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तदर्थ आधार पर नियुक्त याची नेता बाद में बने याचियों की नियुक्ति नहीं चाहते लेकिन.................

ऐसा नहीं है कि तदर्थ आधार पर नियुक्त याची नेता बाद में बने याचियों की नियुक्ति नहीं चाहते लेकिन कोई याची नेता या तदर्थ आधार पर जॉब पा चुका उसका गुर्गा इतना बड़ा धर्मात्मा भी नहीं है कि दूसरों को भी जॉब दिलाने के चक्कर में अपनी जॉब को खतरे में डाले ,,,,,
तदर्थ आधार पर हुयी नियुक्ति के असली सूत्रधार एकेडमिक टीम के वकील राकेश द्विवेदी पहले से ही जानते थे कि अगली सुनवाई में याचियों की जॉब का आदेश होगा लेकिन वो इस बात से भी बहुत अच्छी तरह वाकिफ थे कि यदि इस जानकारी का प्रयोग अधिक से अधिक लोगों को याची बनाकर जॉब दिलाने के लिए किया गया तो किसी याची को जॉब नहीं मिल पाएगी ,,,,,, याचियों के पक्ष में आदेश होने के बाद में सजे याची मेलों और नए याचियों की भारी संख्या से राकेश द्विवेदी अप्रसन्न थे क्योंकि वो जानते हैं कि यदि नए याचियों के वकीलों ने जोरदार पैरवी की तो केस में एक नया पेंच फँस जाएगा और तदर्थ आधार को नियमित करने के आदेश की संभावना ना के बराबर रह जायेगी ....
यदि आप कपिलदेव यादव से याचियों के समायोजन की संभावना के बारे में पूछेंगे तो वो आपको बताएँगे कि समायोजन किसी का नहीं होगा बल्कि या तो फाइनल आर्डर में दोनों विज्ञापन बहाल होंगे या फिर 30-11-11 के विज्ञापन से चयनित हुए लोगों को हटाकर 7-12-12 के विज्ञापन से नियुक्ति होगी ,,,, यह अलग बात है कि कपिल आपके इस सवाल का जवाब नहीं दे सकेंगे कि ऐसा होने पर उनका क्या होगा जो अपने अत्यल्प टेट प्राप्तांकों तथा औसत एकेडमिक मेरिट के बावजूद उन गृहजनपदों में याची बनकर तदर्थ नियुक्ति पा चुके जहाँ नियुक्ति पाने के लिए उन्हें मेरिट में टॉप पर होना पड़ता....
अब सवाल यह है कि जब मैं यह सब पहले से जानता हूँ तो मैंने लोगों को याची बनने के लिए प्रेरित क्यों किया..
आपके मन में सवाल यह भी उठना चाहिए कि पहले लोगों को याची बनकर जॉब पाने का सपना दिखाकर उनके 2000₹ खर्च कराये (यदि याची नेताओं ने वेरिफिकेशन के नाम पर ठगी ना की होती तो किसी का दो हजार से ज्यादा रुपया ना खर्च होता )और अब अचानक समायोजन की संभावना के विरुद्ध तर्क देकर उन्हें दुखी क्यों कर रहा हूँ .......
सोचिये और विचार कीजिए क्योंकि मैं बिना वजह ना मैं कुछ लिखता हूँ और ना ही बिना वजह मैं मौन रहता हूँ ....... Anil Kundu भाई के शब्दों में मैं गुमराहमूर्ति तो हूँ लेकिन कुंडू भाई बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि मैं गुमराह करके लोगों को सही राहों पर लाने का हुनर भी जानता हूँ .....
याची बनकर जॉब पाने के सभी इच्छुकों को अग्रिम सूचना कि तदर्थ आधार पर सारे याची नेताओं का दिमाग सिर्फ इस बात में लगा है कि याचियों से पुनः वसूली कैसे की जाए और कैसे तदर्थ आधार पर मिली अपनी जॉब को बरकरार रखते हुए सपा सरकार के रहते और चुनाव अधिसूचना जारी होने से पूर्व मौलिक नियुक्ति कराकर पूरी तनख्वाह कैसे ली जाए .....
सभी अनियुक्त याचियों को सलाह कि नियुक्त याचियों या अंतरिम आदेश पर 72825 में नियुक्त लोगों पर भरोसा करना बंद करके नए नेतृत्व को खड़ा कीजिए .......यदि आपने तदर्थ आधार या अंतरिम आदेश पर नियुक्त लोगों पर भरोसा करना बंद ना किया तो वो आपको शिक्षामित्रों की ट्रेनिंग रद्द कराने का झांसा देकर उल्लू बनाते रहेंगे और सरकार से सांठ-गाँठ करके शिक्षामित्रों के समायोजन को रद्द करने के आदेश पर लगे स्टे को हटाने की पैरवी ना करने के एवज में अपनी मौलिक नियुक्ति करा लेंगे . by Salabh tiwari
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