सुप्रीम कोर्ट में अब तक हुई सुनवाई के सबसे महत्वपूर्ण प्वाइंट : सभी शिक्षामित्रों का क्रन्तिकारी अभिनन्दन, जो इस कानुनी संघर्ष मे अपना आर्थिक सहयोग किसी संगठन अथवा टीम को कर रहे!
मित्रो आपको सुप्रीम कोर्ट मे अब तक हुई सुनबाई के कुछ बिन्दुओ से अवगत करा रहा हूँ।
1. सुप्रीम कोर्ट इस बात से सहमत है कि शि.मि की इनीशियल अपांटमेट सही है।
2. सुप्रीम कोर्ट इस बात से भी सहमत है कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति मे आरक्षण का पालन किया गया है। एवं खुली भर्ती के द्वारा विज्ञापन निकालकर सबको मौका दिया गया है।
3. सुप्रीम कोर्ट इस बात से भी सहमत है कि इनकी १२४००० की ट्रेनिग की अनुमति पूर्व बसपा सरकार द्वारा ली गई थी, जिसके आधार पर अन्य सभी की भी ट्रेनिग वैध है।
4. सुप्रीम कोर्ट शिक्षामित्रो के अनुभव व लम्बे समय से कार्य करने के आधार पर समायोजन मुद्दे पर भी सहमत है।
5. सुप्रीम कोर्ट इस बात से भी सहमत है कि शिक्षामित्र नियुक्ति के समय ग्राम प्रधान के सगे सम्बन्धियों की भर्ती नही हुई, ग्राम पंचायत स्थिर पर सभी को मौका दिया गया इस तरह की अनमियतता नही हुई!
मित्रो लेकिन समायोजन NCTE के गाईडलाइन २००१ के अंतर्गत हुआ है या ncte के गाईडलाइन २०१० दिनांक २३/८/२०१० के बाद हुआ है।
अर्थात टेट और नानटेट के मुद्दे पर जज साहब संतुष्ट व सहमत नही दिख रहे है।
जस्टिस यू यू ललित साहब यह जानना चाहते है कि १२ (A) की छूट जो शिक्षामित्रो को दी गई है अर्थात टेट से छूट किस बेस पर दी गई जिसे सिद्ध करने के लिये आगामी सुनबाई मे के के बेणुगोपाल, दुष्यन्त दवे, गोपाल सुबर्मणयम जैसे बरिष्ठ सर्विस मेटर अधिवक्ताओ को खडा करने की आवश्यकता है! जिसके लिये कोई संघ या टीम प्रयास नही कर रही जो दुर्भाग्यपूर्ण है!
उपरोक्त पॉइंट को 17 मई को सभी संगठनों अथवा टीम के द्वारा कोर्ट को सन्तुष्ट करना है। कि जो टेट से राज्य सरकार ने छूट दी है। वो नियमानुसार सही है। और अगर यह सिद्ध ना कर पाये तो समायोजन तो 100 प्रतिशत बचेगा क्योकि यूपी व केन्द्र सरकार के साथ- साथ सुनबाई कर रही बेन्च भी इतने बडे जनसमुदाय को हाईकोर्ट की तरह सडक पर नही फेक सकती!
अतः एक बार पुनः आप सभी संगठनों व टीमों के जनपदीय पदाधिकारियों व आम शिक्षामित्रों से अनुरोध है! कि जो ऊपर दिये अधिवक्ताओं मे से एक को खडा करे! उसे बढ चढ कर सहयोग करे! वरना सहयोग का कोई मतलब नही जो अधिवक्ता लोगो द्वारा खडे किये जायेगे वह जो पक्ष रखेगे उससे ज्यादा सरकार के अधिवक्ता रमणी जी ने शिक्षामित्रो का पक्ष मजबूती से रख दिया है!
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मित्रो आपको सुप्रीम कोर्ट मे अब तक हुई सुनबाई के कुछ बिन्दुओ से अवगत करा रहा हूँ।
- बिना बीएड वाले शिक्षामित्र और अतिथि शिक्षकों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
- 99 हजार अकादमिक मेरिट पद्धति से चयनित अभ्यर्थियों की सुनवाई 17 और 18 मई को सुनिश्चित
- ध्यान से पढ़ लो - शिक्षामित्रों के विरूद्ध बीटीसी के नेता अशरद अली की पोस्ट
- 17 मई को शिक्षामित्रों की जीत 100% तय: मिशन सुप्रीम कोर्ट जीत की ओर अग्रसर
- शिक्षामित्रों के विरुद्ध हिमांशु राणा की फेसबुक पोस्ट: यह है तैयारी
- सीएम योगी ने दिया बड़ा तोहफा, यूपी के 5.85 लाख शिक्षकों को अगले माह से....
1. सुप्रीम कोर्ट इस बात से सहमत है कि शि.मि की इनीशियल अपांटमेट सही है।
2. सुप्रीम कोर्ट इस बात से भी सहमत है कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति मे आरक्षण का पालन किया गया है। एवं खुली भर्ती के द्वारा विज्ञापन निकालकर सबको मौका दिया गया है।
3. सुप्रीम कोर्ट इस बात से भी सहमत है कि इनकी १२४००० की ट्रेनिग की अनुमति पूर्व बसपा सरकार द्वारा ली गई थी, जिसके आधार पर अन्य सभी की भी ट्रेनिग वैध है।
4. सुप्रीम कोर्ट शिक्षामित्रो के अनुभव व लम्बे समय से कार्य करने के आधार पर समायोजन मुद्दे पर भी सहमत है।
5. सुप्रीम कोर्ट इस बात से भी सहमत है कि शिक्षामित्र नियुक्ति के समय ग्राम प्रधान के सगे सम्बन्धियों की भर्ती नही हुई, ग्राम पंचायत स्थिर पर सभी को मौका दिया गया इस तरह की अनमियतता नही हुई!
मित्रो लेकिन समायोजन NCTE के गाईडलाइन २००१ के अंतर्गत हुआ है या ncte के गाईडलाइन २०१० दिनांक २३/८/२०१० के बाद हुआ है।
अर्थात टेट और नानटेट के मुद्दे पर जज साहब संतुष्ट व सहमत नही दिख रहे है।
जस्टिस यू यू ललित साहब यह जानना चाहते है कि १२ (A) की छूट जो शिक्षामित्रो को दी गई है अर्थात टेट से छूट किस बेस पर दी गई जिसे सिद्ध करने के लिये आगामी सुनबाई मे के के बेणुगोपाल, दुष्यन्त दवे, गोपाल सुबर्मणयम जैसे बरिष्ठ सर्विस मेटर अधिवक्ताओ को खडा करने की आवश्यकता है! जिसके लिये कोई संघ या टीम प्रयास नही कर रही जो दुर्भाग्यपूर्ण है!
उपरोक्त पॉइंट को 17 मई को सभी संगठनों अथवा टीम के द्वारा कोर्ट को सन्तुष्ट करना है। कि जो टेट से राज्य सरकार ने छूट दी है। वो नियमानुसार सही है। और अगर यह सिद्ध ना कर पाये तो समायोजन तो 100 प्रतिशत बचेगा क्योकि यूपी व केन्द्र सरकार के साथ- साथ सुनबाई कर रही बेन्च भी इतने बडे जनसमुदाय को हाईकोर्ट की तरह सडक पर नही फेक सकती!
अतः एक बार पुनः आप सभी संगठनों व टीमों के जनपदीय पदाधिकारियों व आम शिक्षामित्रों से अनुरोध है! कि जो ऊपर दिये अधिवक्ताओं मे से एक को खडा करे! उसे बढ चढ कर सहयोग करे! वरना सहयोग का कोई मतलब नही जो अधिवक्ता लोगो द्वारा खडे किये जायेगे वह जो पक्ष रखेगे उससे ज्यादा सरकार के अधिवक्ता रमणी जी ने शिक्षामित्रो का पक्ष मजबूती से रख दिया है!
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