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7th pay commission : सातवें वेतन आयोग में खुद को ठगा महसूस कर रहे शिक्षक

जासं, इलाहाबाद : केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार हमेशा शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए लंबी-लंबी बातें करती हैं मगर जब शिक्षकों के वेतन बढ़ाने या सुविधाओं को देने की बात आती है, तो अपनी मुट्ठी भींच लेते हैं।

भला हो, छठे वेतन आयोग का जिसने शिक्षकों का ख्याल रखा। नहीं तो सातवें वेतन आयोग में शिक्षकों के लिए कुछ भी नहीं है। यह बातें राजकीय इंटर कॉलेज में शिक्षकों के बीच तब हुई, जब दोपहर में शिक्षक प्रिंसिपल के कमरे में एकत्रित हुए।1चाय की चुस्कियों के साथ सातवें वेतन आयोग पर जोरदार बहस शुरू हुई तो एक बार को प्रिंसिपल के कमरे में आवाज गूंज उठी। जीआइसी के प्रधानाचार्य रणवीर सिंह ने शिक्षकों को शांत कराया। बोले कि चर्चा कीजिये। 
थोड़ा धैर्य रखकर। आपका गुस्सा वाजिब है। इतने में सातवें वेतन आयोग से नाराज उप्र राजकीय शिक्षा संघ के प्रांतीय महामंत्री व शिक्षक रवि भूषण यादव बोले कि छठें वेतन आयोग में केंद्रीय विद्यालय के अध्यापकों को अलग वेतनमान दिया था, जिसका फायदा प्रदेश के शिक्षकों को भी मिला। शिक्षकों को कर्मचारियों से अलग मानते हुए उच्च वेतनमान दिया गया था मगर सातवें वेतन आयोग में ऐसा प्रावधान नहीं किया गया है। जो शिक्षकों के भविष्य के लिए घातक साबित होगा। गरम बहस में शिक्षक प्रभाकर त्रिपाठी भी कूद पड़े। बोले कि सातवें पे कमीशन में 18 प्रस्तर दिए गए हैं, किन्तु चयन एव प्रोन्नत वेतनमान का जिक्र नहीं है, जबकि छठे पे कमीशन में इसकी व्यवस्था थी। बात यहीं पर खत्म नहीं हुई। बोले कि शिक्षकों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारण की व्यवस्था सातवें वेतन आयोग में नहीं की गई है, जबकि छठे वेतन आयोग में उन सभी का स्पष्ट उल्लेख था। शिक्षक रणजीत पटेल बोले कि सातवें वेतन आयोग में हमारे लिए कुछ भी नहीं है। शिक्षकों को क्लर्क की भांति देखा जा रहा है। प्रवक्ता डॉ. रामधीरज शुक्ल भी अपने जज्बातों पर काबू नहीं कर पाए। बोले कि जब-जब केंद्र में भाजपा की सरकार आती है तब-तब कर्मचारियों को नुकसान होता है। पहले पेंशन खत्म की। और अब वेतन आयोग में कुछ नहीं दिया। प्रधानाचार्य रणवीर सिंह ने चर्चा का विराम देने का प्रयास किया। बोले कि अब तो वेतन आयोग आ गया है, जो मिला है उसमें संतोष करना होगा। हमें पठन-पाठन पर जोर देने की जरूरत है। ताकि यहां के जो भी छात्र निकलें, देश में हमारा और इलाहाबाद का नाम रोशन करें। इसके बाद सभी शिक्षक अपनी-अपनी कक्षा में चले गए।

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