निजी बीटीसी कॉलेजों के एक चौथाई प्रशिक्षु बगैर क्लास किए ही डिग्री पा रहे हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। निजी बीटीसी कॉलेजों में पढ़ाई की गुणवत्ता परखने के लिए एससीईआरटी ने सूबे के 28 जिलों के 71 कॉलेजों में सर्वे किया।
इसमें 142 कक्षाओं के 288 प्रशिक्षुओं और 142 शिक्षकों को शामिल किया गया। इस दौरान 71 डायट प्रिंसिपल्स का इंटरव्यू भी लिया गया। फील्ड विजिट केवल लखनऊ के कॉलेजों में की गई।
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार निजी बीटीसी कॉलेजों में 25.4 फीसदी स्टूडेंट्स कक्षा से गैरहाजिर रहते हैं। यही नहीं, इन कॉलेजों के 14.1 प्रतिशत शिक्षक भी गैरहाजिर रहते हैं। स्टूडेंट्स और टीचर्स की गैरहाजिरी को रिपोर्ट में सबसे बड़ी चुनौती करार दिया गया है।
58.70 फीसदी कॉलेजों में बायोमीट्रिक सिस्टम नहीं
रिपोर्ट के अनुसार, 58.70 फीसदी निजी बीटीसी कॉलेजों में बायोमीट्रिक सिस्टम ही नहीं लगा है। इस वजह से यह पता लगाना संभव नहीं होता है कि कौन से प्रशिक्षु लगातार गैरहाजिर रह रहे हैं। बायोमीट्रिक सिस्टम न होने से फैकल्टी की गैरहाजिरी की वजह का भी पता नहीं चल पाता।
बिना क्लास प्लान के आते हैं 59.2 फीसदी शिक्षक
सर्वे के अनुसार, निजी बीटीसी कॉलेजों में 59.2 फीसदी शिक्षक बगैर क्लास प्लान के आते हैं। सतत मूल्यांकन के बारे में उनकी जानकारी बेहद कम है।
कंप्यूटर तकनीक का उपयोग भी न के बराबर होता है। महज 10.2 फीसदी निजी बीटीसी कॉलेजों में पढ़ाई के दौरान इन्फॉर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) का उपयोग होता है।
हालात सुधारने को दिए सुझाव
आईसीटी का उपयोग अनिवार्य हो।
डायट निजी कॉलेजों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करे।
ट्रेनिंग के लिए मानकों का निर्धारण किया जाए।
नॉलेज शेयर की जाए।
डायट निजी कॉलेजों में प्रशिक्षण में प्रभावी भूमिका निभाए।
सरकारी और निजी संस्थानों को आपस में जोड़ने की कोशिश की जाए।
जिला स्तर पर प्रशिक्षण के लिए रिसोर्स सेंटर की स्थापना की जाए।
28 जिलों में सर्वे
लखनऊ, गोंडा, फैजाबाद, सुल्तानपुर, आगरा, फीरोजाबाद, मथुरा, बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, बागपत, गौतम बुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ, झांसी, बांदा, इटावा, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, गोरखपुर, इलाहाबाद, फतेहपुर, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, बस्ती और मऊ।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
इसमें 142 कक्षाओं के 288 प्रशिक्षुओं और 142 शिक्षकों को शामिल किया गया। इस दौरान 71 डायट प्रिंसिपल्स का इंटरव्यू भी लिया गया। फील्ड विजिट केवल लखनऊ के कॉलेजों में की गई।
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार निजी बीटीसी कॉलेजों में 25.4 फीसदी स्टूडेंट्स कक्षा से गैरहाजिर रहते हैं। यही नहीं, इन कॉलेजों के 14.1 प्रतिशत शिक्षक भी गैरहाजिर रहते हैं। स्टूडेंट्स और टीचर्स की गैरहाजिरी को रिपोर्ट में सबसे बड़ी चुनौती करार दिया गया है।
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58.70 फीसदी कॉलेजों में बायोमीट्रिक सिस्टम नहीं
रिपोर्ट के अनुसार, 58.70 फीसदी निजी बीटीसी कॉलेजों में बायोमीट्रिक सिस्टम ही नहीं लगा है। इस वजह से यह पता लगाना संभव नहीं होता है कि कौन से प्रशिक्षु लगातार गैरहाजिर रह रहे हैं। बायोमीट्रिक सिस्टम न होने से फैकल्टी की गैरहाजिरी की वजह का भी पता नहीं चल पाता।
बिना क्लास प्लान के आते हैं 59.2 फीसदी शिक्षक
सर्वे के अनुसार, निजी बीटीसी कॉलेजों में 59.2 फीसदी शिक्षक बगैर क्लास प्लान के आते हैं। सतत मूल्यांकन के बारे में उनकी जानकारी बेहद कम है।
कंप्यूटर तकनीक का उपयोग भी न के बराबर होता है। महज 10.2 फीसदी निजी बीटीसी कॉलेजों में पढ़ाई के दौरान इन्फॉर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) का उपयोग होता है।
हालात सुधारने को दिए सुझाव
आईसीटी का उपयोग अनिवार्य हो।
डायट निजी कॉलेजों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करे।
ट्रेनिंग के लिए मानकों का निर्धारण किया जाए।
नॉलेज शेयर की जाए।
डायट निजी कॉलेजों में प्रशिक्षण में प्रभावी भूमिका निभाए।
सरकारी और निजी संस्थानों को आपस में जोड़ने की कोशिश की जाए।
जिला स्तर पर प्रशिक्षण के लिए रिसोर्स सेंटर की स्थापना की जाए।
28 जिलों में सर्वे
लखनऊ, गोंडा, फैजाबाद, सुल्तानपुर, आगरा, फीरोजाबाद, मथुरा, बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, बागपत, गौतम बुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ, झांसी, बांदा, इटावा, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, गोरखपुर, इलाहाबाद, फतेहपुर, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, बस्ती और मऊ।
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