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3 लाख शिक्षकों का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर, अब 22 फरवरी को आ सकता है ऐतिहासिक फैसला

* 3 लाख शिक्षकों का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर।
* शिक्षक भर्ती के नियमों को स्पष्ट नहीं कर पा रही है एनसीटीई।
* एनसीटीई कई बार सुप्रीम कोर्ट में कह चुकी है कि नियुक्ति के निर्धारण का अधिकार राज्य सरकार के पास।
*  उत्तर प्रदेश में एक ही पद के लिए दो तरीके से हो चुकी है नियुक्ति।
* टेट वेटेज का भी मामला पकड़ लिया तूल।
नई दिल्ली, संतोष कुशवाहा कुशीनगर।
उत्तर प्रदेश के 3 लाख शिक्षकों का भविष्य अब सुप्रीम कोर्ट
22 फरवरी की सुनवाई में तय करेगा।
मज़े की बात ये है कि दो बड़ी भर्तियां 72825 शिक्षक भर्ती
 टेट मेरिट व करीब 80 हज़ार भर्तियां अकैडमिक मेरिट से राज्य
सरकार कर चुकी है।
टेट मेरिट व अकैडमिक मेरिट का मामला तो चल ही रहा था इसी बीच में टेट वेटेज का आ गया है।
जिसमे पूरी तरह से एनसीटीई कठघरे में खड़ी हो गयी है।
क्यों की एनसीटीई कई तरह का काउंटर अपने द्वारा शिक्षक भर्तीयों में लगा चुकी है।
अकैडमिक मेरिट पर की गयी सभी नियुक्ति को
इलाहबाद हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है।

और पहले से लंबित इस मैटर के मामले सुप्रीम कोर्ट में
चलने के वजह से अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट के हवाले कर दिया है। 1लाख 32 हज़ार शिक्षकमित्रों का समायोजन इन दोनों नियमों से हटकर  किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को आरटीएक्ट 2010 लागू होने से पहले के कार्यरत शिक्षक मानते हुए टेट से छूट देकर किया है।
जो पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के द्वारा निरस्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट से स्टे के पर अपने पद पर बने हुए है।
और इनका भी भविष्य सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिका हुआ है।
माननीय जस्टिस दीपक मिश्र जी को उत्तर प्रदेश के इस बड़े जटिल
मामले को सुलझाने में बहुत देर लग रही है।
क्यों की इस केस को माननीय दीपक मिश्रा जी पहले ही
याची लाभ देकर उलझा चुके है।
याची लाभ देने का मतलब ये इस केस को मैनेज करने के तरफ ले जा रहे है।
किन्तु इसी बीच में टेट वेटेज का मामला आ जाने से इनकी
समस्या और बढ़ गयी है।
अब देखना है माननीय दीपक मिश्रा जी किस भर्ती को
गलत ठहराते है।
या सभी शिक्षक भर्तीयों को राहत देते है।
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