छह माह से अध्यक्ष व सदस्यों का इंतजार कर रहे उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में इस माह भी काम शुरू होने के आसार नहीं नजर आ रहे। आयोग में किसे भेजा जाए, इस पर राज्य सरकार अभी अनिर्णय की स्थिति में ही नजर आ रही है। हालांकि जितने आवेदन पत्र आए थे, उनकी स्क्रीनिंग का काम पूरा हो चुका है।
माना जा रहा है कि सरकार इस महत्वपूर्ण पद पर अपने किसी खास को ही बैठाना चाहती है, इसलिए विलंब हो रहा है। सपा सरकार में भर्ती करने वाली संस्थाओं के दिन बेहद खराब रहे।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग तीनों में ही अध्यक्षों की नियुक्तियां अवैध पाई गईं। लोक सेवा आयोग में अभी कुछ दिनों पहले तक कार्यवाहक अध्यक्ष से काम चलाया जा रहा था, अब स्थायी अध्यक्ष मिल गया है। इसी तरह लंबे समय बाद चयन बोर्ड में स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति की गई। दोनों जगह कुछ काम होता नजर भी आ रहा है लेकिन उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के दिन नहीं बहुर रहे। 1इस आयोग के जरिए सपा सरकार अब तक एक भी नियुक्ति नहीं कर पाई है जबकि चार साल पूरे हो चुके हैं। पहले यहां कार्यवाहक अध्यक्ष रामवीर सिंह यादव से काम चलाया जा रहा था लेकिन उनकी नियुक्ति हाईकोर्ट ने अवैध पाई। इसके बाद जुलाई माह में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एलबी पांडेय को भेजा गया लेकिन वह महज दो माह ही रह सके।
उनकी नियुक्ति भी कोर्ट ने रद कर दी। इससे पहले तीन सदस्यों की नियुक्ति रद की जा चुकी थी। फिलहाल आयोग का काम ठप पड़ा है। असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा के परिणाम भी अटके पड़े हैं। अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति के बाद ही इस भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है। अभ्यर्थियों ने जल्द नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। उधर शासन स्क्रीनिंग के बाद खामोशी धारण किए बैठा है। अब तक आयोगों में सरकार के चहेतों की ही नियुक्तियां होती रही हैं। उच्चतर शिक्षा के लिए ऐसे लोगों को खोजने में मुश्किल आ रही है।
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माना जा रहा है कि सरकार इस महत्वपूर्ण पद पर अपने किसी खास को ही बैठाना चाहती है, इसलिए विलंब हो रहा है। सपा सरकार में भर्ती करने वाली संस्थाओं के दिन बेहद खराब रहे।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग तीनों में ही अध्यक्षों की नियुक्तियां अवैध पाई गईं। लोक सेवा आयोग में अभी कुछ दिनों पहले तक कार्यवाहक अध्यक्ष से काम चलाया जा रहा था, अब स्थायी अध्यक्ष मिल गया है। इसी तरह लंबे समय बाद चयन बोर्ड में स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति की गई। दोनों जगह कुछ काम होता नजर भी आ रहा है लेकिन उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के दिन नहीं बहुर रहे। 1इस आयोग के जरिए सपा सरकार अब तक एक भी नियुक्ति नहीं कर पाई है जबकि चार साल पूरे हो चुके हैं। पहले यहां कार्यवाहक अध्यक्ष रामवीर सिंह यादव से काम चलाया जा रहा था लेकिन उनकी नियुक्ति हाईकोर्ट ने अवैध पाई। इसके बाद जुलाई माह में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एलबी पांडेय को भेजा गया लेकिन वह महज दो माह ही रह सके।
उनकी नियुक्ति भी कोर्ट ने रद कर दी। इससे पहले तीन सदस्यों की नियुक्ति रद की जा चुकी थी। फिलहाल आयोग का काम ठप पड़ा है। असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा के परिणाम भी अटके पड़े हैं। अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति के बाद ही इस भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है। अभ्यर्थियों ने जल्द नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। उधर शासन स्क्रीनिंग के बाद खामोशी धारण किए बैठा है। अब तक आयोगों में सरकार के चहेतों की ही नियुक्तियां होती रही हैं। उच्चतर शिक्षा के लिए ऐसे लोगों को खोजने में मुश्किल आ रही है।
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