अब यह तय है कि 2011 के बाद हुई सारी नियुक्तियों की वैद्यता का फैसला केवल और केवल सर्वोच्च न्यायालय से

आज के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब यह तय है कि उत्तरप्रदेश की बेसिक शिक्षा परिषद में 2011 के बाद हुई सारी नियुक्तियों ...(टेट मेरिट 72,825 + अकेडमिक मेरिट 9700 + 10,000 + 29,334 + 15,000 + 16,448 + बिना टेट 1,37000 समायोजन ) की वैद्यता का फैसला केवल और केवल

*देश के सर्वोच्च न्यायालय*
से होगा !
अब सर्वोच्च न्यायालय के सामने चार यक्ष प्रश्न हैं -
*1*- देश में कक्षा 1 से 8 तक अध्यापक नियुक्त होने के लिए क्या
*टेट पास होना अनिवार्य है या नहीं* ?
यदि अनिवार्य तो
*शिक्षा मित्रों का क्या होगा*
ये बताने की जरूरत नहीं ?
यदि नहीं तो NCTE की गाइड लाइन का कोई वजूद ही नहीं रहेगा !
=> *स्पष्टीकरण NCTE देगा और फैसला सर्वोच्च न्यायालय करेगा*
*2*- क्या
*टेट सिर्फ एक पात्रता परीक्षा है*
जिसको शिक्षक चयन में वेटेज देना अनिवार्य है या नहीं ?
और ये राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं ?
*क्या टेट परीक्षा में ज्यादा अंक प्राप्त करने वाला व्यक्ति कम अंक प्राप्त करने वाले से ज्यादा शिक्षक बनने के पात्र नहीं*
यदि ऐसा नहीं तो ......
*89 अंक वाले को शिक्षक चयन से पूरी तरह बाहर क्यों किया जाता है,उसको भी गुणांकों के आधार पर शिक्षक बना देना चाहिए*
इसमें ये बात भी समझ नहीं आ रही की टेट का तो वजूद है NCTE पैरा में ,
*TET weightage should given*
*लेकिन अकादमिक गुणांकों का फार्मूला कौन से संविधान से लिया गया है*
क्योंकि ये परीक्षाएँ
(10वीं ,12वीं, स्नातक, प्रशिक्षण ) भी केवल पात्रता होती हैं ,
33% वाला भी पास और 100% वाला भी पास ही होता है ।
जहाँ एकतरफ राज्य सरकार केवल इन टेट से कम योग्यताओं के आधार पर शिक्षक का चयन कर रही है,
वहीँ टेट का शिक्षक चयन में कितना योगदान है ये कोई 89 और 81 अंकों वाले टेट fail लोगों से पूछ लीजिये !
*TET = TEACHER ELIGIBILITY TEST*
*शिक्षक पात्रता परीक्षा*
टेट के आधार पर ही यह तय होता है कि आप किसी विषय(गणित/विज्ञान) आदि या स्तर (प्राथमिक/उच्च प्राथमिक)
होने के काबिल हो या नहीं ?
#समानता के अधिकार के तहत......
टेट को किसी शिक्षक भर्ती में बिल्कुल अलग रखना उचित है क्या ??
जबकि अन्य योग्यताओं को आप कुछ न कुछ भारांक दे रहे हो ....
#टेट के अंको को भारांक न देकर आप बीएड धारियों को किसी भी भर्ती में समानता नहीं दे रहे .... जैसे कि जूनियर भर्ती
जहाँ बीटीसी और बीएड दोनों को साथ लिया गया है ...
#एकतरफ बीएड में प्रवेश परीक्षा से चयन होता है ,
जिसमे बैठने के लिए स्नातक में केवल 50% होना ही पर्याप्त है....
#वहीं बीटीसी में प्रवेश गुणांकों से ही होता है ...
इससे शिक्षक चयन में समानता नहीं हो पाती और बीटीसी धारियों को फायदा हो रहा है,
जबकि दूसरी तरफ बीएड प्रवेश परीक्षा में अच्छे अंक पाकर बीएड करने वाला,
टेट परीक्षा में भी अच्छे अंक प्राप्त करने वाला अभ्यर्थी चयनित नहीं हो पाता !
#गुणांक पद्धति से सभी को समानता का मौका नहीं मिलता .....
क्योंकि सभी अभ्यर्थियों ने अलग-अलग वर्षों में और बोर्डों / विश्विद्यालयों से डिग्रीयाँ प्राप्त कीं हैं,
जिससे पूर्व के मूल्यांकन और आज के मूल्यांकन में काफी अंतर है ...
साथ ही उनके पूर्णांक , उनकी मूल्यांकन पद्धति जैसे प्रयोगात्मक परीक्षाओं में अंक आदि अलग-अलग हैं ।
=> *स्पष्टीकरण NCTE देगा और फैसला सर्वोच्च न्यायालय करेगा*
*3*- इलाहाबाद उच्चन्यायालय द्वारा रद्द किया 15वां संशोधन ,
क्या केवल 72,825 के नए विज्ञापन के लिए रद्द हुआ था या फिर सभी के लिए !
*उच्चन्यायलय ने इसको अल्ट्रा वायरस यानि बिल्कुल अवैध घोषित कर रखा है*
=> स्पष्टीकरण सर्वोच्च न्यायालय से ही होगा !
*4*- क्या शिक्षकों का चयन केवल और केवल *टेट मेरिट* यानि शिक्षक होने की पात्रता परीक्षा के अंकों से ही हो सकता है ?
या फिर इसमें एक व्यक्ति की जन्म से लेकर बीएड/बीटीसी आदि तक की योग्यताओं के अंकों को भी जोड़ा जाना चाहिए !
*यहाँ TET के पक्ष में NCTE की गाइडलाइन हैं जबकि अकादमिक गुणांकों के पक्ष में कोई भी कानून नहीं है*
अब इन सभी सवालों का उत्तर तो 22 फ़रवरी से होने वाली लगातार सुनवाई से मिलेगा,
*लेकिन भगवान किसी भी योग्य व्यक्ति की नौकरी न जाये*
बस इसी कामना के साथ 🙏🏻
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