शिक्षामित्रों को शीर्ष कोर्ट से फौरी राहत जरूर मिली है, लेकिन उनकी आगे की राह बेहद कठिन है। कोर्ट ने सहायक शिक्षक बनने के मानकों से कोई समझौता न करने का निर्देश दिया है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षामित्रों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया है। इसमें हाईकोर्ट की तरह शीर्ष कोर्ट ने भी शिक्षामित्रों का समायोजन सही नहीं माना है, लेकिन उन्हें कुछ शर्तो के साथ फिलहाल बरकरार रखा गया है। शीर्ष कोर्ट की ओर से जारी यह शर्ते भले ही अभी राहत पहुंचा रही हैं, लेकिन उन्हें पूरा कर पाना उतना आसान नहीं है।
शीर्ष कोर्ट ने सभी शिक्षामित्रों को दो बार में टीईटी यानी अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने का निर्देश दिया है। यह इम्तिहान उत्तीर्ण करना सभी शिक्षामित्रों के लिए टेढ़ी खीर है, क्योंकि इधर लगातार टीईटी का रिजल्ट गिरता जा रहा है। 2016 में महज 11 फीसद अभ्यर्थी सफल हुए, 89 प्रतिशत अनुत्तीर्ण हो गए हैं। खास बात यह है कि इसमें बैठने वाले वह अभ्यर्थी हैं, जो डीएलएड की नियमित पढ़ाई कर रहे हैं, फिर भी वह परीक्षा की वैतरणी पार नहीं कर पा रहे हैं। इसके पहले 2015 में टीईटी का उत्तीर्ण प्रतिशत महज 17 फीसद रहा है। ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार के निर्देश पर अधिकांश शिक्षामित्रों ने दूरस्थ बीटीसी का प्रशिक्षण प्राप्त किया है, ताकि उनकी सेवाएं बरकरार रहें।
शीर्ष कोर्ट का यह भी निर्देश है कि शिक्षामित्र टीईटी उत्तीर्ण करने के बाद शिक्षक पद की नई भर्तियों के लिए आवेदन करके योग्यता के आधार पर चयनित हों।
यह शर्त पूरा करना अधिकांश शिक्षामित्रों के बस में नहीं है, क्योंकि तमाम शिक्षामित्र अपने गांव में अधिक योग्य होने के कारण नियुक्ति पाने में तो सफल हो गए, लेकिन जब डीएलएड उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से उनका मुकाबला होगा तो शैक्षिक मेरिट में वह पीछे छूट सकते हैं। ज्ञात हो कि इधर डीएलएड के लिए चयनित ज्यादातर अभ्यर्थी ऊंची शैक्षिक मेरिट धारक हैं। 1शिक्षक बनने के लिए 2007, 2008 व 2010 के तमाम बीटीसी अभ्यर्थी अब भी जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वह मेरिट में मात खाने की वजह से चयनित नहीं हो पा रहे हैं। यही मुश्किल शिक्षामित्रों के सामने भी आने के आसार हैं। शीर्ष कोर्ट ने फिलहाल दो मौके देकर शिक्षामित्रों को शिक्षक बनने की रेस में बने रहने का उम्दा अवसर जरूर मुहैया कराया है।
प्रदेश सरकार पर टिका दारोमदार : शीर्ष कोर्ट ने शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती में अनुभव का वेटेज देने का निर्देश दिया है। यह वेटेज प्रदेश सरकार के निर्देश पर मिलेगा। इसके लिए शिक्षामित्रों को सूबे की सरकार पर निर्भर रहना होगा। दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ मांग कर रहा है कि सरकार शिक्षामित्रों की विभागीय टीईटी कराए यह कार्य भी सरकार की मर्जी पर ही संभव है। जिस तरह से अखिलेश सरकार ने शिक्षामित्रों को दूरस्थ बीटीसी का लाभ दिया था।धर्मेश अवस्थी, इलाहाबाद1शिक्षामित्रों को शीर्ष कोर्ट से फौरी राहत जरूर मिली है, लेकिन उनकी आगे की राह बेहद कठिन है। कोर्ट ने सहायक शिक्षक बनने के मानकों से कोई समझौता न करने का निर्देश दिया है। यही उनकी परेशानी की सबसे बड़ी वजह बनेगा, क्योंकि अब शिक्षामित्रों को वह सब करना पड़ेगा, जो डीएलएड (पूर्व बीटीसी) अभ्यर्थी कर रहे हैं। अधिकांश शिक्षामित्र योग्यता के मानक पर ऐसे नहीं हैं, जिस तरह के अभ्यर्थी इन दिनों डीएलएड करके निकल रहे हैं।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षामित्रों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया है। इसमें हाईकोर्ट की तरह शीर्ष कोर्ट ने भी शिक्षामित्रों का समायोजन सही नहीं माना है, लेकिन उन्हें कुछ शर्तो के साथ फिलहाल बरकरार रखा गया है। शीर्ष कोर्ट की ओर से जारी यह शर्ते भले ही अभी राहत पहुंचा रही हैं, लेकिन उन्हें पूरा कर पाना उतना आसान नहीं है।
शीर्ष कोर्ट ने सभी शिक्षामित्रों को दो बार में टीईटी यानी अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने का निर्देश दिया है। यह इम्तिहान उत्तीर्ण करना सभी शिक्षामित्रों के लिए टेढ़ी खीर है, क्योंकि इधर लगातार टीईटी का रिजल्ट गिरता जा रहा है। 2016 में महज 11 फीसद अभ्यर्थी सफल हुए, 89 प्रतिशत अनुत्तीर्ण हो गए हैं। खास बात यह है कि इसमें बैठने वाले वह अभ्यर्थी हैं, जो डीएलएड की नियमित पढ़ाई कर रहे हैं, फिर भी वह परीक्षा की वैतरणी पार नहीं कर पा रहे हैं। इसके पहले 2015 में टीईटी का उत्तीर्ण प्रतिशत महज 17 फीसद रहा है। ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार के निर्देश पर अधिकांश शिक्षामित्रों ने दूरस्थ बीटीसी का प्रशिक्षण प्राप्त किया है, ताकि उनकी सेवाएं बरकरार रहें।
शीर्ष कोर्ट का यह भी निर्देश है कि शिक्षामित्र टीईटी उत्तीर्ण करने के बाद शिक्षक पद की नई भर्तियों के लिए आवेदन करके योग्यता के आधार पर चयनित हों। 1यह शर्त पूरा करना अधिकांश शिक्षामित्रों के बस में नहीं है, क्योंकि तमाम शिक्षामित्र अपने गांव में अधिक योग्य होने के कारण नियुक्ति पाने में तो सफल हो गए, लेकिन जब डीएलएड उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से उनका मुकाबला होगा तो शैक्षिक मेरिट में वह पीछे छूट सकते हैं। ज्ञात हो कि इधर डीएलएड के लिए चयनित ज्यादातर अभ्यर्थी ऊंची शैक्षिक मेरिट धारक हैं।
शिक्षक बनने के लिए 2007, 2008 व 2010 के तमाम बीटीसी अभ्यर्थी अब भी जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वह मेरिट में मात खाने की वजह से चयनित नहीं हो पा रहे हैं। यही मुश्किल शिक्षामित्रों के सामने भी आने के आसार हैं। शीर्ष कोर्ट ने फिलहाल दो मौके देकर शिक्षामित्रों को शिक्षक बनने की रेस में बने रहने का उम्दा अवसर जरूर मुहैया कराया है।
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- फैसला ...समायोजन बना रहेगा , TET के लिए मिलेंगे 2 चांस , जज महोदय ने किया कमेंट
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- शिक्षामित्र समायोजन असंवैधानिक, रद्द : मयंक तिवारी
- सुप्रीमकोर्ट आर्डर: शिक्षामित्रों के आज के आदेश का सार हिंदी में
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षामित्रों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया है। इसमें हाईकोर्ट की तरह शीर्ष कोर्ट ने भी शिक्षामित्रों का समायोजन सही नहीं माना है, लेकिन उन्हें कुछ शर्तो के साथ फिलहाल बरकरार रखा गया है। शीर्ष कोर्ट की ओर से जारी यह शर्ते भले ही अभी राहत पहुंचा रही हैं, लेकिन उन्हें पूरा कर पाना उतना आसान नहीं है।
शीर्ष कोर्ट ने सभी शिक्षामित्रों को दो बार में टीईटी यानी अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने का निर्देश दिया है। यह इम्तिहान उत्तीर्ण करना सभी शिक्षामित्रों के लिए टेढ़ी खीर है, क्योंकि इधर लगातार टीईटी का रिजल्ट गिरता जा रहा है। 2016 में महज 11 फीसद अभ्यर्थी सफल हुए, 89 प्रतिशत अनुत्तीर्ण हो गए हैं। खास बात यह है कि इसमें बैठने वाले वह अभ्यर्थी हैं, जो डीएलएड की नियमित पढ़ाई कर रहे हैं, फिर भी वह परीक्षा की वैतरणी पार नहीं कर पा रहे हैं। इसके पहले 2015 में टीईटी का उत्तीर्ण प्रतिशत महज 17 फीसद रहा है। ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार के निर्देश पर अधिकांश शिक्षामित्रों ने दूरस्थ बीटीसी का प्रशिक्षण प्राप्त किया है, ताकि उनकी सेवाएं बरकरार रहें।
शीर्ष कोर्ट का यह भी निर्देश है कि शिक्षामित्र टीईटी उत्तीर्ण करने के बाद शिक्षक पद की नई भर्तियों के लिए आवेदन करके योग्यता के आधार पर चयनित हों।
यह शर्त पूरा करना अधिकांश शिक्षामित्रों के बस में नहीं है, क्योंकि तमाम शिक्षामित्र अपने गांव में अधिक योग्य होने के कारण नियुक्ति पाने में तो सफल हो गए, लेकिन जब डीएलएड उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से उनका मुकाबला होगा तो शैक्षिक मेरिट में वह पीछे छूट सकते हैं। ज्ञात हो कि इधर डीएलएड के लिए चयनित ज्यादातर अभ्यर्थी ऊंची शैक्षिक मेरिट धारक हैं। 1शिक्षक बनने के लिए 2007, 2008 व 2010 के तमाम बीटीसी अभ्यर्थी अब भी जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वह मेरिट में मात खाने की वजह से चयनित नहीं हो पा रहे हैं। यही मुश्किल शिक्षामित्रों के सामने भी आने के आसार हैं। शीर्ष कोर्ट ने फिलहाल दो मौके देकर शिक्षामित्रों को शिक्षक बनने की रेस में बने रहने का उम्दा अवसर जरूर मुहैया कराया है।
प्रदेश सरकार पर टिका दारोमदार : शीर्ष कोर्ट ने शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती में अनुभव का वेटेज देने का निर्देश दिया है। यह वेटेज प्रदेश सरकार के निर्देश पर मिलेगा। इसके लिए शिक्षामित्रों को सूबे की सरकार पर निर्भर रहना होगा। दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ मांग कर रहा है कि सरकार शिक्षामित्रों की विभागीय टीईटी कराए यह कार्य भी सरकार की मर्जी पर ही संभव है। जिस तरह से अखिलेश सरकार ने शिक्षामित्रों को दूरस्थ बीटीसी का लाभ दिया था।धर्मेश अवस्थी, इलाहाबाद1शिक्षामित्रों को शीर्ष कोर्ट से फौरी राहत जरूर मिली है, लेकिन उनकी आगे की राह बेहद कठिन है। कोर्ट ने सहायक शिक्षक बनने के मानकों से कोई समझौता न करने का निर्देश दिया है। यही उनकी परेशानी की सबसे बड़ी वजह बनेगा, क्योंकि अब शिक्षामित्रों को वह सब करना पड़ेगा, जो डीएलएड (पूर्व बीटीसी) अभ्यर्थी कर रहे हैं। अधिकांश शिक्षामित्र योग्यता के मानक पर ऐसे नहीं हैं, जिस तरह के अभ्यर्थी इन दिनों डीएलएड करके निकल रहे हैं।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षामित्रों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया है। इसमें हाईकोर्ट की तरह शीर्ष कोर्ट ने भी शिक्षामित्रों का समायोजन सही नहीं माना है, लेकिन उन्हें कुछ शर्तो के साथ फिलहाल बरकरार रखा गया है। शीर्ष कोर्ट की ओर से जारी यह शर्ते भले ही अभी राहत पहुंचा रही हैं, लेकिन उन्हें पूरा कर पाना उतना आसान नहीं है।
शीर्ष कोर्ट ने सभी शिक्षामित्रों को दो बार में टीईटी यानी अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने का निर्देश दिया है। यह इम्तिहान उत्तीर्ण करना सभी शिक्षामित्रों के लिए टेढ़ी खीर है, क्योंकि इधर लगातार टीईटी का रिजल्ट गिरता जा रहा है। 2016 में महज 11 फीसद अभ्यर्थी सफल हुए, 89 प्रतिशत अनुत्तीर्ण हो गए हैं। खास बात यह है कि इसमें बैठने वाले वह अभ्यर्थी हैं, जो डीएलएड की नियमित पढ़ाई कर रहे हैं, फिर भी वह परीक्षा की वैतरणी पार नहीं कर पा रहे हैं। इसके पहले 2015 में टीईटी का उत्तीर्ण प्रतिशत महज 17 फीसद रहा है। ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार के निर्देश पर अधिकांश शिक्षामित्रों ने दूरस्थ बीटीसी का प्रशिक्षण प्राप्त किया है, ताकि उनकी सेवाएं बरकरार रहें।
शीर्ष कोर्ट का यह भी निर्देश है कि शिक्षामित्र टीईटी उत्तीर्ण करने के बाद शिक्षक पद की नई भर्तियों के लिए आवेदन करके योग्यता के आधार पर चयनित हों। 1यह शर्त पूरा करना अधिकांश शिक्षामित्रों के बस में नहीं है, क्योंकि तमाम शिक्षामित्र अपने गांव में अधिक योग्य होने के कारण नियुक्ति पाने में तो सफल हो गए, लेकिन जब डीएलएड उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से उनका मुकाबला होगा तो शैक्षिक मेरिट में वह पीछे छूट सकते हैं। ज्ञात हो कि इधर डीएलएड के लिए चयनित ज्यादातर अभ्यर्थी ऊंची शैक्षिक मेरिट धारक हैं।
शिक्षक बनने के लिए 2007, 2008 व 2010 के तमाम बीटीसी अभ्यर्थी अब भी जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वह मेरिट में मात खाने की वजह से चयनित नहीं हो पा रहे हैं। यही मुश्किल शिक्षामित्रों के सामने भी आने के आसार हैं। शीर्ष कोर्ट ने फिलहाल दो मौके देकर शिक्षामित्रों को शिक्षक बनने की रेस में बने रहने का उम्दा अवसर जरूर मुहैया कराया है।
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