद्रचूड एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने दिया है। मामले के तथ्यों के अनुसार बलिया के आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सिवान कला में सत्यदेव पांडेय व चार अन्य सहायक अध्यापक के स्वीकृत पद पर नियुक्त हुए। डीआईओएस ने पहले इसे स्वीकृति दे दी लेकिन बाद में नियुक्ति से इनकार करते हुए विद्यालय प्रबंधन को नियुक्तियां रद्द करने का निर्देश दिया। चयनित अध्यापकों ने डीआईओएस के आदेश को दीवानी अदालत में चुनौती दी। दीवानी अदालत ने डीआईओएस के आदेश को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत मानते हुए रद्द कर दिया। इस आदेश के खिलाफ प्रबंधन की अपील भी खारिज हो गई। अध्यापकों को वेतन व एरियर का भुगतान हो गया लेकिन बलिया जिले में तदर्थ शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आने पर याचियों का वेतन फिर रोक दिया गया। नियुक्तियों की जांच के लिए गठित कमेटी ने याचियों की नियुक्ति को सही करार दिया। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने याचियों को ब्याज सहित वेतन व भत्ताें के भुगतान का निर्देश दिया। इस आदेश को विशेष अपील में चुनौती देते हुए कहा गया था कि डीआईओएस के आदेश पर दीवानी अदालत को सुनवाई का अधिकार नहीं है।
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यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डी वाई चंद्रचूड एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने दिया है। मामले के तथ्यों के अनुसार बलिया के आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सिवान कला में सत्यदेव पांडेय व चार अन्य सहायक अध्यापक के स्वीकृत पद पर नियुक्त हुए। डीआईओएस ने पहले इसे स्वीकृति दे दी लेकिन बाद में नियुक्ति से इनकार करते हुए विद्यालय प्रबंधन को नियुक्तियां रद्द करने का निर्देश दिया। चयनित अध्यापकों ने डीआईओएस के आदेश को दीवानी अदालत में चुनौती दी। दीवानी अदालत ने डीआईओएस के आदेश को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत मानते हुए रद्द कर दिया। इस आदेश के खिलाफ प्रबंधन की अपील भी खारिज हो गई। अध्यापकों को वेतन व एरियर का भुगतान हो गया लेकिन बलिया जिले में तदर्थ शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आने पर याचियों का वेतन फिर रोक दिया गया। नियुक्तियों की जांच के लिए गठित कमेटी ने याचियों की नियुक्ति को सही करार दिया। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने याचियों को ब्याज सहित वेतन व भत्ताें के भुगतान का निर्देश दिया। इस आदेश को विशेष अपील में चुनौती देते हुए कहा गया था कि डीआईओएस के आदेश पर दीवानी अदालत को सुनवाई का अधिकार नहीं है।
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