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मामला बीएड सत्र 2013-14 का है। प्रवेश के लिए सुप्रीम कोर्ट की कटऑफ डेट और शासन के आदेशों में तय तिथि में अंतर से 30 हजार छात्रों के कॅरियर पर चार साल से ब्रेक लगे हुए हैं। हाईकोर्ट के आदेशों पर सभी विश्वविद्यालयों ने सीधे प्रवेशित छात्रों की परीक्षा एवं प्रैक्टिकल तो करा दिए, लेकिन रिजल्ट रुका हुआ है। प्रदेशभर से रिजल्ट जारी करने को छह सौ से ज्यादा छात्र हाईकोर्ट में लड़ रहे हैं। फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। शुक्रवार को उक्त सत्र के 30 हजार छात्रों के भाग्य पर फैसले की उम्मीद है। इसमें सर्वाधिक स्टूडेंट चौ.चरण सिंह यूनिवर्सिटी और आगरा यूनिवर्सिटी से हैं।
यह है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में बीएड कॉलेजों में सत्र नियमित करने को प्रवेश के लिए प्रवेश की अंतिम तिथि तय कर दी थी। इसमें सरकार को सभी कॉलेजों में 16 जुलाई तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी करनी थी। लेकिन सीटें रिक्त रहने पर तत्कालीन सरकार ने कॉलेजों में प्रवेश की अंतिम तिथि 16 अक्तूबर तय कर दी। कॉलेजों ने एंट्रेंस में शामिल छात्रों के रिक्त सीटों पर प्रवेश कर लिए। बाद में किसी ने हाईकोर्ट में रिट दायर कर 16 जुलाई के बाद हुए सभी प्रवेश को अवैध घोषित करने की मांग की। इसी आधार पर शासन ने 16 जुलाई तक के प्रवेशित छात्रों की परीक्षा कराने के आदेश दिए। लेकिन इससे प्रदेशभर में 30 हजार छात्र अवैध हो गए। छात्र फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट चले गए। कोर्ट ने छात्रों की परीक्षा कराते हुए रिजल्ट रोकने के आदेश दिए। तब से यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है।
छह सौ से ज्यादा रिट, अब जगी न्याय की उम्मीद
प्रदेश में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में आवेदन की अंतिम तिथि 12 अप्रैल है। उत्तर प्रदेश सेल्फ फाइनेंस कॉलेज एसोसिएशन के उपाध्यक्ष निर्मल सिंह के अनुसार वे छात्रहित में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.दिनेश शर्मा से मिल चुके हैं। पूरा मामले में छात्र अब सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं। इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना फैसला दे सकता है। पूरे प्रकरण में ना तो कॉलेजों की गलती है और ना ही विवि एवं छात्रों की। सबकुछ आदेशों से हुआ। ऐसे में उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से छात्रों को राहत मिल जाएगी।
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