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यूपी: शिक्षक भर्ती परीक्षा में अनियमित्ताओं की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में सम्पन्न हुई 68,500 सहायक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा में संज्ञान में आयी अनियमित्ताओं की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। यह समिति दोषियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए सात दिन के अन्दर अपनी आख्या प्रस्तुत करेगी।
उन्होंने अनियमितताओं के लिए प्रथम दृष्टया दोषी पायी गईं सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी श्रीमती सुत्ता सिंह को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर उनके विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाई प्रारम्भ करने के निर्देश दिए हैं। निलम्बन की अवधि में इन्हें निदेशक बेसिक शिक्षा के लखनऊ कार्यालय से सम्बद्ध किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बेसिक शिक्षा परिषद तथा सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद के रिक्त पदों पर अविलम्ब अधिकारियों की तैनाती किए जाने के निर्देश भी दिए हैं।
यह जानकारी आज यहां देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुपालन में शासन द्वारा प्रमुख सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास श्री संजय आर0 भूसरेड्डी की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई है। निदेशक सर्व शिक्षा अभियान श्री वेदपति मिश्रा तथा निदेशक बेसिक शिक्षा श्री सर्वेंद्र विक्रम सिंह को इस समिति का सदस्य नामित किया गया है।
ज्ञातव्य है कि इस प्रकरण में एक रिट याचिका संख्या 24172/2018 सोनिका देवी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में मा0 उच्च न्यायालय द्वारा यह संवीक्षण किया गया है कि इस प्रकरण में मूल्यांकन के समय अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका ही बदल दी गयी। इस सम्बन्ध में प्रदेश के महाधिवक्ता द्वारा मा0 उच्च न्यायालय में यह ंेेनतंदबम दिया गया है कि शासन स्तर पर इस सम्बन्ध में आवश्यक जाॅच कराने के पश्चात, इसमें जो भी व्यक्ति दोषी पाये जायेंगे उनके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।
यह भी उल्लेखनीय है कि इसी भर्ती परीक्षा के सम्बन्ध में 23 ऐसे अभ्यर्थियों की सूची भी प्राप्त हुई जो अनक्वालिफाइड थे, लेकिन उन्हें परीक्षा में क्वालीफाइड बताया गया। संज्ञान में आने पर इन सभी की नियुक्तियाॅ परिषद के माध्यम से रोक दी गयी हैं। प्रथम दृष्टया परीक्षा के मूल्यांकन में तथा परिणाम घोषित होने में गम्भीर अनियमित्ताएं परिलक्षित हुईं हैं, जिसमें और अधिक जाॅच की आवश्यकता है, ताकि सभी दोषियों के विरूद्ध एक्जेम्प्लरी कार्यवाही की जा सके। प्रकरण में कार्रवाई की प्रभावी मिसाल स्थापित करते हुए वरिष्ठ स्तर पर जिम्मेदारी निर्धारित करने के लिए मुख्यमंत्री जी ने यह निर्णय लिए हैं।

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