UP: खतरे में गणित-विज्ञान शिक्षकों की नौकरी!

इलाहाबाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के सीनियर बेसिक स्कूलों में नियुक्त गणित और विज्ञान के 29,334 शिक्षकों की नियुक्ति में अपात्रों को चयनित करने के मामले की जांच कर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को कार्रवाई का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि, ऐसे शिक्षकों की योग्यता के बारे में सूचना अधिकार के तहत
मांगे जाने पर याचियों को जानकारी दी जाए और बिना विज्ञान और गणित के स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण और नियुक्त शिक्षकों के मामले में 4 माह के अंदर सुनवाई कर निर्णय लिया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा है कि, प्रशिक्षण प्राप्त या प्रशिक्षण के अंतिम वर्ष के दौरान ही टीईटी में बैठा जा सकता है। जिन्होंने प्रशिक्षण के प्रथम वर्ष के दौरान ही टीईटी पास कर नियुक्ति पाई है, ऐसे अध्यापकों को सुनकर 6 माह में बीएसए निर्णय लें। कोर्ट ने आगे कहा कि, तथ्य के विषय की जांच अथॉरिटी द्वारा की जानी चाहिए ऐसे में याची अपनी शिकायत संबंधित बीएसए से करें और बीएसए जांच कर कार्यवाही करें। कोर्ट के इस फैसले से सैकड़ों शिक्षकों की नौकरी जा सकती है। प्रभात कुमार वर्मा व 53 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र ने किया है।


याचिकाएं 11 जुलाई 2013 की 29,334 गणित-विज्ञान सहायक अध्यापकों की भर्ती में मनमानी नियुक्ति के खिलाफ दाखिल की गई थी। यह नियुक्ति बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा सीनियर बेसिक स्कूलों में विज्ञान व गणित के खाली पदों के लिए की गई है। नियमानुसार इस पद पर नियुक्ति के लिए स्नातक में गणित या विज्ञान विषय के साथ टीईटी पास होना अनिवार्य है । याचियों का कहना था कि, टीईटी परीक्षा में वहीं बैठ सकते हैं जो सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त की योग्यता रखते हो। प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण ले रहे लोगों ने भी टीईटी परीक्षा दी और सफल होने पर उन्हें नियुक्ति दे दी गई। कोर्ट ने कहा कि नियमावली 1981 के तहत टीईटी में प्रशिक्षण के अंतिम वर्ष के छात्र या प्रशिक्षित हो चुके छात्र ही बैठ सकते हैं। यह दोनों प्रश्न तथ्यात्मक हैं। इसलिए पहले इस संबंध में बीएसए निर्णय लें।

याचियों का कहना था कि जिन्होंने स्नातक में गणित या विज्ञान विषय नहीं लिया है और जो प्रशिक्षित भी नहीं हैं या प्रशिक्षण के अंतिम वर्ष में नहीं हैं उन्हें नियुक्ति दे दी गई। प्रशिक्षण के प्रथम वर्ष वालों को टीईटी में बैठने का अधिकार ही नहीं है। क्योंकि जो सहायक अध्यापक नियुक्त हो सकते हैं केवल वही टीईटी परीक्षा दे सकते हैं। याचिकाओं में बीएसए पर बिना योग्यता व अर्हता के लोगों की नियुक्ति करने का आरोप लगाते हुए चुनौती दी गई थी। शासनादेश 2013 के विपरीत मनमानी नियुक्तियों को रद्द किए जाने की मांग की गई इस पर कोर्ट ने कहा कि, विभागीय अधिकारी पहले इस मामले में निर्णय लें और याचिकाकर्ताओं को बीएसए से शिकायत करने की छूट देते हुए निर्देश दिया है कि बीएसए शिकायत की जांच कर कार्रवा करें।

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