कानपुर, जागरण संवाददाता: प्रदेश के परिषदीय स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाओं
के वेतन पर 36 हजार करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद शैक्षिक स्तर शून्य
रहने से चितिंत शासन स्कूलों में शैक्षिक माहौल बनाने को सख्त कदम उठाने की
तैयारी में है।
जल्दी ही स्कूलों में पढ़ाई के नए मानक लागू हो जाएंगे जिसके चलते गुरुजनों को कक्षा में नियमित पढ़ाना तो होगा ही, बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए भी काम करने होंगे।
बेसिक शिक्षा परिषद अच्छी पढ़ाई कराने के लिए दंड व प्रोत्साहन दोनों ही विधियों को अमल में लाने जा रहा है। ये मानक शिक्षकों व छात्रों दोनों के साथ लागू होंगे यानि अच्छा काम तो इनाम और खराब प्रदर्शन पर कार्रवाई। इसके लिए निरीक्षण की लागू पूर्ववत् व्यवस्था बदली जा रही है। अब निरीक्षणकर्ताओं को एक हाईटेक प्रोफार्मा दिया जाएगा जिस पर उन्हें रिपोर्ट देनी होगी। उसकी जांच भी हाईटेक होगी। व्यवस्था ऐसी कि उसमें कोई हेराफेरी की तो पकड़े गए। अभी तक स्कूलों में छमाही व सालाना परीक्षा होती है परंतु अब कई परीक्षाएं होंगी। शिक्षकों को उसका रिकार्ड रखना होगा। हाईटेक व्यवस्था से बच्चों को प्राप्त ज्ञान की कसौटी पर शिक्षकों के प्रदर्शन को कसा जाएगा। उसी आधार पर उन्हें पुरस्कार मिलेगा या कार्रवाई होगी। इसके लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण देने की भी तैयारी है।
नहीं चलेगा निरीक्षण में खेल
अब खंड शिक्षाधिकारियों (एबीएसए) को निरीक्षण की आड़ में कथित वसूली का मौका नहीं मिलेगा। विद्यालयों के शैक्षणिक नियोजन, प्रशासन व गुणवत्ता के प्रति उन्हें उत्तरदायी बनाया जा रहा है। शिक्षकों की नियमित उपस्थिति व अच्छा पढ़ाने का औचक भौतिक सत्यापन होगा। इसके लिए एबीएसए की भी जवाबदेही होगी।
स्कूलों को मिलेगी सामग्री
स्कूलों को पठन-पाठन के स्तर के अनुरूप बाल साहित्य मुहैया कराया जाएगा। कौशल विकास पर विशेष ध्यान रहेगा। रंट्टा लगवाने की पढ़ाई के बजाय 'करके सीखो' पर आधारित होगी। इसके लिए स्कूलों को विशेष सहायक सामग्री मिलेगी। रिपोर्ट तैयार करनी होगी कि क्या सीखा, कैसे सीखा?
अभिभावक मागेंगे जवाब
प्रधानाध्यापकों को प्रत्येक माह विद्यालय प्रबंध समिति व अभिभावक समिति की बैठक करनी होगी। निजी स्कूलों की तर्ज पर अभिभावकों को बताया जाएगा कि उनका पाल्य किस क्षेत्र में अच्छा काम कर रहा है और कहां कमजोरियां हैं। बच्चों की अधिकतम उपस्थिति के लिए अभिभावकों की मदद ली जाएगी। राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद जल्दी ही विशेष शैक्षिक कैलेंडर जारी करेगा।
''स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रति शासन की ओर से सख्त व्यवस्थाएं की जा रही हैं। हर स्तर पर जांच होगी। अब आंकड़ेबाजी से काम नहीं चलेगा। विद्यालयी तंत्र को सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करना ही होगा।'' - कृष्णमोहन त्रिपाठी, वरिष्ठ सलाहकार सर्व शिक्षा अभियान
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जल्दी ही स्कूलों में पढ़ाई के नए मानक लागू हो जाएंगे जिसके चलते गुरुजनों को कक्षा में नियमित पढ़ाना तो होगा ही, बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए भी काम करने होंगे।
बेसिक शिक्षा परिषद अच्छी पढ़ाई कराने के लिए दंड व प्रोत्साहन दोनों ही विधियों को अमल में लाने जा रहा है। ये मानक शिक्षकों व छात्रों दोनों के साथ लागू होंगे यानि अच्छा काम तो इनाम और खराब प्रदर्शन पर कार्रवाई। इसके लिए निरीक्षण की लागू पूर्ववत् व्यवस्था बदली जा रही है। अब निरीक्षणकर्ताओं को एक हाईटेक प्रोफार्मा दिया जाएगा जिस पर उन्हें रिपोर्ट देनी होगी। उसकी जांच भी हाईटेक होगी। व्यवस्था ऐसी कि उसमें कोई हेराफेरी की तो पकड़े गए। अभी तक स्कूलों में छमाही व सालाना परीक्षा होती है परंतु अब कई परीक्षाएं होंगी। शिक्षकों को उसका रिकार्ड रखना होगा। हाईटेक व्यवस्था से बच्चों को प्राप्त ज्ञान की कसौटी पर शिक्षकों के प्रदर्शन को कसा जाएगा। उसी आधार पर उन्हें पुरस्कार मिलेगा या कार्रवाई होगी। इसके लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण देने की भी तैयारी है।
नहीं चलेगा निरीक्षण में खेल
अब खंड शिक्षाधिकारियों (एबीएसए) को निरीक्षण की आड़ में कथित वसूली का मौका नहीं मिलेगा। विद्यालयों के शैक्षणिक नियोजन, प्रशासन व गुणवत्ता के प्रति उन्हें उत्तरदायी बनाया जा रहा है। शिक्षकों की नियमित उपस्थिति व अच्छा पढ़ाने का औचक भौतिक सत्यापन होगा। इसके लिए एबीएसए की भी जवाबदेही होगी।
स्कूलों को मिलेगी सामग्री
स्कूलों को पठन-पाठन के स्तर के अनुरूप बाल साहित्य मुहैया कराया जाएगा। कौशल विकास पर विशेष ध्यान रहेगा। रंट्टा लगवाने की पढ़ाई के बजाय 'करके सीखो' पर आधारित होगी। इसके लिए स्कूलों को विशेष सहायक सामग्री मिलेगी। रिपोर्ट तैयार करनी होगी कि क्या सीखा, कैसे सीखा?
अभिभावक मागेंगे जवाब
प्रधानाध्यापकों को प्रत्येक माह विद्यालय प्रबंध समिति व अभिभावक समिति की बैठक करनी होगी। निजी स्कूलों की तर्ज पर अभिभावकों को बताया जाएगा कि उनका पाल्य किस क्षेत्र में अच्छा काम कर रहा है और कहां कमजोरियां हैं। बच्चों की अधिकतम उपस्थिति के लिए अभिभावकों की मदद ली जाएगी। राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद जल्दी ही विशेष शैक्षिक कैलेंडर जारी करेगा।
''स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रति शासन की ओर से सख्त व्यवस्थाएं की जा रही हैं। हर स्तर पर जांच होगी। अब आंकड़ेबाजी से काम नहीं चलेगा। विद्यालयी तंत्र को सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करना ही होगा।'' - कृष्णमोहन त्रिपाठी, वरिष्ठ सलाहकार सर्व शिक्षा अभियान
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