लखनऊ: राज्य कर्मचारियों
की हड़ताल से सरकार को दो दिनों में 1800 करोड़ रुपये का राजस्व झटका लगा
है. दूसरे दिन यानी गुरुवार को राजधानी में शतप्रतिशत विभागों में कामकाज
लगभग ठप्प रहा.
उद्यान विभाग के मुख्यालय पर तालाबंदी के
दौरान राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि
तीन दिन की हड़ताल केवल संकेत है. अगर सरकार ने मांगे नहीं मानी तो
अनिश्चितकालीन हड़ताल को मजबूर होंगे.
तिवारी ने बताया कि इन दो दिनों की
महाहड़ताल में रजिस्ट्री से 400 करोड़, वाणिज्यकर से 800 करोड़, आबकारी से
200 करोड़, आरटीओ से 300 करोड़, राजस्व (मंनोरंजन कर, बचत, खनन, रायल्टी,
बैंक, स्टांप) से 200 करोड़ रुपये की राजस्व हानि सरकार को होने का पूर्ण
अनुमान है.
परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया
कि दो दिनों में हड़ताल के चलते 300 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हुआ और
4,26,328 मस्टर रोल फीड नहीं हो पाए हैं, जिसके कारण लगभग 8 करोड़ रुपये की
मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया है.
उन्होंने बताया कि सांकेतिक रूप से
स्वास्थ्य सेवाओं में सिर्फ तीन घंटे का कार्य बहिष्कार किया है. 12 को
इमरजेंसी छोड़कर सभी सेवाएं पूर्णत: बंद रहेंगी.
मिश्रा के मुताबिक, 12 अगस्त को डॉ. राम
मनोहर लोहिया चिकित्सालय पर सभा की जाएगी. इसके अलावा आज सिंचाई,
वाणिज्यकर, आरटीओ, शिक्षा भवन, अर्थ एवं संख्या, श्रम, समाज कल्याण,
विकासदीप, उद्यान, कृषि विपणन, उपभोक्ता फोरम, ट्रेजरी, रजिस्ट्री, आबकारी,
वन, मातृ शिशु कल्याण, सहाकारी संघ, विकासभवन, तहसील, बाटमाप, विभागों से
परिषद को हड़ताल में समर्थन मिला है.
दूसरे दिन बढ़ा हड़ताल का दायरा
उत्तर प्रदेश में विभिन्न मांगों को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद
के बैनर तले कल शुरू हुई लाखों राज्यकर्मियों की तीन दिवसीय प्रदेशव्यापी
हड़ताल आज दूसरे दिन भी जारी रही. परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने
ताया कि प्रदेशव्यापी हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही और इसका दायरा भी
बढ़ाया गया. कुछ दफ्तरों जिनमें कल काम हुआ था, वे भी आज बंद कराये गये.उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने हड़ताल से हो रहे नुकसान के मद्देनजर कर्मचारी नेताओं को शाम को बातचीत के लिये बुलाया है. उसके नतीजे के आधार पर हड़ताल के सिलसिले में कोई फैसला किया जाएगा.
तिवारी ने कहा कि राज्यकर्मियों की हड़ताल की वजह से सरकार को अब तक कम से कम 1800 करोड़ रपये का नुकसान हुआ है. हड़ताल को अधिकारी कर्मचारी महापरिषद समेत विभिन्न कर्मचारी संगठनों का पूरा सहयोग मिल रहा है.
उन्होंने बताया कि इस तीन दिवसीय हड़ताल के दूसरे दिन भी शिक्षा, उद्यान, समाज कल्याण, लोकनिर्माण, श्रम, परिवहन, कोषागार, कृषि तथा लेखा समेत तमाम विभागों के दफ्तर बंद रहे.
तिवारी ने बताया कि दफ्तर बंद करके उनके गेट पर कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन किया. अगर मुख्य सचिव के साथ वार्ता में बात नहीं बनी तो राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद हड़ताल की समीक्षा करके भविष्य की रणनीति तय करेगी. यह हड़ताल अनिश्चितकालीन भी हो सकती है.
तिवारी ने बताया कि साल 2013 में परिषद के ही बैनर तले हुई महाहड़ताल के दौरान हाई न्यायालय के हस्तक्षेप पर राज्य सरकार चार मांगें मानने को तैयार हो गयी थी. उन्होंने बताया कि इन मांगों में राज्य कर्मचारियों को ‘कैशलेस’ इलाज की सुविधा, तहसीलदारों की पदोन्नति खत्म ना करने, सफाई कर्मचारियों को ग्राम प्रधानों से असम्बद्ध करके उनकी पदोन्नति की नियमावली बनाने और लिपिकों की समय से पदोन्नति में व्याप्त बाधाएं दूर करना शामिल था.
तिवारी ने बताया कि उस समय सरकार ने इन मांगों पर सहमति जता दी थी, लेकिन उन पर अमल नहीं किया गया. अन्य मांगों को लेकर समितियां तो बनायी लेकिन कोई निर्णय नहीं हुआ.
उत्तर प्रदेश के 16 लाख कर्मचारी 3 दिवसीय हड़ताल पर
उत्तर प्रदेश में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनल तले राज्य के कर्मचारी और शिक्षक अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार से तीन दिवसीय हड़ताल पर हैं. इस हड़ताल में 250 कर्मचारी और शिक्षक संगठनों के करीब 16 लाख से अधिक कर्मचारी शामिल हैं. हड़ताल से कई विभागों में कामकाज पर इसका व्यापक असर दिखाई दिया. परिवहन विभाग, शिक्षा विभाग, लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों के कर्मचारी काम पर नहीं आए. हड़ताल से राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. दूर से आने वाले मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया, “हड़ताल को प्रदेश के करीब 250 कर्मचारी और शिक्षक संगठनों का समर्थन हासिल है. हड़ताल में 16 लाख से अधिक कर्मचारी शामिल हैं.”
उन्होंने बताया कि पिछली बार जब लक्ष्मण मेला मैदान में रैली का ऐलान किया गया था, तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन ने आश्वासन दिया था कि मुख्यमंत्री के विदेश से लौटने के बाद इस मुद्दे पर बात की जाएगी. आश्वासन मिलने के बाद तब हड़ताल समाप्त कर दी गई थी.
हरिकिशोर के मुताबिक, गत 13 जुलाई को जब परिषद ने मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव किया तब वर्तमान मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने दो प्रमुख मांगों को अगली कैबिनेट की बैठक में रखे जाने का भरोसा दिया था, लेकिन मुख्य सचिव अपना वादा पूरा नहीं कर पाए.
ज्ञात हो कि कर्मचारियों की जिन मांगों पर औपचारिक सहमति बन चुकी है, उनमें मुख्य तौर पर केंद्रीय कर्मचारियों के समान मकान का किराया भत्ता देना तथा पुरानी पेंशन नीति बहाल करना शामिल हैं.
उधर, सफाईकर्मी भी अपनी मांगों को लेकर इस हड़ताल में शामिल हो गए हैं. उत्तर प्रदेश सफाई कर्मचारी संघ के नेता जगदीश वाल्मीकि ने बताया कि प्रदेश में करीब 65 हजार सफाई कर्मचारी हैं, जो इस हड़ताल को अपना समर्थन दे रहे हैं.
उन्होंने बताया कि सफाईकर्मियों की मांग है कि नगर विकास विभाग की ओर से जारी शासनादेश में संविदा सफाई कर्मचारी के पदों पर नियुक्ति के लिए लागू आरक्षण व्यवस्था को निरस्त किया जाए और नियुक्ति की ठेका प्रणाली तत्काल बंद की जाए.
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