कानपुर/लखनऊ (ब्यूरो)।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने शिक्षा मित्रों को प्राइमरी
स्कूलों में सहायक अध्यापक बनाए जाने पर पेंच फंसा दिया है। एनसीटीई के
क्षेत्रीय निदेशक डॉ. आईके मंसूरी ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करते हुए
कहा है कि अधिकतर शिक्षा मित्रों के पास स्नातक व बीएड की डिग्री नहीं है।
वे अनट्रेंड शिक्षक भी नहीं हैं वे 11 माह की नियुक्ति के बाद सिर्फ संविदा कर्मी हैं जिन्हें सहायक अध्यापक नहीं माना जा सकता है। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई सोमवार को होनी थी, लेकिन नंबर नहीं आ सका। वहीं, राज्य सरकार दूसरे चरण में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले करीब 92 हजार शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने की तैयारी में है।
सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता कहते हैं कि दो वर्षीय बीटीसी परीक्षा परिणाम आने के बाद दूसरे चरण वालों के समायोजन का कार्यक्रम जारी किया जाएगा।
इस मामले में कानपुर से दिनेश पाठक सहित पांच लोगों ने याचिका दाखिल की है। मूल वाद अरशद ने दाखिल किया था। रीट के मुताबिक शिक्षा मित्रों की क्वालिफिकेशन पर्याप्त नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने एनसीटीई को नोटिस जारी करके शपथ पत्र मांगा।
एनसीटीई ही टीचर एजूकेशन का नियम-कानून बनाती है। यह संस्था केंद्र सरकार के अधीन काम करती है। इस नोटिस पर एनसीटीई उत्तरी क्षेत्र के रीजनल डायरेक्टर डॉ. आईके मंसूरी ने 7 दिसंबर 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में शपथ पत्र दाखिल किया। रीजनल डायरेक्टर ने कहा कि संविदा कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर सहायक अध्यापक नहीं बनाया जा सकता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के लागू होने के बाद टीईटी जरूरी है।
टीईटी क्वालीफाई करने वाले ही सहायक अध्यापक बन सकते हैं। यूपी सरकार ने 3 जनवरी 2011 को शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने की अनुमति एनसीटीई चेयरमैन से मांगी थी। अनुमति नहीं मिली थी। इसके बावजूद शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाया गया है।
इसे पूरे विवाद की पृष्ठभूमि कुछ ऐसी है कि एनसीटीई की अनुमति के बगैर ही यूपी सरकार ने प्रदेश के 1.70 लाख शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने का फैसला कर लिया। विशेष ट्रेनिंग के बाद जुलाई 2014 में 58 हजार शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने का नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया। हालांकि पत्र में लिखा कि यह नियुक्ति याचिका संख्या 3205/2014 के फैसले के अधीन होगी। 58 हजार शिक्षा मित्र जुलाई 2014 से सहायक अध्यापक के रूप में पढ़ा रहे हैं लेकिन सहायक अध्यापक का वेतनमान उन्हें नहीं मिला है। सबके शैक्षिक दस्तावेजों का सत्यापन कराया जा रहा है। सत्यापन के बाद ही वेतनमान जारी किया जा सकेगा। अब 91 हजार शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाए जाने का रिजल्ट घोषित किया गया है। इन सबको जल्द ही सहायक अध्यापक बनाकर नियुक्ति पत्र जारी किया जाएगा। यह नियुक्ति भी हाईकोर्ट के फैसले के अधीन होगी। ऐसा हुआ तो 1.49 लाख शिक्षा मित्र सहायक अध्यापक बन जाएंगे। 21 हजार शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने का काम अभी चल रहा है। उन्हें दो साल का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
याचिका में कहा गया कि
एनसीटीई ने यह तर्क भी दिया
- शिक्षा मित्रों की नियुक्ति ग्राम प्रधान की कमेटी करती है। नियुक्ति 11 माह के लिए होती है। यदि दोबारा मौका देना होता है तो 11 माह का अनुबंध बढ़ाना पड़ता है। ग्राम प्रधान की कमेटी सरकारी पदों की नियुक्ति के लिए मान्य नहीं होती है। यह पद संविदा का है।
- शिक्षा मित्र की क्वालिफिकेशन इंटरमीडिएट है, जो कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की शैक्षिक अर्हता से मेल नहीं खाती है। ग्रेजुएशन और टीचर एजूकेशन की क्वालिफिकेशन के बाद ही प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बना जा सकता है।
- जो शिक्षा मित्र पढ़ा रहे हैं, वह मानदेय लेते हैं। मानदेय के साथ दो साल का विशेष प्रशिक्षण देना गलत है। शिक्षा मित्र के साथ ग्रेजुएशन की रेग्युलर डिग्री लेना भी गलत है। इसे मान्य नहीं किया जा सकता है।
- ग्रेजुएशन, बीएड और बीटीसी के बाद भी टीईटी पास होना जरूरी है। इसके बगैर नियुक्ति अमान्य होती है।
एनसीटीई के क्षेत्रीय निदेशक ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र देकर बताया संविदा कर्मी
दूसरे चरण में 92 हजार शिक्षा मित्रों को है शिक्षक बनाने की तैयारी
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वे अनट्रेंड शिक्षक भी नहीं हैं वे 11 माह की नियुक्ति के बाद सिर्फ संविदा कर्मी हैं जिन्हें सहायक अध्यापक नहीं माना जा सकता है। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई सोमवार को होनी थी, लेकिन नंबर नहीं आ सका। वहीं, राज्य सरकार दूसरे चरण में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले करीब 92 हजार शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने की तैयारी में है।
सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता कहते हैं कि दो वर्षीय बीटीसी परीक्षा परिणाम आने के बाद दूसरे चरण वालों के समायोजन का कार्यक्रम जारी किया जाएगा।
इस मामले में कानपुर से दिनेश पाठक सहित पांच लोगों ने याचिका दाखिल की है। मूल वाद अरशद ने दाखिल किया था। रीट के मुताबिक शिक्षा मित्रों की क्वालिफिकेशन पर्याप्त नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने एनसीटीई को नोटिस जारी करके शपथ पत्र मांगा।
एनसीटीई ही टीचर एजूकेशन का नियम-कानून बनाती है। यह संस्था केंद्र सरकार के अधीन काम करती है। इस नोटिस पर एनसीटीई उत्तरी क्षेत्र के रीजनल डायरेक्टर डॉ. आईके मंसूरी ने 7 दिसंबर 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में शपथ पत्र दाखिल किया। रीजनल डायरेक्टर ने कहा कि संविदा कर्मचारियों को प्रशिक्षण देकर सहायक अध्यापक नहीं बनाया जा सकता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के लागू होने के बाद टीईटी जरूरी है।
टीईटी क्वालीफाई करने वाले ही सहायक अध्यापक बन सकते हैं। यूपी सरकार ने 3 जनवरी 2011 को शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने की अनुमति एनसीटीई चेयरमैन से मांगी थी। अनुमति नहीं मिली थी। इसके बावजूद शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाया गया है।
इसे पूरे विवाद की पृष्ठभूमि कुछ ऐसी है कि एनसीटीई की अनुमति के बगैर ही यूपी सरकार ने प्रदेश के 1.70 लाख शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने का फैसला कर लिया। विशेष ट्रेनिंग के बाद जुलाई 2014 में 58 हजार शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने का नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया। हालांकि पत्र में लिखा कि यह नियुक्ति याचिका संख्या 3205/2014 के फैसले के अधीन होगी। 58 हजार शिक्षा मित्र जुलाई 2014 से सहायक अध्यापक के रूप में पढ़ा रहे हैं लेकिन सहायक अध्यापक का वेतनमान उन्हें नहीं मिला है। सबके शैक्षिक दस्तावेजों का सत्यापन कराया जा रहा है। सत्यापन के बाद ही वेतनमान जारी किया जा सकेगा। अब 91 हजार शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाए जाने का रिजल्ट घोषित किया गया है। इन सबको जल्द ही सहायक अध्यापक बनाकर नियुक्ति पत्र जारी किया जाएगा। यह नियुक्ति भी हाईकोर्ट के फैसले के अधीन होगी। ऐसा हुआ तो 1.49 लाख शिक्षा मित्र सहायक अध्यापक बन जाएंगे। 21 हजार शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने का काम अभी चल रहा है। उन्हें दो साल का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
याचिका में कहा गया कि
एनसीटीई ने यह तर्क भी दिया
- शिक्षा मित्रों की नियुक्ति ग्राम प्रधान की कमेटी करती है। नियुक्ति 11 माह के लिए होती है। यदि दोबारा मौका देना होता है तो 11 माह का अनुबंध बढ़ाना पड़ता है। ग्राम प्रधान की कमेटी सरकारी पदों की नियुक्ति के लिए मान्य नहीं होती है। यह पद संविदा का है।
- शिक्षा मित्र की क्वालिफिकेशन इंटरमीडिएट है, जो कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की शैक्षिक अर्हता से मेल नहीं खाती है। ग्रेजुएशन और टीचर एजूकेशन की क्वालिफिकेशन के बाद ही प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बना जा सकता है।
- जो शिक्षा मित्र पढ़ा रहे हैं, वह मानदेय लेते हैं। मानदेय के साथ दो साल का विशेष प्रशिक्षण देना गलत है। शिक्षा मित्र के साथ ग्रेजुएशन की रेग्युलर डिग्री लेना भी गलत है। इसे मान्य नहीं किया जा सकता है।
- ग्रेजुएशन, बीएड और बीटीसी के बाद भी टीईटी पास होना जरूरी है। इसके बगैर नियुक्ति अमान्य होती है।
एनसीटीई के क्षेत्रीय निदेशक ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र देकर बताया संविदा कर्मी
दूसरे चरण में 92 हजार शिक्षा मित्रों को है शिक्षक बनाने की तैयारी
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