बीजेपी का शिक्षकों की कमी दूर करने का तीन सूत्री फॉर्मूला: मानव संसाधन मंत्री ने माना कि उच्च शिक्षा में है शिक्षकों की कमी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए एक व्यापक रणनीति शुरू की है। इसके तहत एक ओर एमफिल और पीएचडी कर रहे छात्रों को अध्यापन की ओर आकर्षित किया जाएगा।
वहीं, विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि वे रिटायरमेंट के बाद भी 70 साल की उम्र तक शिक्षकों की सेवा लें। साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी की सूचना नियमित रूप से एक वेबसाइट पर जारी की जाएगी।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को साफ तौर पर माना कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। उन्होंने कहा, 'शिक्षकों की कमी बहुत गंभीर मुद्दा है। देश में 41 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं और इनमें 20 फीसदी रिक्तियां हैं। हमने सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है कि वे रिक्तियां भरने की प्रक्रिया नियमित रूप से जारी रखें। यह वाक इन इन्टरव्यू हो और रिक्तियों को तुरंत दूर किया जाए।'
जावड़ेकर ने कहा कि सरकार इन रिक्तियों को ले कर बहुत गंभीर है। इस संबंध में कमी पर लगातार निगरानी व्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा, 'हमने तय किया है कि शिक्षकों की रिक्तियों को नियमित तौर पर डायनामिक प्लेटफार्म पर पेश किया जाएगा। इस तरह कोई भी इस वेकैंसी की स्थिति को कभी भी देख सकता है। सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि वे हर 15 दिन में इसे अपडेट करें। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की वेबसाइट पर इसका लिंक होगा।'
इसी तरह शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि शिक्षक अगर रिटायर के बाद भी स्वस्थ्य हों तो 70 साल की उम्र तक अधिक से अधिक उनकी सेवा ली जाए। सरकार इनकी रिटायरमेंट उम्र पहले ही 65 वर्ष कर चुकी है। जावड़ेकर ने कहा कि छात्रों का अध्यापन की ओर नहीं आना शिक्षकों की कमी की एक बड़ी वजह है। इसलिए मंत्रालय अब एमफिल और पीएचडी कर रहे छात्रों को विशेष रूप से शिक्षण के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित करने पर ध्यान दे रहा है।

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