सहायक प्रोफेसर बनने की प्रक्रिया हुई सख्त

इलाहाबाद : इविवि में सहायक प्रोफेसर बनने की प्रक्रिया सख्त होगी। नेट और जेआरएफ की छूट प्राप्त वर्ष 2009 से पूर्व पीएचडी-डीफिल के लिए पंजीकृत या उपाधि प्राप्त अभ्यर्थियों को शामिल करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। ऐसे अभ्यर्थियों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से घोषित पांच प्रमुख बिंदुओं को पूरा करना होगा। अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ने पर लिखित परीक्षा कराई जा सकती है।
वर्तमान में इविवि कैंपस के विभिन्न 303 पदों पर भर्ती की जानी है। इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। सहायक प्रोफेसर के परास्नातक स्तर पर सामान्यता अभ्यर्थियों को 55 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण करना आवश्यक है। इसके अलावा समान्य अभ्यर्थियों को संबंधित विषय में नेट-जेआरएफ भी वांछनीय योग्यता है। वर्ष 2009 से पूर्व पीएचडी-डीफिल के लिए पंजीकृत अथवा उपाधि प्राप्त अभ्यर्थी की पीएचडी रेगुलर मोड से पूरी होनी चाहिए। इसका मूल्यांकन कम से दो बाहरी परीक्षकों ने किया हो।
ओपेन वायवा संपन्न कराया गया हो। उम्मीदवार के दो रिसर्च पेपर प्रकाशित हों। दो शोधपत्रों में एक रेफ्रीड जर्नल में प्रकाशित होने चाहिए। इसके अलावा अभ्यर्थी के पीएचडी विषय पर आधारित दो सेमिनार-कांफ्रेंस में भाग लिया हो। सभी पांचों बिंदुओं का प्रमाणपत्र संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति, सम-कुलपति, डीन एकेडेमिक एफेयर या शैक्षिक गतिविधियों से जुड़े किसी अन्य अधिष्ठाता का प्रमाण पत्र लगाना होगा। इसके अलावा अभ्यर्थियों को नेट और जेआरएफ उत्तीण होने का प्रमाणपत्र लगाना होगा। हालांकि नेट और जेआरएफ उन विषयों के लिए भी अनिवार्य नहीं होगा, जिसमें यह परीक्षाएं संचालित नहीं की जाती हैं। इसका फैसला गत दिनों में आयोजित एकेडेमिक काउंसिल की बैठक में लिया जा चुका है।
2009 से पूर्व पीएचडी-डीफिल के लिए पंजीकृत अभ्यर्थियों को पूरे करने होंगे पांच मानक
अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ने पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय कराएगा लिखित परीक्षा


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