इस सरकार में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक भर्ती विवाद में अब कुछ नही होगा क्योंकि आचार संहिता
लगने के बाद तकनीकी रूप से सरकार अस्तित्व में तो रहती है लेकिन कोई भी नीतिगत निर्णय लेने का उसे
अधिकार नहीं रहता,,,,, 24 अगस्त के आदेश में कोर्ट ने सरकार से दो काम करने को कहा है...
में जो भी कहना हो वो
एक महीने के भीतर
लिखकर दे जाओ,,
(2)या तो 7 दिसंबर और
24 फरवरी के आदेश का
अनुपालन करो या उसके
अनुपालन में आ रही
समस्याओं को लेकर 5
अक्टूबर को पेश हो ,,,,
अब तक सभी लोग समझ
चुके होंगे कि सरकार
दोनों ही मामलों में कुछ
ना करके गेंद वापस
कोर्ट के पाले में डालकर
चुनावों की तैयारी
करेगी ,,,,, ऐसी स्थिति
में याची मामले में
न्यायमूर्ति दीपक
मिश्रा के पास सिर्फ
एक ही विकल्प बचता है
और वो है चुनावों के बाद
बनने वाली सरकार का
इन्तजार करके गेंद उसके
पाले में डालना ,,,,
शिक्षामित्र मामले में
जज साहब के पास दो
विकल्प हैं ,,, या तो वो
इस मामले में भी वही करें
जो याची मामले में करें,,,
या फिर शिक्षामित्रों
को बाहर का रास्ता
दिखा दें ,,,,,, यदि
मिश्रा जी दूसरा
विकल्प अपनाते हैं तो
याचियों की उम्मीद
जीवित रहेगी और यदि
पहला विकल्प अपनाते हैं
तो शिक्षामित्रों के
लिए शुभ संकेत होगा
क्योंकि चुनावों के बाद
बनने वाली सरकार
किसी भी दल की हो वो
संगठित शिक्षामित्रों
के विरुद्ध नही जायेगी
,,,, नई सरकार
शिक्षामित्रों को
सहायक अध्यापक तो
नही बनाए रख पाएगी
लेकिन उनके मूल पद पर
वापस भेजकर मानदेय
अवश्य बढ़ा देगी ,,,
यदि कोई व्यक्ति कोर्ट
में कुछ करना ही चाहता
हो तो येन-केन-प्रकारे
ण 23 नवम्बर को
शिक्षामित्रों के
समायोजन को रद्द करने
वाले आदेश पर लगे स्टे के
विरुद्ध वकील खड़ा करे
और चुनावों से पूर्व ही
उनको निपटाने के लिए
प्रयास करे ,,,,,,, यदि 5
अक्टूबर को 72825 केस
पुनः शिक्षामित्र केस के
साथ टैग हो गया तो
समझो आधा काम हो
गया परन्तु रणनीति
बनाते समय यह ध्यान
रहे कि तदर्थ आधार पर
नियुक्त लोग अपनी
तदर्थ आधार वाली जॉब
को मजबूती प्रदान करने
की उम्मीद में
शिक्षामित्रों की
घनघोर समर्थक सपा
सरकार से मिल चुके हैं
इसलिए उनसे यह उम्मीद
बिलकुल भी मत करना
कि वो अपने द्वारा
हायर किये वकीलों से
शिक्षामित्रों के
विरुद्ध कोर्ट में एक भी
शब्द कहलवायेंगे ,,,
रही बात 728रही बात 72825 में
चयनित और तदर्थ आधार
पर नियुक्त लोगों
द्वारा याचियों के
लिये, याचियों के रुपयों
से हायर किये ,अपने से हायर किये ,अपने चुने
और अपने द्वारा ब्रीफ
किये वकील को 5
अक्टूबर को खड़ा करने
की योजना की तो यदि
यह सफल हो गयी तो
याचियों का सर्वनाश
होना निश्चित है ,,,,,
याचीगण अभी गणेश भाई
और परम प्रिय पाठक
की प्रतिभा से अच्छी
तरह वाकिफ नहीं हैं ,,,,
24 को जो हुआ वो मैंने
पहले ही बता दिया था
,, 5 को जो करने की
कोशिश हो रही है वो
भी समय रहते
सार्वजनिक कर दिया
,,,,, इससे ज्यादा
फिलहाल याचियों के
हित में कुछ नही किया
जा सकता....
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
लगने के बाद तकनीकी रूप से सरकार अस्तित्व में तो रहती है लेकिन कोई भी नीतिगत निर्णय लेने का उसे
अधिकार नहीं रहता,,,,, 24 अगस्त के आदेश में कोर्ट ने सरकार से दो काम करने को कहा है...
- 72825 : एक निश्चित रणनीति के तहत कार्य करना होगा वरना इस मुद्दे का पटाक्षेप संभव नहीं
- हम सब मिलकर समाजवाद की कब्र खोद देंगे, एक बार फिर से षड्यंत्र का कुचक्र रचने का प्रयास
- 05 अक्टूबर निर्णायक तिथि होगी , सभी बीएड टेट वालो का सुनहरा भविष्य लेकर आयगी 05 अक्टूबर
- सुप्रीमकोर्ट मे चल रहे केस की सुनवाई में मजबूती पैरवी करेगा शिक्षामित्र संघ, अन्य समस्याएँ बाद में होंगी निस्तारित
- शिक्षामित्रो की ट्रेनिंग भी रद्द कराने की तैयारी , सुप्रीम कोर्ट मे एसएलपी दायर : हिमांशु राणा
में जो भी कहना हो वो
एक महीने के भीतर
लिखकर दे जाओ,,
(2)या तो 7 दिसंबर और
24 फरवरी के आदेश का
अनुपालन करो या उसके
अनुपालन में आ रही
समस्याओं को लेकर 5
अक्टूबर को पेश हो ,,,,
अब तक सभी लोग समझ
चुके होंगे कि सरकार
दोनों ही मामलों में कुछ
ना करके गेंद वापस
कोर्ट के पाले में डालकर
चुनावों की तैयारी
करेगी ,,,,, ऐसी स्थिति
में याची मामले में
न्यायमूर्ति दीपक
मिश्रा के पास सिर्फ
एक ही विकल्प बचता है
और वो है चुनावों के बाद
बनने वाली सरकार का
इन्तजार करके गेंद उसके
पाले में डालना ,,,,
शिक्षामित्र मामले में
जज साहब के पास दो
विकल्प हैं ,,, या तो वो
इस मामले में भी वही करें
जो याची मामले में करें,,,
या फिर शिक्षामित्रों
को बाहर का रास्ता
दिखा दें ,,,,,, यदि
मिश्रा जी दूसरा
विकल्प अपनाते हैं तो
याचियों की उम्मीद
जीवित रहेगी और यदि
पहला विकल्प अपनाते हैं
तो शिक्षामित्रों के
लिए शुभ संकेत होगा
क्योंकि चुनावों के बाद
बनने वाली सरकार
किसी भी दल की हो वो
संगठित शिक्षामित्रों
के विरुद्ध नही जायेगी
,,,, नई सरकार
शिक्षामित्रों को
सहायक अध्यापक तो
नही बनाए रख पाएगी
लेकिन उनके मूल पद पर
वापस भेजकर मानदेय
अवश्य बढ़ा देगी ,,,
यदि कोई व्यक्ति कोर्ट
में कुछ करना ही चाहता
हो तो येन-केन-प्रकारे
ण 23 नवम्बर को
शिक्षामित्रों के
समायोजन को रद्द करने
वाले आदेश पर लगे स्टे के
विरुद्ध वकील खड़ा करे
और चुनावों से पूर्व ही
उनको निपटाने के लिए
प्रयास करे ,,,,,,, यदि 5
अक्टूबर को 72825 केस
पुनः शिक्षामित्र केस के
साथ टैग हो गया तो
समझो आधा काम हो
गया परन्तु रणनीति
बनाते समय यह ध्यान
रहे कि तदर्थ आधार पर
नियुक्त लोग अपनी
तदर्थ आधार वाली जॉब
को मजबूती प्रदान करने
की उम्मीद में
शिक्षामित्रों की
घनघोर समर्थक सपा
सरकार से मिल चुके हैं
इसलिए उनसे यह उम्मीद
बिलकुल भी मत करना
कि वो अपने द्वारा
हायर किये वकीलों से
शिक्षामित्रों के
विरुद्ध कोर्ट में एक भी
शब्द कहलवायेंगे ,,,
रही बात 728रही बात 72825 में
चयनित और तदर्थ आधार
पर नियुक्त लोगों
द्वारा याचियों के
लिये, याचियों के रुपयों
से हायर किये ,अपने से हायर किये ,अपने चुने
और अपने द्वारा ब्रीफ
किये वकील को 5
अक्टूबर को खड़ा करने
की योजना की तो यदि
यह सफल हो गयी तो
याचियों का सर्वनाश
होना निश्चित है ,,,,,
याचीगण अभी गणेश भाई
और परम प्रिय पाठक
की प्रतिभा से अच्छी
तरह वाकिफ नहीं हैं ,,,,
24 को जो हुआ वो मैंने
पहले ही बता दिया था
,, 5 को जो करने की
कोशिश हो रही है वो
भी समय रहते
सार्वजनिक कर दिया
,,,,, इससे ज्यादा
फिलहाल याचियों के
हित में कुछ नही किया
जा सकता....
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