839 याचियों पर लटकी खतरे की तलवार ! हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक नए
सिरे से याचिका के जरिए नियुक्ति को दी जाएगी चुनौती, संविधान के अनुच्छेद
14 व 15 का उल्लघंन
»95 अभ्यर्थी 2012 विज्ञापन मे है आवेदनकर्ता
»37 याची बीएड 50/45 क्राईटेरिया को नही करते फालो
»सुप्रीम कोर्ट ने तर्दथ आधार पर दिया था नियुक्ति का आदेश,सरकार ने दे दी मौलिक नियुक्ति
-------------------------------------------------------
लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के शुल्क वापसी के फरमान से सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत नौकरी कर रहे 839 याची भी सांसत मे है। इनकी मुश्किले बढ़ सकती है। इनमे 95 याची ऐसे है जो 2012 विज्ञापन में आवेदनकर्ता है। 2011 विज्ञापन मे आवेदन न होने के बाद भी नियुक्ति पा गए। सुप्रीम कोर्ट 12वें संशोधन को रद्द कर चुकी है।15वें संशोधन को सही माना है लेकिन सरकार विज्ञापन पर भर्ती करने के बजाय शुल्क वापसी कर रही।
दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम सुनवाई के दौरान 1100 याचियों को तदर्थ आधार पर नियुक्ति करने का आदेश किया था जिसमे पूर्ववर्ती सरकार में बेशिक शिक्षा विभाग ने 839 याचियों को तदर्थ निुयुक्ति दी। बाद मे तदर्थ नियुक्ति पाए याचियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में मौलिक नियुक्ति हेतु याचिका दायर कर दी। बेशिक शिक्षा विभाग के आला अफसरो की मिलीभगत से मौलिक नियुक्ति पाने मे सफल हो गए। सरकार व अधिकारियो ने हाईकोर्ट में मौलिक नियुक्ति का विरोध नही किया। हाईकोर्ट के सामने सही तथ्य व जानकारी नही रखी गई। जब कि सुप्रीम कोर्ट से तदर्थ आधार पर नियुक्ति का आदेश था।
एक बार फिर यह मामला गरमाने लगा है। इन्हें कोर्ट मे घेरने की तैयारी की जा रही। नियमो को दरकिनार कर अधिकारियों ने नौकरी बांट दी। सुप्रीम कोर्ट ने गलत आधार पर नियुक्ति देने को नही कहा था। पूरे प्रकरण की जांच कराये जाने की भी जरूरत है। इसे लेकर आने वाले दिनो में हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक कई याचिकाए पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बेंच को अनुच्छेद 14 के उल्लघंन के तहत इसे जनहित याचिका के माध्यम से उठाए जाने की तैयारी है।
»95 अभ्यर्थी 2012 विज्ञापन मे है आवेदनकर्ता
»37 याची बीएड 50/45 क्राईटेरिया को नही करते फालो
»सुप्रीम कोर्ट ने तर्दथ आधार पर दिया था नियुक्ति का आदेश,सरकार ने दे दी मौलिक नियुक्ति
-------------------------------------------------------
लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के शुल्क वापसी के फरमान से सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत नौकरी कर रहे 839 याची भी सांसत मे है। इनकी मुश्किले बढ़ सकती है। इनमे 95 याची ऐसे है जो 2012 विज्ञापन में आवेदनकर्ता है। 2011 विज्ञापन मे आवेदन न होने के बाद भी नियुक्ति पा गए। सुप्रीम कोर्ट 12वें संशोधन को रद्द कर चुकी है।15वें संशोधन को सही माना है लेकिन सरकार विज्ञापन पर भर्ती करने के बजाय शुल्क वापसी कर रही।
दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम सुनवाई के दौरान 1100 याचियों को तदर्थ आधार पर नियुक्ति करने का आदेश किया था जिसमे पूर्ववर्ती सरकार में बेशिक शिक्षा विभाग ने 839 याचियों को तदर्थ निुयुक्ति दी। बाद मे तदर्थ नियुक्ति पाए याचियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में मौलिक नियुक्ति हेतु याचिका दायर कर दी। बेशिक शिक्षा विभाग के आला अफसरो की मिलीभगत से मौलिक नियुक्ति पाने मे सफल हो गए। सरकार व अधिकारियो ने हाईकोर्ट में मौलिक नियुक्ति का विरोध नही किया। हाईकोर्ट के सामने सही तथ्य व जानकारी नही रखी गई। जब कि सुप्रीम कोर्ट से तदर्थ आधार पर नियुक्ति का आदेश था।
एक बार फिर यह मामला गरमाने लगा है। इन्हें कोर्ट मे घेरने की तैयारी की जा रही। नियमो को दरकिनार कर अधिकारियों ने नौकरी बांट दी। सुप्रीम कोर्ट ने गलत आधार पर नियुक्ति देने को नही कहा था। पूरे प्रकरण की जांच कराये जाने की भी जरूरत है। इसे लेकर आने वाले दिनो में हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक कई याचिकाए पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बेंच को अनुच्छेद 14 के उल्लघंन के तहत इसे जनहित याचिका के माध्यम से उठाए जाने की तैयारी है।