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शिक्षामित्रों की लड़ाई अंतिम पड़ाव पर , फैसले की घड़ी अब नजदीक

शिक्षामित्रों की लड़ाई अंतिम पड़ाव पर है। 12 सितंबर 2015 को हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के इन शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को निरस्त कर दिया था।
जिसके बाद हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। लड़ाई के इस अंतिम दौर में शिक्षामित्रों के वकील पूरा प्रयास कर रहे हैं, कि फैसला उनके पक्ष में ही हो। वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि उनके वकीलों की दलील थी कि ये सालों से पढ़ा रहे हैं। उन्होंने Supreme Court से राहत की गुहार लगाते हुए मांग की कि मानवीय आधार पर सहायक अध्यापक के तौर पर शिक्षामित्रों के समायोजन को जारी रखा जाए। वकीलों का कहना था कि राज्य में शिक्षकों की कमी को ध्यान में रखते हुए शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी। उम्र के इस पड़ाव में उनके साथ मानवीय रवैया अपनाया जाना चाहिए। आपको बता दें कि इन शिक्षामित्रों को राहत
वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि सुनवाई के दौरान शिक्षामित्रों की ओर से सलमान खुर्शीद, अमित सिब्बल, नितेश गुप्ता, जयंत भूषण, आरएस सूरी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने अपनी दलीलें पेश की थी। मामले पर सुनवाई के दौरान शिक्षामित्रों के वकीलों ने कोर्ट से कहा था कि सहायक शिक्षकों के मामले में कोर्ट ने बतौर सहायक अध्यापक नियुक्त हो चुके शिक्षकों को नहीं छेडऩे की बात कही है। ऐसे में सुप्रीमकोर्ट से ऐसे शिक्षामित्रों को भी राहत मिलनी चाहिए, जिन्हें नियुक्ति पत्र मिल चुका है। वकील ने कहा कि ऐसे शिक्षामित्रों के पास शैक्षणिक योग्यता के अलावा 17 साल पढ़ाने का अनुभव भी है। इस पर पीठ ने कहा कि ऐसे शिक्षामित्रों को नहीं छेड़ा जाएगा।
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