राज्य ब्यूरो, देहरादून राज्य में करीब ढाई साल से बतौर प्राथमिक शिक्षक कार्यरत 3652 शिक्षा
मित्रों को टीईटी पास करने की बाध्यता से मुक्ति मिलने की उम्मीद जगी है।
सरकार उनके समर्थन में एक बार फिर हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका अथवा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अपील दायर करेगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने इस संबंध में शिक्षा निदेशक आरके कुंवर को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, राज्य के दूरदराज क्षेत्रों के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में बतौर शिक्षा मित्र करीब 15 वर्ष तक सेवाएं दे चुके इन शिक्षकों की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। शिक्षा मित्रों को प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों पर समायोजित करने के लिए सरकार ने उन्हें दो वर्षीय डीएलएड प्रशिक्षण दिलाया था। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से बकायदा एमएचआरडी और एनसीटीई से अनुमति ली गई थी। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद इन शिक्षा मित्रों को जनवरी, 2015 में शिक्षा पात्रता परीक्षा (टीईटी-एक) से मुक्त कर बतौर सहायक अध्यापक राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में समायोजित किया गया था।
अब हाईकोर्ट ने इन शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य करते हुए सरकार को आदेश का अनुपालन करने को कहा है। बतौर प्राथमिक शिक्षक ढाई साल का अरसा गुजार चुके ये शिक्षक अब टीईटी को लेकर बेचैन हैं। उत्तराखंड समायोजित प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ललित द्विवेदी एवं महामंत्री मंगत नेगी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को विधानसभा में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय से मुलाकात की। उन्होंने टीईटी की अनिवार्यता से राहत दिलाने को हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका अथवा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अपील करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश से उनके रोजगार पर संकट गहरा सकता है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों पर सरकार संजीदगी से विचार कर रही है। उन्होंने शिक्षा निदेशक आरके कुंवर को उक्त शिक्षकों के संबंध में हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका अथवा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अपील करने के संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए। प्रतिनिधिमंडल में संघ के प्रदेश प्रवक्ता पीतांबर पांडे, कोषाध्यक्ष महेंद्र बोहरा, संगठन मंत्री योगेंद्र पंत व संगठन सचिव राजेंद्र ढौंडियाल शामिल थे।
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सरकार उनके समर्थन में एक बार फिर हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका अथवा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अपील दायर करेगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने इस संबंध में शिक्षा निदेशक आरके कुंवर को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, राज्य के दूरदराज क्षेत्रों के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में बतौर शिक्षा मित्र करीब 15 वर्ष तक सेवाएं दे चुके इन शिक्षकों की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। शिक्षा मित्रों को प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों पर समायोजित करने के लिए सरकार ने उन्हें दो वर्षीय डीएलएड प्रशिक्षण दिलाया था। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से बकायदा एमएचआरडी और एनसीटीई से अनुमति ली गई थी। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद इन शिक्षा मित्रों को जनवरी, 2015 में शिक्षा पात्रता परीक्षा (टीईटी-एक) से मुक्त कर बतौर सहायक अध्यापक राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में समायोजित किया गया था।
अब हाईकोर्ट ने इन शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य करते हुए सरकार को आदेश का अनुपालन करने को कहा है। बतौर प्राथमिक शिक्षक ढाई साल का अरसा गुजार चुके ये शिक्षक अब टीईटी को लेकर बेचैन हैं। उत्तराखंड समायोजित प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ललित द्विवेदी एवं महामंत्री मंगत नेगी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को विधानसभा में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय से मुलाकात की। उन्होंने टीईटी की अनिवार्यता से राहत दिलाने को हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका अथवा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अपील करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश से उनके रोजगार पर संकट गहरा सकता है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों पर सरकार संजीदगी से विचार कर रही है। उन्होंने शिक्षा निदेशक आरके कुंवर को उक्त शिक्षकों के संबंध में हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका अथवा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अपील करने के संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए। प्रतिनिधिमंडल में संघ के प्रदेश प्रवक्ता पीतांबर पांडे, कोषाध्यक्ष महेंद्र बोहरा, संगठन मंत्री योगेंद्र पंत व संगठन सचिव राजेंद्र ढौंडियाल शामिल थे।
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