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मौजूदा परिद्रश्य याचियों के लिये नहीं अपितु तीन लाख चयनितों की सांसें रोक देने वाला

पूर्व में भी कहा है आज फिर कहता हूँ कि मौजूदा परिद्रश्य याचियों के लिये नहीं अपितु तीन लाख चयनितों की सांसें रोक देने वाला है। 12 वीं ,15 वीं(16) बटालियन तो पूर्व से ही 4347 के ग्राउन्ड पर इन्द्रप्रस्थ में आमने
सामने हैं ,युद्ध में यदि कोई परिवर्तन हुआ है तो इतना कि 15 वीं बटालियन में 90 हजार से अधिक सशस्त्र सैनिक संगम नगरी से राजधानी को कूँच कर गये हैं।
लोग कह रहे कि अब युद्ध टलेगा नहीँ अपितु भीषण व निर्णायक होगा और योद्धा लहुलूहान होकर ही रहेंगे ,तो होने दो हम भी दर्शक दीघा में बैठकर तीन लाख लोगो को वीरगति प्राप्त करते देखेंगे।फिर नयी बटालियन में नयी भर्ती, जिसमें कूद कर हम एक बार फिर अपना भाग्य अजमा सकेंगे।एक बात तय है कि युद्ध निर्णायक हुआ तो बचेगा कोई नहीं क्योंकि 15 वीं (16) बटालियन को यदि 9 बी व 142 से श्राप मिला है तो 12 वीं बटालियन भी 1981 नियमावली से श्रापित है।जंग हुयी तो योद्धा एक दूसरे की जंघा पर ही वार करेंगे,और हाँ जिसको अमरत्व का मुगालता हो वह आल्हा खण्ड में ऊदल का हाल अवश्य श्रवण कर लें ।
युद्धभूमि को लाशों के ढेर से बचाने को बटालियन को मध्यमार्गीय (प्राथमिक याची) रास्ते से ही गुजरना होगा।किन्तु इसके लिये रास्ते की खरपतवार(शिक्षा मित्र) को उखाड़ फेंकना होगा ।
यहाँ एक बात ध्यान रहे दर्शक दीर्घा में पहुँच गयी याची सेना को दोनो बटालियन के श्रापित हिस्से पर विशेष परिस्थितियों में वार करने को सज्ज रहना चाहिये।
हरि बोल
नोट -यहाँ याची से आशय 72 हजार प्लस पढ़ा जाये
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