शिक्षक भर्ती का फर्जीवाड़ाः एक अभ्यर्थी, दो रिजल्ट, दोनों में उत्तीर्ण

इलाहाबाद (जेएनएन)। परिषदीय स्कूलों की 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा में सिर्फ बिना परीक्षा देने वाले ही उत्तीर्ण नहीं हुए हैं, बल्कि जिन अभ्यर्थियों ने दो बार आवेदन किया, वह भी दो रजिस्ट्रेशन व रोल नंबर से उत्तीर्ण होने में सफल रहे हैं। एक ही अभ्यर्थी के दो अंक पत्र इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं।

शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में आए दिन नए राजफाश हो रहे हैं, जो परीक्षा संस्था को शर्मसार कर रहे हैं। प्रज्ञा यादव पुत्री ओम प्रकाश यादव जन्म तारीख एक जुलाई 1995 दो अंक पत्रों में बाकायदे दर्ज है। एक अंक पत्र में पंजीकरण संख्या 4900014924 व अनुक्रमांक 49491205282 में अभ्यर्थी 148 अंक पाकर उत्तीर्ण हुई है। वहीं, दूसरे अंक पत्र में पंजीकरण संख्या 5200007162 व अनुक्रमांक 52521106098 में अभ्यर्थी 82 अंक पाकर उत्तीर्ण हुआ है।

कुछ सोशल साइट पर प्रज्ञा यादव का तीसरा अंक पत्र भी वायरल हुआ है। हालांकि उसमें छात्रा को मिलने वाले 85 अंक तो पढऩे में आ रहे हैं लेकिन, पंजीकरण संख्या व अनुक्रमांक स्पष्ट नहीं लिखा है। प्रतियोगी परीक्षाओं में तमाम अभ्यर्थी दो या फिर तीन पंजीकरण करा लेते हैं लेकिन, उनका आवेदन वही मान्य होता है, जिसमें वह शुल्क जमा करता है।

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यदि यह मान भी लिया जाए कि प्रज्ञा ने दोनों आवेदनों में शुल्क जमा कर दिया हो तो एक ही समय में दो स्थानों पर शामिल होकर परीक्षा कैसे दे सकती है। जब एक समय में दो स्थानों पर इम्तिहान देना संभव नहीं है तो दो परिणाम आना कतई संभव नहीं है। यह प्रकरण भी अंकों की हेराफेरी का है। इस मामले में अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि इस मामले की शासन जांच करा रहा है उसकी रिपोर्ट आने पर ऐसे प्रकरणों का अंत होगा।

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चयनित अभ्यर्थी भी अंक दर्ज करने में हो सकते अनुत्तीर्ण

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शिक्षक भर्ती के परिणाम में 41556 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं। उनमें से अधिकांश विभिन्न जिलों में नियुक्ति पा चुके हैं। कुछ ही ऐसे अभ्यर्थी हैं जो किसी वजह से चयनित नहीं हो सके हैं। जिस तरह से अंक दर्ज करने में गड़बडिय़ां सामने आ रही हैं, उससे चयनित अभ्यर्थी उत्तीर्ण होकर आगे अनुत्तीर्ण भी हो सकते हैं। हालांकि अब तक किसी ने परिणाम पर सवाल नहीं किया है। लेकिन, जिस तरह से 23 अनुत्तीर्ण में से 20 ने जिला वरीयता के लिए आवेदन कर दिया था, नियुक्ति पत्र वितरण के पहले उन्हें रोका गया, वैसे ही चयनित भी अंकों के खेल में दायरे में आ जाएं तो हैरत की बात नहीं है।