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इसी को लेकर विपक्ष की तरफ से भी तमाम तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. इसी के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी के नेता व पूर्व मीडिया पैनलिस्ट दीप्ति भारद्वाज ने सवाल उठाते हुए लिखा है कि केशव जी के हाथ प्रदेश की कमान दी होती तो न तो इतने जाति सम्मेलन करने पड़ते और न ही कार्यकर्ताओं के मन में क्षोभ होता. वह आगे लिखती हैं कि शिक्षकों और शिक्षामित्रों पर आए बयानों ने न सिर्फ खिल्ली उड़ाई है बल्कि शिक्षामित्रों का एक बड़ा वर्ग जो RSS और भाजपा से जुड़ा था उसमें गहरी निराशा फैली है. भाजपा नेता दीप्ति भारद्वाज आगे लिखते हैं कि शिक्षामित्रों की समस्या कश्मीर समस्या बना दी है.
उन्होंने अपनी पोस्ट में सवाल किया है कि हिंदुत्व की जगह जातिवाद पसर गया है. यही राष्ट्रवाद की विभत्स परिणति है क्या? ईटीवी को भेजे वीडियो में उन्होंने कहा है कि भाजपा नेता दीप्ति भारद्वाज ने अपने भेजे वीडियो में कहा है कि शिक्षामित्र भारतीय जनता पार्टी और RSS से भी जुड़े हुए हैं. ऐसे में उनकी समस्या का निदान जरूरी है. यह समस्या कश्मीर समस्या की तरह होती जा रही है और अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा है कि एक और बड़ी समस्या सामने आ रही है कि जब हम जाति की बात करना शुरू कर देते हैं. एक तरफ राष्ट्रवाद है और दूसरी तरफ हिंदुत्व, तीसरी तरफ जाति का शिगूफा उठाया है. इस सब चीजों को ध्यान में रखते हुए बड़े बदलाव की आवश्यकता है. हमें 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा से प्रधानमंत्री के रूप में लाना है क्योंकि इस देश को अगर विश्वगुरु बनाना है तो बार-बार मोदी सरकार सिर्फ एकमात्र यही नारा है और विकल्प है.
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कौन हैं दीप्ति भारद्वाज?
मूलरूप से बरेली की रहने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठभूमि की दीप्ति भारद्वाज जनवरी 2017 में यूपी भाजपा की मीडिया में पैनलिस्ट बनाई गईं। उससे पहले 2013 में भाजपा ब्रज क्षेत्र की महिला मोर्चा की क्षेत्रीय महामंत्री थीं। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुड़ी रहीं हैं।