72825 शिक्षक भर्ती केस और त्रिपुरा के केश में समानता

समानता का अधिकार artical 14और 16का उपयोग करते हुए 72825 की भर्ती निरस्त होनी चाहिए यह केस 2014 में त्रिपुरा सरकार के द्वारा त्रिपुरा हाई कोर्ट के आर्डर के विरुद्ध दाखिल किया गया था। इस केस और 72825 के विज्ञापन में महज इतनी ही साम्यता है कि माननीय त्रिपुरा हाईकोर्ट ने 10000 शिक्षकों की सेवा
इसलिए समाप्त कर दी क्योंकि उनकी नियुक्ति में नियमावली का अनुपालन नही हो रहा था।
जैसा कि 72825 के पुराने विज्ञापन की कमियों के तौर पर हुआ हैं कि महिला पुरुष वर्गीकरण मौजूद है ,कला विज्ञान वर्गीकरण मौजूद  है। इसके अतिरिक्त ncte की गाइडलाइन का अनुपालन नहीं होना भी त्रिपुरा के शिक्षकों के विरुद्ध गया था । त्रिपुरा हाईकोर्ट में 10000 शिक्षकों की सेवा समाप्ति का आदेश पारित करते हुए यह कहा था कि राज्य सरकार नई भर्ती नियमावली बनाएं तथा उसके आधार पर नई नियुक्तियां करे। त्रिपुरा सरकार हाई कोर्ट के आर्डर के विरुद्ध slp लेकर 2014 में सुप्रीम कोर्ट आई और प्रथम डेट पर ही स्टे ले लिया। तब से अब तक 10 बार यह केस लिस्टेड हुआ है परंतु 28 मार्च 2017 को माननीय आदर्श कुमार गोयल और माननीय यू यू ललित की बेंच कोर्ट no 13 में पूरे दिन सुना गया था और 10000 त्रिपुरा के शिक्षको खिलाफ आर्डर आया ठीक उसी प्रकार 72825 है और इनका भी आर्डर वैसा ही आएगा आज नहीं तो कल आएगा आएगा जरूर ।।

हिमांशु राणा  और sk पाठक की ट्रेनिंग और भर्ती रद्द करने के लिए writ पड़नी चाहिए क्योंकि उसकी ट्रेनिंग ग्यारह सौ याचियों की ट्रेनिंग है जो एनसीटीई से परमिशन नहीं ली गई थी
और
इसी प्रकार 72825 की ट्रेनिंग की भी परमीशन NCTE से नहीं ली गयी  डायट पर होने वाले ट्रेनिंग को brc पर क्यों दी गयी इसका मॉड्यूल क्या था इसमें कौन कौन ट्रेनर थे । कितने शिक्षामित्रो SM ने जो शिक्षामित्र SM से अध्यापक AT या HT बने ।  इनको ट्रेनिंग दी  72825 की भर्ती विज्ञापन के अनुषार नहीं हुई और न ही इनका कोई रूल  था और है सर्विस रूल  में ।।
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