68,500 शिक्षकों की भर्ती में रिट याचिका संख्या 24172/2018 सोनिका देवी बनाम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट को देना है जवाब

लखनऊ. उप्र के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68,500 शिक्षकों की भर्ती में अनियमितताएं उजागर होने पर बैकफुट पर आई सरकार ने डैमेज कंट्रोल के लिए कदम बढ़ाते हुए शनिवार को बड़ी कार्रवाई की है.
शिक्षक भर्ती का लिखित इम्तिहान आयोजित करने के लिए जिम्मेदार संस्था परीक्षा नियामक प्राधिकारी की सचिव डॉ. सुत्ता सिंह को मुख्यमंत्री के निर्देश पर निलंबित करते हुए उनके खिलाफ अनुशासनिक जांच शुरू कर दी गई है. वहीं सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद के पद पर लंबे समय से जमे संजय सिन्हा से यह कुर्सी छीन ली गई है.
रजिस्ट्रार, विभागीय परीक्षाएं जीवेंद्र सिंह ऐरी को हटाकर उन्हें कौशांबी के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में वरिष्ठ प्रवक्ता के पद पर भेजा गया है. शिक्षक भर्ती में बरती गईं अनियमितताओं की जांच के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रमुख सचिव चीनी एवं गन्ना विकास संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है. सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक वेदपति मिश्रा और बेसिक शिक्षा निदेशक सवेर्द्र विक्रम बहादुर सिंह जांच समिति के सदस्य बनाये गए हैं.
हाईकोर्ट को देना है जवाब-
गौरतलब है कि इस मामले में रिट याचिका संख्या 24172/2018 सोनिका देवी बनाम उत्तर प्रदेश में कहा गया है कि मूल्यांकन के समय अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका ही बदल दी गई. सरकार की ओर से महाधिवक्ता को हाई कोर्ट को यह आश्वासन देना पड़ा है कि शासन स्तर पर इस मामले की जांच करायी जाएगी और इसमें जो व्यक्ति दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
फेल हुए 23 अभ्यर्थियों को कर दिया गया था उत्तीर्ण
बेसिक शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित लिखित परीक्षा में 23 ऐसे अभ्यर्थियों की सूची भी प्राप्त हुई जिन्हें परीक्षा में फेल होने के बावजूद उत्तीर्ण घोषित कर दिया गया. मामला उजागर होने पर इन सभी की नियुक्तियां बेसिक शिक्षा परिषद के माध्यम से रोकनी पड़ीं.
परीक्षा संस्था परिसर में जली कॉपियां और अभिलेख

परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय उप्र की सचिव डा. सुत्ता सिंह और रजिस्ट्रार पर कार्रवाई होने के चंद घंटे में ही परीक्षा संस्था परिसर में सरकारी अभिलेख व कॉपियां जलाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. इस पर हंगामा मच गया. कॉपियां मिलने की राह देख रहे अभ्यर्थियों ने जलते अभिलेख की फोटो व वीडियो वायरल किया है. उनका आरोप है कि गड़बड़ी के सुबूत मिटाने के लिए इस तरह की हरकत की गई है. उधर, निवर्तमान सचिव का फोन न उठने से उनका पक्ष नहीं जाना जा सका है.