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इस बार भी बीटीसी की सीटें भरने के आसार नहीं, 21 सितंबर तक प्रदेश की 82 हजार सीटें भरने का है लक्ष्य

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेसिक टीचर्स सर्टिफिकेट (बीटीसी)-2015 में इस बार भी सभी सीटें भरने के आसार नहीं है। इसके लिए काउंसिलिंग एवं प्रवेश की प्रक्रिया साथ-साथ चल रही है लेकिन अभी सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की ही सीटें नहीं भर पाई हैं।
निजी कालेजों की स्थिति तो और भी खराब है। बीटीसी-2014 की भी लगभग तीस प्रतिशत सीटें खाली रह गई थीं।

बीटीसी 2015 के लिए ऑनलाइन आवेदन लेने के बाद काउंसिलिंग और प्रवेश शुरू हुआ है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने पिछले वर्षो की स्थिति देखते हुए इस बार कई नियमों में ढील दी है। मसलन, डायट प्राचार्य सामान्य वर्ग की सीटों के सापेक्ष 30 गुना एवं आरक्षित वर्ग की सीटों के सापेक्ष 50 गुना अभ्यर्थी बुला सकते हैं। वह चाहें तो समय पर प्रवेश पूरा करने के लिए मनचाहा कटऑफ भी घोषित किया जा सकता है। इतने के बाद भी प्रवेश उस रफ्तार से नहीं हो पा रहे हैं कि 21 सितंबर तक सभी सीटें भर जाएं।
इस बार प्रदेश में बीटीसी की सीटें बढ़कर 82 हजार से अधिक हो गई हैं, जबकि पिछली बार 60 हजार थीं। इस बार आवेदकों की संख्या भी लगभग चालीस फीसद कम है। करीब तीन लाख 65 हजार दावेदार काउंसिलिंग करा रहे हैं। जिन जिलों में निजी कालेजों की संख्या अधिक है वहां पर कटऑफ काफी कम घोषित किया गया है, ताकि सीटें जल्द भर जाएं। फिर भी आगरा, मेरठ, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर आदि तमाम जिलों में भीड़ नहीं जुट रही है। इसकी वजह यह है युवा घर के करीब वाले जिलों में ही प्रवेश लेने के इच्छुक हैं। वहीं डायट प्राचार्यो की मजबूरी यह है वे काउंसिलिंग कराने वालों को ही प्रवेश दे सकते हैं। तेजी से कटऑफ गिराने पर अलग तरह का संकट है। अफसर कहते हैं कि यदि बाद में अधिक मेरिट वाले प्रवेश पाने की दावेदारी करेंगे तो कम मेरिट वालों को कहां समायोजित करेंगे, जिन्हें वह प्रवेश दे चुके हैं। इसलिए कटऑफ चरणबद्ध तरीके से ही कम किया जाएगा। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के रजिस्ट्रार नवल किशोर ने बताया कि गोरखपुर में पचास प्रतिशत सीटें भर गई हैं। यही हाल अन्य जिलों का भी है। बोले, तय समय में सभी सीटें भर जाएंगी।

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