लखनऊ। हाईकोर्ट की Lucknow bench ने प्रदेश सरकार से 69 हजार सहायक
शिक्षकों की भर्ती के मामले में सोमवार तक के लिए यथास्थिति बहाल रखने को
कहा है।
Lucknow bench के जस्टिस राजेश सिंह चौहान ने शुक्रवार को यह आदेश रिजवान अहमद समेत सैकड़ों शिक्षामित्रों की ओर से दायर कई याचिकाओं पर दिए हैं।
इन याचिकाओं में सरकार की ओर से सामान्य वर्ग के लिए कटऑफ 65 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत कटऑफ रखने को चुनौती दी गई है। जिस पर कोर्ट ने कटऑफ कम करने के संबंध में सरकार से जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अमित सिंह भदौरिया के मुताबिक याचिकाओं में प्रदेश सरकार के सात जनवरी के उस शासनादेश को चुनौती दी गई है, जिसमें इस परीक्षा में शामिल सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 65 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 60 प्रतिशत न्यूनतम अर्हता अंक निर्धारित किया गया है।
कई अभ्यर्थियों के लिए मेरिट में स्थान पाना मुश्किल होगा
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इतना अधिक न्यूनतम अर्हता अंक निर्धारित करना मनमाना और भेदभावपूर्ण है क्योंकि पहले हुई इसी परीक्षा में न्यूनतम अर्हता 45 प्रतिशत रखी गई थी। नए निर्देशों की वजह से कई अभ्यर्थियों के लिए मेरिट में स्थान पाना मुश्किल होगा।
बृहस्पतिवार को हुई सुनवाई में प्रदेश सरकार और अन्य पक्षकारों की ओर से भी वकील प्रस्तुत हुए। हालांकि समय की कमी के कारण बहस पूरी नहीं हो सकी। ऐसे में हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए शुक्रवार सुबह 10:15 बजे का समय दिया था। जिस पर आज हाईकोर्ट की Lucknow bench ने अपना निर्णय दिया है।
Lucknow bench के जस्टिस राजेश सिंह चौहान ने शुक्रवार को यह आदेश रिजवान अहमद समेत सैकड़ों शिक्षामित्रों की ओर से दायर कई याचिकाओं पर दिए हैं।
इन याचिकाओं में सरकार की ओर से सामान्य वर्ग के लिए कटऑफ 65 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत कटऑफ रखने को चुनौती दी गई है। जिस पर कोर्ट ने कटऑफ कम करने के संबंध में सरकार से जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अमित सिंह भदौरिया के मुताबिक याचिकाओं में प्रदेश सरकार के सात जनवरी के उस शासनादेश को चुनौती दी गई है, जिसमें इस परीक्षा में शामिल सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 65 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 60 प्रतिशत न्यूनतम अर्हता अंक निर्धारित किया गया है।
कई अभ्यर्थियों के लिए मेरिट में स्थान पाना मुश्किल होगा
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इतना अधिक न्यूनतम अर्हता अंक निर्धारित करना मनमाना और भेदभावपूर्ण है क्योंकि पहले हुई इसी परीक्षा में न्यूनतम अर्हता 45 प्रतिशत रखी गई थी। नए निर्देशों की वजह से कई अभ्यर्थियों के लिए मेरिट में स्थान पाना मुश्किल होगा।
बृहस्पतिवार को हुई सुनवाई में प्रदेश सरकार और अन्य पक्षकारों की ओर से भी वकील प्रस्तुत हुए। हालांकि समय की कमी के कारण बहस पूरी नहीं हो सकी। ऐसे में हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए शुक्रवार सुबह 10:15 बजे का समय दिया था। जिस पर आज हाईकोर्ट की Lucknow bench ने अपना निर्णय दिया है।