यह कैसी पढ़ाई करा रहे बीटीसी कालेज, टीईटी की पहली ही परीक्षा में अधिकांश प्रशिक्षित औंधे मुंह UPTET : धरनारत टीईटी अभ्यर्थियों ने मांगी नियुक्ति, लक्ष्मण मेला स्थल पर दो दिवसीय धरने पर बैठे प्रदर्शनकारी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

उलटबांसी ही है कि बीते चार सालों में बीटीसी कालेजों की संख्या तो दोगुना बढ़ गई लेकिन उनमें प्रशिक्षण पाने वालों के लिए अपनी पहली ही परीक्षा पास करने के लाले हैं। इस साल भी अधिकांश परीक्षार्थी टीईटी में शामिल हुए थे लेकिन सूबे की इस सबसे बड़ी परीक्षा का रिजल्ट महज 17 फीसद ही रहा।



प्राथमिक शिक्षक संघ के संयोजक लल्लन मिश्र कहते हैं कि बीटीसी कालेज फैक्टरी बनते जा रहे हैं। 1बेसिक शिक्षा परिषद के लिए शिक्षक तैयार करने की जिम्मेदारी डायट व बीटीसी कालेजों पर ही है। चार साल पहले तक हर जिले में मात्र एक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) होता रहा है, जो उम्दा पढ़ाई के लिए भी जाना जाता था। अनुशासन और ड्रेस कोड का वहां कड़ाई से पालन होता रहा है। डायट में प्रशिक्षु शिक्षकों की उपस्थिति पर विशेष जोर दिया जाता था। वजह यह थी कि जब प्रशिक्षु संस्थान आएंगे तो उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। 2012-13 से निजी कालेजों को भी बीटीसी की संबद्धता दी जाने लगी। उसके बाद से निजी कालेजों के संचालकों में बीटीसी की संबद्धता पाने की ऐसी होड़ मची कि देखते ही देखते ऐसे कालेजों की भरमार हो गई। वहां डायट से उलट नियम चल रहे हैं। ड्रेस कोड, उपस्थिति व अनुशासन आदि का पैमाना धन के इर्द-गिर्द आकर ठहर गया है। प्रशिक्षु शिक्षक कालेज जाने की बजाए कालेज संचालकों को खुश करके उपस्थिति दर्ज करा लेते हैं। यह हाल सभी निजी कालेजों का भले न हो, लेकिन अधिकांश इसी पैटर्न पर चल रहे हैं। इम्तिहान के दिनों में ही यहां प्रशिक्षु दिखाई पड़ते हैं। 1मनमाने तरीके से और अपनी सुविधा के अनुसार पढ़ाई करने के कारण बीटीसी कालेजों का शैक्षिक स्तर निरंतर गिरता जा रहा है। ताज्जुब यह है कि जो पढ़ाई प्रशिक्षु कर रहे हैं, उसी की परीक्षा 83 फीसद उत्तीर्ण नहीं कर सके। ऐसे में कालेजों के प्रशिक्षण पर अंगुली जरूर उठ रही है।
ज्ञात हो कि बीटीसी उत्तीर्ण करने के बाद टीईटी की परीक्षा पास करना जरूरी है, तभी युवा शिक्षक बन सकते हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के अनुसार इधर बड़ी संख्या में प्रशिक्षु शिक्षकों का सेमेस्टर की परीक्षा में बैक पेपर आ रहा है। हालत यह है कि एक प्रशिक्षु दूसरे सेमेस्टर में बैक दे रहा है और तीसरे में भी बैक पेपर आ गया है। ऐसे में प्रशिक्षु ऐन-केन प्रकारेण परीक्षा उत्तीर्ण करने की जुगत लगा रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच यह सवाल अनुत्तरित रह जाता है कि आखिर ऐसे शिक्षक बच्चों को शिक्षा क्या देंगे? निजी कालेजों में पढ़ाई का स्तर कैसे सुधरे इस पर भी कोई गंभीर नहीं है? केवल सभी को प्रवेश दिलाने भर की चिंता है।

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