कुछ सबाल बता भी रहे हैं जिनका जबाब भी साथ में दिए दे रहा हूँ।
1-जब कोर्ट ने स्टे दे दिया था तो मोर्चा ने कोर्ट आर्डर के इतर जाकर विधानसभा का घेराव क्यों किया।
मतलब कि अनिल की रिट पे प्रमोशन मैटर पे कोर्ट ने अंतरिम आर्डर पास करके नियुक्ति पे रोक लगा दी थी और सरकार से काउंटर भी मांग लिया था जो सरकार लगा नहीं रही थी। लेकिन संघ के लोगों को क्या पता था क्योंकि न तो वह लोग धरना प्रदर्शन में गए थे और तब न ही उनका जन्म हुआ था।
वह एक ऐसा धरना प्रदर्शन जहाँ से एक ऐसी दिशा मिली कि लोग जुड़ते रहे और कारवाँ बनता रहा।
यही से लोग एक दूसरे से जुड़ना शुरू हुए और आज उसका परिणाम सबके सामने है।
2-मोर्चा के द्वारा दिसंबर में कोई धरना प्रदर्शन नहीं किया गया और न ही कोई एफआईआर हुई यह सब प्रोपोगण्डा है।
ans- इसका जबाब उनके पहले क्वेश्चन से ही मिल जायेगा। एक तरफ कह रहे कि धरना क्यों किया जबकि कोर्ट ने स्टे दे रखा था दूसरी तरफ कह रहे कि कोई धरना नहीं हुआ। लेकिन यह दोनों सबाल अलग अलग लोगों में पूछे सायद सबाल पूछने का उनका कॉर्डिनेशन बिगड़ गया था या कह लो कि पहले से क्लियर नहीं किया😊
धरना भी हुआ वह भी 11 दिसंबर से 22 दिसंबर तक जिसमे हमारे कई साथी आमरण अनसन पे बैठे और लास्ट में सरकार की उदासीनता को देखते हुए गोमती में जम्प लगा गए जिसमे पुलिस के द्वारा एक बार फिरसे लाठी चार्ज किया जिसमे पहले विवेकानंद को अरेस्ट किया जो तीन दिन बाद जेल से बाहर आये। गोमती में कूदने से कई लोग बेहोश हो गए जिन्हें पुलिस के द्वारा आनन फानन में सिविल हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया शेष लोगों को अरेस्ट करके पुलिस लाइन ले जाया गया जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया लेकिन जो लोग हॉस्पिटल में एडमिट हुए उन सभी पे fir हुई जो आज भी परेशान हैं उनके घर हर मंथ में कोई न कोई सम्मन आ ही जाता है।
ऑन स्पॉट उनके इस सबाल पे लोगों ने प्रश्न चिन्ह लगा दिया और मजाक के पात्र बन गए।
3-मोर्चा द्वारा 9बी पे क्यों बार किया गया जबकि संघ ने रिट फ़ाइल की तो उसकी टाँग खीच रहे थे?
ans-मोर्चा के द्वारा कोई 9बी फ़ाइल करने का विचार नहीं था। मोर्चा का इंटेंशन अलग था हमारी रणनीति अलग थी जिसे आप लोगों के ने डिस्ट्रॉय करा दिया।
नीरज तिवारी के द्वारा rti मंगवाई जिसे संघ ने चुराकर अपनी 9बी में लगा दिया जबकि मोर्चा के द्वारा rti मंगाने का कांसेप्ट अलग था।
और विरोधियों के कुछ अनपढ़ या कहें कि बिना एक्सपीरियंस के लोगों के द्वारा trp बढ़ाने के चक्कर में मोर्चा की रणनीति पे पानी फेर दिया।
हम ncte से कोई काउंटर नहीं मांग रहे थे। हमारा स्टैंड क्लियर था कि rti ऐसे समय पे लगाएंगे कि साँप भी मरे और लाठी टूटे न लेकिन संघ के लोगों ने करी करायी मेहनत पे पानी फेर दिया और वह rti बिना किसी एडवांटेज की जाया हुई जिसका खेद आज भी है।
हम सुप्रीम पहले से जाने की प्लानिंग बना चुके थे इसीलिए sc में दो ia डाली गयीं जिनका मोटिव कुछ और था लेकिन trp लेने के चक्कर में करी करायी मेहनत पे पानी फेर दिया और ncte से उल्टा सीधा वही काउंटर लगा दिया जिसमे sk शर्मा व sk पाठक की रिट पे आये आर्डर मेंशन हैं। हम sc में सेफ जोन से जाना चाहते थे लेकिन आज sc में पहुँच तो गए लेकिन अपना बेस खत्म करके। वह बात अलग है कि हमारा बेस 20 नंबर 2013 को ही खत्म कर दिया था उसके बाद 18 अगस्त 2015 को सुधीर जी के आर्डर के द्वारा मरे इंसान पे मोहर लगा दी गयी।
वह बात अलग है कि हम लोगों ने मिलकर डेड बॉडी में मोर्चा के द्वारा दीपक शर्मा के नाम से फ़ाइल की गयी स्पेशल अपील ने जान डाल दी। जिसकी बजह से आज आप लोग जॉब कर रहे हो।
यह भी है कि जिस 9बी को संघ ने चैलेन्ज किया उसी 9बी को मोर्चा ने भी बाद में शफीक के द्वारा व प्रमोद के द्वारा चैलेन्ज किया इसकी बजह थी कि अनूप तिर्वेदी का छोटा सा ज्ञान जिन्हें खुद चीफ जस्टिस ने अपनी कोर्ट से भगा दिया था। तब मोर्चा ने हाई कोर्ट के टॉप एडवोकेट रविकान्त को खड़ा किया और बिना किसी को हवा लगे डबल बेंच में प्रवेश करा दिया।
यही एक बजह थी कि संघ के बाद मोर्चा को 9बी फ़ाइल करनी पड़ी। लेकिन फाइनल हियरिंग में 9बी से रिलेटेड सभी रिटें स्टैंड by डिसमिश कर दी गयीं जिनपे कोई ज्यादा बहस नहीं हुई। क्योंकि same मैटर अपैक्स कोर्ट में पेंडिंग था।
4- मोर्चा को अपना हिसाब देना चाहिए जिसका अभी तक दिया नहीं गया?
ans-इस बात पे मेरे द्वारा सीधा जबाब था कि इन पाँच महान विभूतियों व इनके साथियों को हमारा संघठन कोई राईट नहीं देता है कि यह लोग हिसाब मांगे। जिन्हें हिसाब देना था उन्हें 10 दिसंबर की मीटिंग में बुलाया गया जहाँ सभी को बताया गया जो नहीं गए वह क्यों नहीं गए फिर आज सबाल क्यों कर रहे। जिसे प्रॉब्लम हो वह व्यक्तिगत बात कर सकता है लेकिन कोई कहे कि कोषद्य्क्ष सभी के घर घर जाकर हिसाब देंगे तो वह दिन में सपने देखना बंद कर दे।
5-मोर्चा ने प्रोफेशनल के खिलाप शैलेन्द्र को क्यों खड़ा किया जो कि गलत था?
ans- यह लड़ाई ब्रह्मदेव के आर्डर से शुरू हुई जिसमे सुधीर जी ने दो महीने के अंदर कॉउंसलिंग कराकर चयनित लोगों को 15 दिन में जोइनिंग लैटर जारी करने को कहा।
उस आर्डर में कुल पाँच लोगों के नाम थे जिनके द्वारा रिट फ़ाइल की गयी। इसमें ब्रह्मदेव यादव सतेंद्र यादव देवेन्द्र यादव दीपक शर्मा व एक और साथी था जिसका नाम याद नहीं आ रहा है। जब कॉउंसलिंग शुरू हुई तो देखा गया कि आर्डर लाने वाले मसीहा लोगों का चयन होना मुश्किल लग रहा था जिसमे दीपक शर्मा को छोड़कर शेष लोगों का नंबर आज तक कॉउंसलिंग में नहीं आ पाया वह लोग शैलेन्द्र जी को लेकर दुवारा कोर्ट पहुँच गए और उन्होंने प्रोफ के खिलाफ रिट फ़ाइल कर दी और केस चलने लगा। तब मोर्चा का जन्म ही नहीं हुआ था तो कैसे कहें कि मोर्चा ने प्रोफ के मैटर में टाँग अड़ा दी। लोगों को खुली अभिव्यक्ति होती है कि वह अपनी बात कोर्ट में रखें और वकील किसी का बंधुआ मजदूर नहीं होता है जो आपके कहने से कार्य करे। उनका या पैशन होता है कि लोग आएँ और मेरी दुकान चले।
लिहाजा मोर्चा का इसमें कोई इंट्रेस्ट नहीं था। मोर्चा का गठन 11 दिसंबर 2014 के धरने से कुछ दिन पहले किया गया।
6-नीलम ने अपनी रिट खुद बापिस ले ली इसमें मोर्चा का क्या रोल है?
ans- उनके इस सबाल का जबाब मुझे देना ही नहीं पड़ा क्योंकि यह सभी को पता था कि नीलम कैसे विथड्रॉव हुईं और इसके लिए इन्दुप्रकाश ने कितनी मेहनत की। इंदुपरकश जोन कॉर्डिनेटर हैं मोर्चा की तरफ से।
इस प्रकार की बहुत सारी क्वेरी की गयीं जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं था।
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1-जब कोर्ट ने स्टे दे दिया था तो मोर्चा ने कोर्ट आर्डर के इतर जाकर विधानसभा का घेराव क्यों किया।
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मतलब कि अनिल की रिट पे प्रमोशन मैटर पे कोर्ट ने अंतरिम आर्डर पास करके नियुक्ति पे रोक लगा दी थी और सरकार से काउंटर भी मांग लिया था जो सरकार लगा नहीं रही थी। लेकिन संघ के लोगों को क्या पता था क्योंकि न तो वह लोग धरना प्रदर्शन में गए थे और तब न ही उनका जन्म हुआ था।
वह एक ऐसा धरना प्रदर्शन जहाँ से एक ऐसी दिशा मिली कि लोग जुड़ते रहे और कारवाँ बनता रहा।
यही से लोग एक दूसरे से जुड़ना शुरू हुए और आज उसका परिणाम सबके सामने है।
2-मोर्चा के द्वारा दिसंबर में कोई धरना प्रदर्शन नहीं किया गया और न ही कोई एफआईआर हुई यह सब प्रोपोगण्डा है।
ans- इसका जबाब उनके पहले क्वेश्चन से ही मिल जायेगा। एक तरफ कह रहे कि धरना क्यों किया जबकि कोर्ट ने स्टे दे रखा था दूसरी तरफ कह रहे कि कोई धरना नहीं हुआ। लेकिन यह दोनों सबाल अलग अलग लोगों में पूछे सायद सबाल पूछने का उनका कॉर्डिनेशन बिगड़ गया था या कह लो कि पहले से क्लियर नहीं किया😊
धरना भी हुआ वह भी 11 दिसंबर से 22 दिसंबर तक जिसमे हमारे कई साथी आमरण अनसन पे बैठे और लास्ट में सरकार की उदासीनता को देखते हुए गोमती में जम्प लगा गए जिसमे पुलिस के द्वारा एक बार फिरसे लाठी चार्ज किया जिसमे पहले विवेकानंद को अरेस्ट किया जो तीन दिन बाद जेल से बाहर आये। गोमती में कूदने से कई लोग बेहोश हो गए जिन्हें पुलिस के द्वारा आनन फानन में सिविल हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया शेष लोगों को अरेस्ट करके पुलिस लाइन ले जाया गया जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया लेकिन जो लोग हॉस्पिटल में एडमिट हुए उन सभी पे fir हुई जो आज भी परेशान हैं उनके घर हर मंथ में कोई न कोई सम्मन आ ही जाता है।
ऑन स्पॉट उनके इस सबाल पे लोगों ने प्रश्न चिन्ह लगा दिया और मजाक के पात्र बन गए।
3-मोर्चा द्वारा 9बी पे क्यों बार किया गया जबकि संघ ने रिट फ़ाइल की तो उसकी टाँग खीच रहे थे?
ans-मोर्चा के द्वारा कोई 9बी फ़ाइल करने का विचार नहीं था। मोर्चा का इंटेंशन अलग था हमारी रणनीति अलग थी जिसे आप लोगों के ने डिस्ट्रॉय करा दिया।
नीरज तिवारी के द्वारा rti मंगवाई जिसे संघ ने चुराकर अपनी 9बी में लगा दिया जबकि मोर्चा के द्वारा rti मंगाने का कांसेप्ट अलग था।
और विरोधियों के कुछ अनपढ़ या कहें कि बिना एक्सपीरियंस के लोगों के द्वारा trp बढ़ाने के चक्कर में मोर्चा की रणनीति पे पानी फेर दिया।
हम ncte से कोई काउंटर नहीं मांग रहे थे। हमारा स्टैंड क्लियर था कि rti ऐसे समय पे लगाएंगे कि साँप भी मरे और लाठी टूटे न लेकिन संघ के लोगों ने करी करायी मेहनत पे पानी फेर दिया और वह rti बिना किसी एडवांटेज की जाया हुई जिसका खेद आज भी है।
हम सुप्रीम पहले से जाने की प्लानिंग बना चुके थे इसीलिए sc में दो ia डाली गयीं जिनका मोटिव कुछ और था लेकिन trp लेने के चक्कर में करी करायी मेहनत पे पानी फेर दिया और ncte से उल्टा सीधा वही काउंटर लगा दिया जिसमे sk शर्मा व sk पाठक की रिट पे आये आर्डर मेंशन हैं। हम sc में सेफ जोन से जाना चाहते थे लेकिन आज sc में पहुँच तो गए लेकिन अपना बेस खत्म करके। वह बात अलग है कि हमारा बेस 20 नंबर 2013 को ही खत्म कर दिया था उसके बाद 18 अगस्त 2015 को सुधीर जी के आर्डर के द्वारा मरे इंसान पे मोहर लगा दी गयी।
वह बात अलग है कि हम लोगों ने मिलकर डेड बॉडी में मोर्चा के द्वारा दीपक शर्मा के नाम से फ़ाइल की गयी स्पेशल अपील ने जान डाल दी। जिसकी बजह से आज आप लोग जॉब कर रहे हो।
यह भी है कि जिस 9बी को संघ ने चैलेन्ज किया उसी 9बी को मोर्चा ने भी बाद में शफीक के द्वारा व प्रमोद के द्वारा चैलेन्ज किया इसकी बजह थी कि अनूप तिर्वेदी का छोटा सा ज्ञान जिन्हें खुद चीफ जस्टिस ने अपनी कोर्ट से भगा दिया था। तब मोर्चा ने हाई कोर्ट के टॉप एडवोकेट रविकान्त को खड़ा किया और बिना किसी को हवा लगे डबल बेंच में प्रवेश करा दिया।
यही एक बजह थी कि संघ के बाद मोर्चा को 9बी फ़ाइल करनी पड़ी। लेकिन फाइनल हियरिंग में 9बी से रिलेटेड सभी रिटें स्टैंड by डिसमिश कर दी गयीं जिनपे कोई ज्यादा बहस नहीं हुई। क्योंकि same मैटर अपैक्स कोर्ट में पेंडिंग था।
4- मोर्चा को अपना हिसाब देना चाहिए जिसका अभी तक दिया नहीं गया?
ans-इस बात पे मेरे द्वारा सीधा जबाब था कि इन पाँच महान विभूतियों व इनके साथियों को हमारा संघठन कोई राईट नहीं देता है कि यह लोग हिसाब मांगे। जिन्हें हिसाब देना था उन्हें 10 दिसंबर की मीटिंग में बुलाया गया जहाँ सभी को बताया गया जो नहीं गए वह क्यों नहीं गए फिर आज सबाल क्यों कर रहे। जिसे प्रॉब्लम हो वह व्यक्तिगत बात कर सकता है लेकिन कोई कहे कि कोषद्य्क्ष सभी के घर घर जाकर हिसाब देंगे तो वह दिन में सपने देखना बंद कर दे।
5-मोर्चा ने प्रोफेशनल के खिलाप शैलेन्द्र को क्यों खड़ा किया जो कि गलत था?
ans- यह लड़ाई ब्रह्मदेव के आर्डर से शुरू हुई जिसमे सुधीर जी ने दो महीने के अंदर कॉउंसलिंग कराकर चयनित लोगों को 15 दिन में जोइनिंग लैटर जारी करने को कहा।
उस आर्डर में कुल पाँच लोगों के नाम थे जिनके द्वारा रिट फ़ाइल की गयी। इसमें ब्रह्मदेव यादव सतेंद्र यादव देवेन्द्र यादव दीपक शर्मा व एक और साथी था जिसका नाम याद नहीं आ रहा है। जब कॉउंसलिंग शुरू हुई तो देखा गया कि आर्डर लाने वाले मसीहा लोगों का चयन होना मुश्किल लग रहा था जिसमे दीपक शर्मा को छोड़कर शेष लोगों का नंबर आज तक कॉउंसलिंग में नहीं आ पाया वह लोग शैलेन्द्र जी को लेकर दुवारा कोर्ट पहुँच गए और उन्होंने प्रोफ के खिलाफ रिट फ़ाइल कर दी और केस चलने लगा। तब मोर्चा का जन्म ही नहीं हुआ था तो कैसे कहें कि मोर्चा ने प्रोफ के मैटर में टाँग अड़ा दी। लोगों को खुली अभिव्यक्ति होती है कि वह अपनी बात कोर्ट में रखें और वकील किसी का बंधुआ मजदूर नहीं होता है जो आपके कहने से कार्य करे। उनका या पैशन होता है कि लोग आएँ और मेरी दुकान चले।
लिहाजा मोर्चा का इसमें कोई इंट्रेस्ट नहीं था। मोर्चा का गठन 11 दिसंबर 2014 के धरने से कुछ दिन पहले किया गया।
6-नीलम ने अपनी रिट खुद बापिस ले ली इसमें मोर्चा का क्या रोल है?
ans- उनके इस सबाल का जबाब मुझे देना ही नहीं पड़ा क्योंकि यह सभी को पता था कि नीलम कैसे विथड्रॉव हुईं और इसके लिए इन्दुप्रकाश ने कितनी मेहनत की। इंदुपरकश जोन कॉर्डिनेटर हैं मोर्चा की तरफ से।
इस प्रकार की बहुत सारी क्वेरी की गयीं जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं था।
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