जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाचार्यों की प्रोन्नति पर रोक
इलाहाबाद (ब्यूरो)। हाईकोर्ट ने जिले के परिषदीय जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाचार्य के पद पर प्रोन्नति के लिए जारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के 13 जुलाई 2015 और 16 जुलाई 2015 के आदेशों पर रोक लगा दी है। विवाद प्रोन्नति पाने वाले शिक्षकों की वरिष्ठता को लेकर है। मामले में सरला कुमारी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बीएसए इलाहाबाद द्वारा जारी 13 जुलाई की वरिष्ठता सूची को चुनौती दी है।याची का कहना है कि नियमानुसार वरिष्ठता का निर्धारण प्रोन्नति पाने की तिथि से किया जाना चाहिए न कि नियुक्ति की तिथि से, जबकि बीएसए ने वरिष्ठता का निर्धारण नियुक्ति की तिथि से किया है। याची की दलील थी कि अनिल कुमार पांडेय के केस में हाईकोर्ट ने कहा है कि उच्च कैडर में प्रोन्नत पा चुके अध्यापकों को वरिष्ठता में ऊपर माना जाए। वरिष्ठता निर्धारण के मामले में मऊ के तपेसर राम की याचिका पर हाईकोर्ट पहले से सुनवाई कर रहा है। तपेसर राम के मामले में याची का दावा था कि उसे विज्ञान वर्ग में पहले ही जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर प्रोन्नति दी जा चुकी है। इसलिए अब प्रधानाचार्य के पद के लिए जारी वरिष्ठता सूची में उसकी वरिष्ठता प्रोन्नति तिथि से जोड़ी जानी चाहिए न कि नियुक्ति की तिथि से। नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता जोड़े जाने से याचीगण को नुकसान होगा और वह प्राथमिक विद्यालयों में उनसे पहले नियुक्त अध्यापकों से वरिष्ठता में नीचे हो जाएंगे। सरला कुमारी की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने बीएसए द्वारा जारी वरिष्ठता सूची और प्रोन्नति आदेश पर रोक लगाते हुए इसे तपेसर राम की याचिका के साथ सुनवाई के लिए संबद्ध करने का निर्देश दिया है।
नियुक्ति तिथि या प्रोन्नति तिथि से वरिष्ठता जोड़े जाने को लेकर विवाद
सहायक अध्यापकों की प्रोन्नति भी होगी प्रभावित
जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाचार्यों की वरिष्ठता सूची और प्रोन्नति आदेश पर रोक लगाने से प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों की प्रोन्नति भी प्रभावित होगी। सहायक अध्यापकों की वरिष्ठता सूची तैयार है और काउंसलिंग के लिए जूनियर हाईस्कूली में प्रोन्नत अध्यापकों के पद भार ग्रहण करने का इंतजार था। इनमें से कई ने अपनों पदों पर ज्वाइन कर लिया है, मगर तमाम ऐसे भी हैं जिन्होंने अभी ज्वाइन नहीं किया है। बीएसए कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह शिक्षक ज्चाइन नहीं कर सकेंगे, जिससे आगे की प्रक्रिया भी बाधित होगी।
इलाहाबाद (ब्यूरो)। हाईकोर्ट ने जिले के परिषदीय जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाचार्य के पद पर प्रोन्नति के लिए जारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के 13 जुलाई 2015 और 16 जुलाई 2015 के आदेशों पर रोक लगा दी है। विवाद प्रोन्नति पाने वाले शिक्षकों की वरिष्ठता को लेकर है। मामले में सरला कुमारी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बीएसए इलाहाबाद द्वारा जारी 13 जुलाई की वरिष्ठता सूची को चुनौती दी है।याची का कहना है कि नियमानुसार वरिष्ठता का निर्धारण प्रोन्नति पाने की तिथि से किया जाना चाहिए न कि नियुक्ति की तिथि से, जबकि बीएसए ने वरिष्ठता का निर्धारण नियुक्ति की तिथि से किया है। याची की दलील थी कि अनिल कुमार पांडेय के केस में हाईकोर्ट ने कहा है कि उच्च कैडर में प्रोन्नत पा चुके अध्यापकों को वरिष्ठता में ऊपर माना जाए। वरिष्ठता निर्धारण के मामले में मऊ के तपेसर राम की याचिका पर हाईकोर्ट पहले से सुनवाई कर रहा है। तपेसर राम के मामले में याची का दावा था कि उसे विज्ञान वर्ग में पहले ही जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर प्रोन्नति दी जा चुकी है। इसलिए अब प्रधानाचार्य के पद के लिए जारी वरिष्ठता सूची में उसकी वरिष्ठता प्रोन्नति तिथि से जोड़ी जानी चाहिए न कि नियुक्ति की तिथि से। नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता जोड़े जाने से याचीगण को नुकसान होगा और वह प्राथमिक विद्यालयों में उनसे पहले नियुक्त अध्यापकों से वरिष्ठता में नीचे हो जाएंगे। सरला कुमारी की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने बीएसए द्वारा जारी वरिष्ठता सूची और प्रोन्नति आदेश पर रोक लगाते हुए इसे तपेसर राम की याचिका के साथ सुनवाई के लिए संबद्ध करने का निर्देश दिया है।
नियुक्ति तिथि या प्रोन्नति तिथि से वरिष्ठता जोड़े जाने को लेकर विवाद
सहायक अध्यापकों की प्रोन्नति भी होगी प्रभावित
जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाचार्यों की वरिष्ठता सूची और प्रोन्नति आदेश पर रोक लगाने से प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों की प्रोन्नति भी प्रभावित होगी। सहायक अध्यापकों की वरिष्ठता सूची तैयार है और काउंसलिंग के लिए जूनियर हाईस्कूली में प्रोन्नत अध्यापकों के पद भार ग्रहण करने का इंतजार था। इनमें से कई ने अपनों पदों पर ज्वाइन कर लिया है, मगर तमाम ऐसे भी हैं जिन्होंने अभी ज्वाइन नहीं किया है। बीएसए कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह शिक्षक ज्चाइन नहीं कर सकेंगे, जिससे आगे की प्रक्रिया भी बाधित होगी।
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