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Exclusive: यूपी के ये विधायक पढ़े-लिखे समझदार नहीं बल्कि खतरनाक हैं

सौरभ शर्मा, नोएडा। जब भी चुनावों का मौसम आता है तो कर्इ बातों के अलावा इस बात की भी चर्चा की जाती है कि कैंडीडेट की एजुकेशन कितनी है? जनता की बातों को विधानसभा तक ठीक से पहुंचा भी पाएगा या नहीं?
इन्हीं बातों को दखते हुए हरियाणा में पंचायत चुनावों तक में कैंडीडेट की मिनिमम क्वालिफिकेशन को ग्रेजुएट कर दिया गया। ताकि गांवों तक विकास विकसित दिमाग, ऊंची सोच के साथ हो सके। अब बारी यूपी विधानसभा चुनावों की है। इससे पहले बात आगे बढ़ाए तो चुनाव आयोग की कुछ आंकड़ों पर नजर दौैड़ना काफी जरूरी है।

आंखें खोल देने वाले आंकड़े

- यूपी में कुल दागी विधायकः 186

- दागी विधायकों पर केस दर्जः 635

- ग्रेजुएट आैर उससे ज्यादा शिक्षित विधायकः 239

- दागी विधायकों में ग्रेजुएट आैर उससे ज्यादा शिक्षितः 108

- ग्रेजुएट आैर उससे ज्यादा शिक्षित दागी विधायकों पर केसः 333

क्या वाकर्इ शिक्षा विधायक चुनने का सही पैमाना

इन आंकड़ों को देखने के बाद एक सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या अपने विधायक को चुनने का सही पैैमाना शिक्षा है? इन आंकड़ों को देखने के बाद तो एेसा बिल्कुल भी नहीं लगता है, क्योंकि इन दागी विधायकों में कुछ एेसे विधायक भी हैं जिन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट से लेकर डाॅक्टरेट मानद उपाधि तक मिली हुर्इ है।


पार्टियों की बनती है जिम्मदेारी

वेस्ट यूपी के राजनीतिक गुरु वरिष्ठ नेता पंडित जयनारायण शर्मा का कहना है कि ये बात काफी विचित्र है कि एक कैंडीडेट शिक्षित भी हो आैर चरित्र का दागी भी। आज के संदर्भ में बात करें तो पब्लिक किसी कैंडीडेट को नहीं बल्कि पार्टी के मैनिफेस्टो को देखकर वोट करती है। एेसे में बेहतर मेनिफेस्टो वाली पार्टी के विधायक भी जीत जाते हैं, लेकिन पार्टियों की भी जिम्मेदारी है कि वह एेसे लोगों को चुनावी मैदान में उतारे, जो पढ़ा-लिखा होने के साथ ही चरित्र में भी साफ आैर स्वच्छ हो।

पूर्व डीजीपी ने कहा, एेसे लोगों की होनी चाहिए जांच

इस बारे में जब यूपी के पूर्व डीजीपी एके जैन से बात की गर्इ तो उन्होंने कहा, जनप्रतिनिधियाें का शिक्षित होना काफी जरूरी है। खासकर सांसद आैर विधायकों के कैंडीडेट के लिए तो क्राइटेरिया जरूर होना चाहिए। उसके बाद भी पढ़े-लिखे विधायक क्राइम की आेर अग्रसर होते हैं तो उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए आैर कार्रवार्इ होनी चाहिए।


हर बार उठती है मांग

जब भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव आते हैं तो हर बार चुनाव लड़ने के लिए शिक्षा का भी क्राइटेरिया सेट करने की बात कही जाती है। कहा जाता है कि शिक्षित समाज में एेसे जनप्रतिनिधि आने चाहिए जो शिक्षित हों। उन्हें लोकल पाॅलीटिक्स से लेकर इंटरनेशनल पाॅलीटिक्स की पूरी जानकारी हो। वो विदेशों में चल रही तकनीकों को अपने प्रदेश आैर देश में अप्लार्इ कर प्रदेश आैर देश का विकास कर सकें। लेकिन पाॅलिटिक्स में शिक्षा का असर इतना विपरीत दिखार्इ देगा, इस बात का अंदाजा किसी को भी नहीं होगा।

पीजी आैर डाॅक्टरेट होते हुए क्रिमिनल

यूपी में कुछ एेसे भी विधायक हैं, जिनके पास पोस्ट ग्रेजुएट आैर डाॅक्टरेट उपाधि होने के बाद भी उन पर पुलिस रिकाॅर्ड में क्रिमिनल केस दर्ज हैं। अयोध्या विधानसभा सीट से विधायक तेज नारायण की एजुकेशन पोस्ट ग्रेजुएट हैं, लेकिन यूपी पुलिस रिकाॅर्ड में उनके नाम पर आठ मामले भी दर्ज हैं। गंगोह विधायक प्रदीप कुमार पोस्ट ग्रेजुएट हैं आैर उन पर पांच क्रिमिनल केस हैं। वहीं, डाॅ. मो. अयुब खलीलाबाद के विधायक हैं आैर पोस्ट ग्रेजुएट होकर भी इनके उपर सात मामले दर्ज हैं। तमखुहीराज के विधायक पोस्ट ग्रेजुएट होते भी अजय कुमार के उपर 12 पुलिस केस दर्ज हैं।

पढ़ी-लिखी महिलाएं भी शामिल

सिर्फ पढ़े-लिखे पुरुष विधायक ही दागी नहीं हैं। इनमें कुछ महिलाएं भी शामिल हैं। उरर्इ की मधुबाला पर एक, बख्शी का तालाब की गोमती देवी पर दो, बलहा की सावित्रि फूूले पर छह आदि महिला विधायकों पर मुकदमे दर्ज हैं। इन सभी महिलाआें की एजुकेशन ग्रेजुएशन है। वहीं, लखनऊ कैंट की विधायक डाॅ. रीता जोशी पर दो आैर वाराणसी कैंट की विधायक ज्योत्सना श्रीवास्तव पर एक मुकदमा दर्ज है। ताज्जुब की बात तो ये है कि दोनों को ही डाॅक्टरेट की मानद उपाधि मिली हुर्इ है।

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