राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में होने वाली स्नातक शिक्षक यानी एलटी ग्रेड भर्ती की घेराबंदी तेज हो गई है। इसका विरोध प्रतियोगियों का ही एक वर्ग कर रहा है, वहीं नियमों को लेकर भी सवाल किए जा रहे हैं।
प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में 9342 पदों के लिए एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती होनी है। शासन ने भर्ती नियमों में बदलाव किया है। अब नियुक्तियां मंडल के बजाए राज्य स्तर पर होंगी और नियुक्ति अधिकारी संयुक्त शिक्षा निदेशक की जगह अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा की अगुआई में गठित कमेटी होगी। यह दो अहम बदलाव करके शासन एवं वरिष्ठ अधिकारी खुश थे, क्योंकि इससे मेरिट की अनदेखी नहीं होगी और वरिष्ठता की समस्या खत्म हो जाएगी। अफसरों की सोच से जमीनी हकीकत एकदम उलट है। प्रतियोगियों का एक वर्ग इस भर्ती के नियमों खासकर मेरिट के जरिए चयन के विरोध में खड़ा हो गया है। उसका कहना है कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में इसी के समान नियुक्तियां लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के बाद हो रही हैं और राजकीय कालेज में सिर्फ मेरिट से चयन होना ठीक नहीं है। सूबे के शासकीय व अशासकीय विद्यालयों के समान पदों पर नियुक्तियों की प्रक्रिया एक जैसी होनी चाहिए। इस प्रकरण को लेकर एक गुट प्रदर्शन कर चुका है, वहीं दूसरा गुट 22 दिसंबर से शिक्षा निदेशालय में बेमियादी आंदोलन करने जा रहा है।
चयनित होने वाले एलटी ग्रेड शिक्षक कक्षा छह से आठ की कक्षाओं में भी पढ़ाएंगे, ऐसे में एनसीटीई की टीईटी योग्यता को हाशिए पर रखा गया है, क्योंकि नियुक्तियों में टीईटी उत्तीर्ण होने का कहीं जिक्र नहीं किया गया है। अब यह मांग भी जोर पकड़ रही है कि आवेदन करने वाले टीईटी उत्तीर्ण जरूर हों। इसी बीच शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ भी इन भर्तियों के विरोध में आ गया है। अध्यक्ष रंगनाथ मिश्र का कहना है कि मेरिट से नियुक्ति होने पर धांधली और बढ़ेगी। यह भर्ती प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर होनी चाहिए। उनका यह भी कहना है कि विभागीय अफसरों की मंशा नियुक्तियां सही से कराने की नहीं है।
अभी विज्ञापन जारी होने में देर : राजकीय कालेजों के लिए एलटी ग्रेड शिक्षकों की नियुक्ति का विज्ञापन इस सप्ताह भी जारी होने के आसार नहीं है। यूपी डेस्को ने अभी वेबसाइट तैयार नहीं की है और ऑनलाइन आवेदन में बैंक के जरिए होने वाली ई-पेमेंट आदि की सुविधा शुरू करने में भी वक्त लगने के आसार हैं। माध्यमिक शिक्षा के अपर निदेशक रमेश ने बताया कि अगले सप्ताह ही विज्ञापन जारी हो सकेगा।
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प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में 9342 पदों के लिए एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती होनी है। शासन ने भर्ती नियमों में बदलाव किया है। अब नियुक्तियां मंडल के बजाए राज्य स्तर पर होंगी और नियुक्ति अधिकारी संयुक्त शिक्षा निदेशक की जगह अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा की अगुआई में गठित कमेटी होगी। यह दो अहम बदलाव करके शासन एवं वरिष्ठ अधिकारी खुश थे, क्योंकि इससे मेरिट की अनदेखी नहीं होगी और वरिष्ठता की समस्या खत्म हो जाएगी। अफसरों की सोच से जमीनी हकीकत एकदम उलट है। प्रतियोगियों का एक वर्ग इस भर्ती के नियमों खासकर मेरिट के जरिए चयन के विरोध में खड़ा हो गया है। उसका कहना है कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में इसी के समान नियुक्तियां लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के बाद हो रही हैं और राजकीय कालेज में सिर्फ मेरिट से चयन होना ठीक नहीं है। सूबे के शासकीय व अशासकीय विद्यालयों के समान पदों पर नियुक्तियों की प्रक्रिया एक जैसी होनी चाहिए। इस प्रकरण को लेकर एक गुट प्रदर्शन कर चुका है, वहीं दूसरा गुट 22 दिसंबर से शिक्षा निदेशालय में बेमियादी आंदोलन करने जा रहा है।
चयनित होने वाले एलटी ग्रेड शिक्षक कक्षा छह से आठ की कक्षाओं में भी पढ़ाएंगे, ऐसे में एनसीटीई की टीईटी योग्यता को हाशिए पर रखा गया है, क्योंकि नियुक्तियों में टीईटी उत्तीर्ण होने का कहीं जिक्र नहीं किया गया है। अब यह मांग भी जोर पकड़ रही है कि आवेदन करने वाले टीईटी उत्तीर्ण जरूर हों। इसी बीच शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ भी इन भर्तियों के विरोध में आ गया है। अध्यक्ष रंगनाथ मिश्र का कहना है कि मेरिट से नियुक्ति होने पर धांधली और बढ़ेगी। यह भर्ती प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर होनी चाहिए। उनका यह भी कहना है कि विभागीय अफसरों की मंशा नियुक्तियां सही से कराने की नहीं है।
अभी विज्ञापन जारी होने में देर : राजकीय कालेजों के लिए एलटी ग्रेड शिक्षकों की नियुक्ति का विज्ञापन इस सप्ताह भी जारी होने के आसार नहीं है। यूपी डेस्को ने अभी वेबसाइट तैयार नहीं की है और ऑनलाइन आवेदन में बैंक के जरिए होने वाली ई-पेमेंट आदि की सुविधा शुरू करने में भी वक्त लगने के आसार हैं। माध्यमिक शिक्षा के अपर निदेशक रमेश ने बताया कि अगले सप्ताह ही विज्ञापन जारी हो सकेगा।
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