80 हजार सिपाही, 19 हजार दारोगा के पद रिक्त, अदालती दांव-पेंच से भर्ती प्रक्रिया की प्रगति धीमी, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस फोर्स में रिक्त पदों पर मांगा हलफनामा

लखनऊ1पुलिस बल की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने दो वर्ष पहले ही राज्य सरकार को एक लाख पुलिसकर्मियों की भर्ती के निर्देश दिए थे लेकिन, अदालती दांव-पेंच में भर्तियां उलझती रहीं और इसकी गति इतनी धीमी रही कि मानक पूरा नहीं हो सका।
फिलहाल सूबे में 29 हजार आरक्षी और तीन हजार उपनिरीक्षक की भर्ती की प्रक्रिया चल रही है बावजूद इसके भारी कमी बनी है। यह भर्ती पूरी होने के बाद भी 80 हजार आरक्षी और 19 हजार उपनिरीक्षकों की भर्ती होगी तब जाकर रिक्त पद भरे जा सकेंगे। 1सुप्रीम कोर्ट ने गृह सचिव से पुलिस फोर्स में रिक्त पदों पर हलफनामा मांगा है। राज्य सरकार को अभी अधिकृत आदेश की कॉपी नहीं मिली है लेकिन, डीजीपी मुख्यालय द्वारा रिक्त पदों का ब्यौरा हर शाखाओं से मांगा जाने लगा है। ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश पुलिस में उपनिरीक्षक (दारोगा) और आरक्षी की सीधी भर्ती होती है। इसके बाद दारोगा से इंस्पेक्टर और आरक्षी से मुख्य आरक्षी के पद पर प्रोन्नति की जाती है। पहले दारोगा के 19 हजार पद स्वीकृत थे। सरकार ने इसे बढ़ाकर 40 हजार कर दिया है। मौजूदा समय में 15 हजार 500 दारोगा उपलब्ध हैं। भर्ती किए गए तीन दारोगा का प्रशिक्षण होने के बावजूद हाईकोर्ट ने तैनाती रोक दी है जबकि तीन हजार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। आरक्षी संवर्ग के 2.62 लाख पद स्वीकृत हैं। इनमें 29 हजार की चल रही भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद 80 हजार पद अवशेष रह जाएंगे। 1एक सिपाही पर 1315 की सुरक्षा का भार : स्टैंडर्ड मानक है कि 552 लोगों की सुरक्षा के लिए एक सिपाही की तैनाती हो। सूबे की जनसंख्या करीब बीस करोड़ है। मौजूदा पुलिस बल में भारी कमी होने से हर सिपाही पर 1315 लोगों की सुरक्षा का बोझ बढ़ गया है। यानी एक सिपाही मानक से 763 अधिक लोगों की सुरक्षा में लगा है। 1प्रशिक्षण केंद्रों की कमी सबसे बड़ी बाधा : पुलिस फोर्स में मानव संसाधन बढ़ाए जाने के लिए पदों की संख्या में वृद्धि कर ली गई लेकिन उसे भर पाने में पुलिस ट्रेनिंग सेंटरों की कमी सबसे बड़ी बाधा बन गई है। शासन ने इस समस्या के समाधान के लिए नए प्रशिक्षण केंद्र खोलने पर जोर दिया लेकिन, इसके लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल, सूबे में मौजूद प्रशिक्षण केंद्रों में एक बार में अधिकतम 40 हजार लोगों को ही प्रशिक्षित किया जा सकता है। इसलिए इससे ज्यादा संख्या में भर्ती करने पर प्रशिक्षण की चुनौती बनी रहेगी।

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