स्कूलों में संसाधन नहीं है, पढ़ाई छोड़ शिक्षकों के जिम्मे दर्जनों काम
- सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की समस्याओं पर 'व्हाट्सएप संवाद'
सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की हालत खस्ता है। भवन जर्जर हैं। बैठने तक के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं है।
शिक्षकों की कमी से पढ़ाई चौपट
सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। कई स्कूल तो एक-एक शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं। कुछ में शौचालय तक नहीं हैं। कमरों की खिड़कियां टूट चुकी हैं। बाहर की ठंडी हवाएं दिन भर आती हैं। शौचालय की सफाई नहीं होती। गंदगी फैली हुई थी। बावजूद पूरे शिक्षा विभाग में इनकी कोई सुनवाई नहीं है।
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राज्य सरकार की सुविधाएं से हैं वंचित
शिक्षकों की जिम्मेदारी सिर्फ पढ़ाना होनी चाहिए। लेकिन, यहां शिक्षण के साथ सभी अन्य सरकारी विभागों के कार्यों का भार भी शिक्षकों के जिम्मे होता है। लाख कहने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं है। इन सबके बावजूद लाभार्थी के रूप में उसे राज्य सरकार की सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
- विनय कुमार सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन
पढ़ने के अलावा कई काम
हमारी नियुक्ति शिक्षा प्रदान करने के लिए है तो हमसे पढ़वाने के इतर सारे कार्य जैसे निर्माण कार्य,पोलियो अभियान, मिड डे मील भोजन निर्माण,रूबेला टीकाकरण, नारी सशक्तिकरण जैसे कार्य क्यों कराए जाते हैं। अधिकारियों के कार्यक्रम हो तो भी शिक्षकों को लगा दिया जाता है।
प्रदीप सिंह, अध्यक्ष, प्राथिमक शिक्षक संघ, ब्लॉक माल
बाबुओं और दफ्तरों के चक्कर न लगवाएं
शिक्षकों के पास कामों की कमी नहीं है। बावजूद, अपने हक का देयकों के लिए भी बाबुओं और दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। कार्यालयों में चक्कर लगाने के बाद भी खुशामत तक करनी होती है। अगर, यह प्रक्रिया समाप्त हो जाए तो शिक्षक ज्यादा से ज्यादा समय स्कूलों में दे सकेंगे।
- सुरेश जायसवाल, अध्यक्ष, पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ लखनऊ।
न्यूनतम सुविधाएं तो दें
अपर प्राइमरी स्कूल बिराहिमपुर मलिहाबाद लखनऊ की एक शिक्षिका पंचम वेतन का महगांई भत्ता एरियर के लिए अभी तक चक्कर लगा रही है। कई स्कूलों में फर्नीचर नहीं है। खिड़कियां न होने से सर्दी में कमरों में बैठना तक मुश्किल है। न्यूनतम सुविधाएं भी मिल जाएं तो काम करना आसान हो जाएगा।
- विमला चन्द्रा ब्लाक, अध्यक्ष, जू हा स्कूल शिक्षक संघ मलिहाबाद
शिक्षकों की भारी कमी
प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम प्रति कक्षा में एक शिक्षक के हिसाब से पांच शिक्षकों की नियुक्ति की जाय। शिक्षकों से समस्त कार्य तो समय से कराये जाते है लेकिन सरकार द्वारा समय से शिक्षकों के देयकों का समय से भुगतान नहीं किया जाता चाहे वह सातवें वेतन आयोग के अंतर की अवशेष धनराशि का भुगतान करने की बात हो या फिर उनके व्यक्तिगत देयकों की बात हो।
अवधेश कुमार , अध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, ब्लॉक मलिहाबाद
राज्यकर्मियों जैसे लाभ मिलें
राज्यकर्मियों को उनके देयकों जैसे डीए, अंतर अवशेष का भुगतान, बोनस, तत्काल भुगतान कर दिया जाता है। किन्तु शिक्षकों का भुगतान काफी विलम्ब से किया जाता है। इसी प्रकार शिक्षकों को चयन वेतनमान लगवाने के लिए भी काफी दौड़भाग करनी पड़ती है। चयन वेतनमान लगने के बाद लेखा कार्या अवशेष अंतर की धनराशि का भुगतान नहीं करते हैं।
- आशुतोष मिश्र, प्रांतीय महामंत्री, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन
गैर शैक्षणिक कार्य कराना बंद करें
शिक्षकों से केवल और केवल शैक्षणिक कार्य ही लिए जाएं। गैर शैक्षणिक कार्यों और लगातार किसी ना किसी कार्यक्रमों में शिक्षकों को प्रतिभाग कराने से शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- सुधांशु मोहन, जिला अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ लखनऊ
अधिकारी सकारात्मक रवैया रखें
शिक्षा की बेहतरी के लिए अधिकारियों के निरीक्षण नकारात्मक न होकर सकारात्मक होने चाहिए । शिक्षक किन समस्याओं के मध्य कार्य कर रहे हैं यह समझने की जरूरत है। कमियां दिखे तो बताएं। विद्यालय मे अच्छाइयॉ मिलें उन्हें नजरअंदाज न करके उन पर दो शब्द अच्छे भी बोलने चाहिए । प्रोत्साहन पर शिक्षकों और भी अच्छा काम कर सकेंगे।
- योगेन्द्र सिंह (अध्यक्ष ) उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक, संघ गोसाई गंज
काम करने का चिन्तामुक्त माहौल दें
शिक्षकों के देयकों के लिए उन्हें आफिस के बार बार चक्कर न लगाने पडें। ऐसा प्रयास होना चाहिए जिससे शिक्षक चिन्तामुक्त होकर विद्यालय मे शिक्षण कार्य कर सके । शिक्षकों से यथासम्भव विद्यालय के कार्यों के अतिरिक्त अन्य कार्य नहीं लिये जाने चाहिए ।
- लल्ली सिंह, सचिव, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन
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यह है शिक्षकों का दर्द
- कक्षा-कक्ष के अनुसार शिक्षकों की संख्या बेहद कम है।
- बीएलओ ड्यूटी, टीकाकरण जैसे अतिरिक्त अनावश्य कार्यों का बोझ है।
- नैतिक पतन के कारण अच्छे शिक्षकों को उसका भुगतान करना पड़ रहा है।
-सेवा अवधि प्रशिक्षण में खाना पूर्ति की जा रही है।
- वेतन, प्रोन्नति, समयमान वेतन मान जैसे अपने हक पाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
- राज्य की योजनाओं को बेहतर क्रियान्वयन के वावजूद गंभीर बीमारी सहायता में कोई लाभ नहीं है।
- 30-40 वर्ष सेवा के वावजूद पेंशन, ग्रेच्युटी ,एसीपी के लाभ से वंचित
(बॉक्स)
राजधानी में स्कूलों की स्थिति
कुल स्कूल : करीब 1850
अपर प्राइमरी : करीब 400
शिक्षकों की संख्या : करीब 6500
- सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की समस्याओं पर 'व्हाट्सएप संवाद'
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सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। कई स्कूल तो एक-एक शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं। कुछ में शौचालय तक नहीं हैं। कमरों की खिड़कियां टूट चुकी हैं। बाहर की ठंडी हवाएं दिन भर आती हैं। शौचालय की सफाई नहीं होती। गंदगी फैली हुई थी। बावजूद पूरे शिक्षा विभाग में इनकी कोई सुनवाई नहीं है।
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राज्य सरकार की सुविधाएं से हैं वंचित
शिक्षकों की जिम्मेदारी सिर्फ पढ़ाना होनी चाहिए। लेकिन, यहां शिक्षण के साथ सभी अन्य सरकारी विभागों के कार्यों का भार भी शिक्षकों के जिम्मे होता है। लाख कहने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं है। इन सबके बावजूद लाभार्थी के रूप में उसे राज्य सरकार की सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
- विनय कुमार सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन
पढ़ने के अलावा कई काम
हमारी नियुक्ति शिक्षा प्रदान करने के लिए है तो हमसे पढ़वाने के इतर सारे कार्य जैसे निर्माण कार्य,पोलियो अभियान, मिड डे मील भोजन निर्माण,रूबेला टीकाकरण, नारी सशक्तिकरण जैसे कार्य क्यों कराए जाते हैं। अधिकारियों के कार्यक्रम हो तो भी शिक्षकों को लगा दिया जाता है।
प्रदीप सिंह, अध्यक्ष, प्राथिमक शिक्षक संघ, ब्लॉक माल
बाबुओं और दफ्तरों के चक्कर न लगवाएं
शिक्षकों के पास कामों की कमी नहीं है। बावजूद, अपने हक का देयकों के लिए भी बाबुओं और दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। कार्यालयों में चक्कर लगाने के बाद भी खुशामत तक करनी होती है। अगर, यह प्रक्रिया समाप्त हो जाए तो शिक्षक ज्यादा से ज्यादा समय स्कूलों में दे सकेंगे।
- सुरेश जायसवाल, अध्यक्ष, पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ लखनऊ।
न्यूनतम सुविधाएं तो दें
अपर प्राइमरी स्कूल बिराहिमपुर मलिहाबाद लखनऊ की एक शिक्षिका पंचम वेतन का महगांई भत्ता एरियर के लिए अभी तक चक्कर लगा रही है। कई स्कूलों में फर्नीचर नहीं है। खिड़कियां न होने से सर्दी में कमरों में बैठना तक मुश्किल है। न्यूनतम सुविधाएं भी मिल जाएं तो काम करना आसान हो जाएगा।
- विमला चन्द्रा ब्लाक, अध्यक्ष, जू हा स्कूल शिक्षक संघ मलिहाबाद
शिक्षकों की भारी कमी
प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम प्रति कक्षा में एक शिक्षक के हिसाब से पांच शिक्षकों की नियुक्ति की जाय। शिक्षकों से समस्त कार्य तो समय से कराये जाते है लेकिन सरकार द्वारा समय से शिक्षकों के देयकों का समय से भुगतान नहीं किया जाता चाहे वह सातवें वेतन आयोग के अंतर की अवशेष धनराशि का भुगतान करने की बात हो या फिर उनके व्यक्तिगत देयकों की बात हो।
अवधेश कुमार , अध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, ब्लॉक मलिहाबाद
राज्यकर्मियों जैसे लाभ मिलें
राज्यकर्मियों को उनके देयकों जैसे डीए, अंतर अवशेष का भुगतान, बोनस, तत्काल भुगतान कर दिया जाता है। किन्तु शिक्षकों का भुगतान काफी विलम्ब से किया जाता है। इसी प्रकार शिक्षकों को चयन वेतनमान लगवाने के लिए भी काफी दौड़भाग करनी पड़ती है। चयन वेतनमान लगने के बाद लेखा कार्या अवशेष अंतर की धनराशि का भुगतान नहीं करते हैं।
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- योगेन्द्र सिंह (अध्यक्ष ) उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक, संघ गोसाई गंज
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- लल्ली सिंह, सचिव, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन
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यह है शिक्षकों का दर्द
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- 30-40 वर्ष सेवा के वावजूद पेंशन, ग्रेच्युटी ,एसीपी के लाभ से वंचित
(बॉक्स)
राजधानी में स्कूलों की स्थिति
कुल स्कूल : करीब 1850
अपर प्राइमरी : करीब 400
शिक्षकों की संख्या : करीब 6500