यहां बच्चे ही बने ‘गुरु’: परिषदीय स्कूलों में शिक्षक भर्ती के बावजूद नहीं सुधरे हालात, एक शिक्षक पर पांच कक्षाएं, जुगाड़ से हो रही पढ़ाई

सरकारी शिक्षा व्यवस्था राजधानी में ही कराह रही है। हजारों की भर्ती के बावजूद कई स्कूल एक शिक्षक के भरोसे ही चल रहे हैं। ऐसे में शैक्षणिक गुणवत्ता का जहां शासन की चौखट पर ही दम घुट रहा है। वहीं नौनिहालों के भविष्य की बुनियाद भी खोखली पड़ रही है।
स्थिति यह है कि यहां बड़ी कक्षा के बच्चों के जरिए ही छोटी कक्षा के बच्चों को पढ़वाकर काम चलाया जा रहा है।1सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था सुधार के दावे हर सरकार में हुए, लेकिन वर्षो बाद भी हालत बदतर ही है। स्थिति यह है कि 65,800 सहायक शिक्षकों की भर्ती भी नाकाफी साबित हो रही है। कारण, हजारों अध्यापकों की भर्ती से भी राजधानी के ही स्कूलों में संकट दूर नहीं हो सका है। यहां संचालित 1,367 प्राथमिक विद्यालयों में से 197 नगर क्षेत्र में हैं। इनमें से नौ स्कूल एक ही शिक्षक के भरोसे हैं। यहां शिक्षामित्र भी नहीं हैं। लिहाजा, कक्षा एक से पांच तक के छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी एक ही शिक्षक पर है।
जुगाड़ से हो रही पढ़ाई : एकल शिक्षक विद्यालयों में जुगाड़ से पढ़ाई हो रही है। अलग-अलग के बजाए एक ही साथ कई कक्षाओं के छात्र बैठाए जा रहे हैं। बारी-बारी से सभी को काम दिया जाता है। वहीं कक्षा पांच के छात्रों को चार के बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जाती है।
148 में से 145 ने किया ज्वॉइन : राजधानी को दो चरणों में शिक्षकों का आवंटन किया गया। पहली बार में 93 शिक्षक मिले, जबकि दूसरी सूची में 55 अध्यापक दिए गए। कुल 148 मिले शिक्षकों में से 145 ने ही ज्वॉइन किया। वहीं इन्हें ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में तैनाती दे दी गई।