इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाता राजकीय स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए यूपी बोर्ड के इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय में रिकार्ड बदले जाने का खुलासा होने के बाद पुरानी भर्तियों पर भी सवाल उठने लगे हैं।
2010 और 2012 में हुई एलटी ग्रेड भर्तियों को लेकर उंगली उठ रही है क्योंकि उस वक्त बिना दस्तावेजों के सत्यापन कराए शिक्षकों के वेतन जारी कर दिए गए थे। शिकायत मिलने पर इलाहाबाद मंडल में 2010 व 2012 की एलटी भर्ती में नौकरी पाने वाले शिक्षकों के दस्तावेजों का नए सिरे से सत्यापन शुरू हो गया है।
2010 और 2012 में राजकीय विद्यालयों की एलटी गे्रड शिक्षकों की भर्ती हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक, पीजी व प्रशिक्षण में मिले अंकों के आधार पर की गई थी। मंडल स्तर पर नियुक्ति के बाद दस्तावेजों की बिना जांच कराए वेतन जारी हो गए और इन शिक्षकों की नियुक्ति स्थायी हो गई। हालांकि उसी वक्त से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर टीचरी हासिल करने की शिकायत होती रही लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों की इसी लापरवाही का नतीजा था कि शातिरों ने 2014 में शुरू हुई 6645 एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी हासिल करने की कोशिश की। इलाहाबाद मंडल में ही 22 अभ्यर्थियों ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के फर्जी दस्तावेज लगाए। इनमें से 14 तो शुरूआती जांच में पकड़ लिए गए लेकिन आठ अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने में सफल हो गए।
इनमें से एक ने ज्वाइन नहीं किया। यूपी बोर्ड की जांच में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ तो 11 महीने से नौकरी कर रहे सात शिक्षक फरार हो गए। ये स्थिति सिर्फ इलाहाबाद मंडल की है। यदि बाकी के 17 मंडलों की जांच तो और बड़ा खुलासा होना तय माना जा रहा है।
कमेटी ने शुरू की टीआर फाड़ने की जांच
यूपी बोर्ड के इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय में टैबुलेशन रिकार्ड फाड़े जाने की जांच को गठित कमेटी ने सोमवार को पड़ताल शुरू कर दी। कमेटी के अध्यक्ष मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक महेन्द्र कुमार सिंह और बरेली क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव विनोद कृष्ण ने बोर्ड मुख्यालय पहुंचकर पूछताछ की। कमेटी को अपनी रिपोर्ट देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।
इनका कहना है
मंडल के राजकीय विद्यालयों में 2010 और 2012 की एलटी भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों द्वारा फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी हासिल करने की शिकायत मिल रही थी। मैंने सभी जिला विद्यालयों निरीक्षकों को नए सिरे से सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं।
महेन्द्र कुमार सिंह, मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक
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2010 और 2012 में हुई एलटी ग्रेड भर्तियों को लेकर उंगली उठ रही है क्योंकि उस वक्त बिना दस्तावेजों के सत्यापन कराए शिक्षकों के वेतन जारी कर दिए गए थे। शिकायत मिलने पर इलाहाबाद मंडल में 2010 व 2012 की एलटी भर्ती में नौकरी पाने वाले शिक्षकों के दस्तावेजों का नए सिरे से सत्यापन शुरू हो गया है।
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2010 और 2012 में राजकीय विद्यालयों की एलटी गे्रड शिक्षकों की भर्ती हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक, पीजी व प्रशिक्षण में मिले अंकों के आधार पर की गई थी। मंडल स्तर पर नियुक्ति के बाद दस्तावेजों की बिना जांच कराए वेतन जारी हो गए और इन शिक्षकों की नियुक्ति स्थायी हो गई। हालांकि उसी वक्त से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर टीचरी हासिल करने की शिकायत होती रही लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों की इसी लापरवाही का नतीजा था कि शातिरों ने 2014 में शुरू हुई 6645 एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी हासिल करने की कोशिश की। इलाहाबाद मंडल में ही 22 अभ्यर्थियों ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के फर्जी दस्तावेज लगाए। इनमें से 14 तो शुरूआती जांच में पकड़ लिए गए लेकिन आठ अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने में सफल हो गए।
इनमें से एक ने ज्वाइन नहीं किया। यूपी बोर्ड की जांच में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ तो 11 महीने से नौकरी कर रहे सात शिक्षक फरार हो गए। ये स्थिति सिर्फ इलाहाबाद मंडल की है। यदि बाकी के 17 मंडलों की जांच तो और बड़ा खुलासा होना तय माना जा रहा है।
कमेटी ने शुरू की टीआर फाड़ने की जांच
यूपी बोर्ड के इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय में टैबुलेशन रिकार्ड फाड़े जाने की जांच को गठित कमेटी ने सोमवार को पड़ताल शुरू कर दी। कमेटी के अध्यक्ष मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक महेन्द्र कुमार सिंह और बरेली क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव विनोद कृष्ण ने बोर्ड मुख्यालय पहुंचकर पूछताछ की। कमेटी को अपनी रिपोर्ट देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।
इनका कहना है
मंडल के राजकीय विद्यालयों में 2010 और 2012 की एलटी भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों द्वारा फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी हासिल करने की शिकायत मिल रही थी। मैंने सभी जिला विद्यालयों निरीक्षकों को नए सिरे से सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं।
महेन्द्र कुमार सिंह, मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक
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