उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में सहायक शिक्षकों की भर्ती और शिक्षामित्रों के समायोजन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक सुनाया है। जहां एक ओर 172000 शिक्षा मित्रों को कोर्ट से झटका लगा है,वहीं
165000 सहायक शिक्षकों को कोर्ट से राहत मिल गई है।
शिक्षा मित्रों का समायोजन रद : सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन रद करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 12 सितंबर 2015 के फैसले को सही ठहराया है। बेंच ने हाई कोर्ट से सहमति जताते हुए कहा कि कानून के मुताबिक नियुक्ति के लिए 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना से न्यूनतम योग्यता जरूरी है। न्यूनतम योग्यता के बगैर किसी नियुक्त की अनुमति नहीं दी जा सकती। ये सारी नियुक्तियां उपरोक्त तिथि के बाद हुई हैं। नियमों में छूट सीमित समय के लिए दी जा सकती है। शिक्षामित्र 23 अगस्त 2010 से पहले की श्रेणी में नहीं आते, जिनकी नियुक्ति नियमित की जा सके। कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति न सिर्फ संविदा पर थी बल्कि उनकी योग्यता भी पूरी नहीं थी। उनका वेतनमान भी शिक्षक का नहीं था। उन्हें शिक्षक के तौर पर नियमित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्र निर्धारित योग्यता के मुताबिक कभी शिक्षक नहीं नियुक्त हुए। उन्हें नियमों के विरुद्ध शिक्षक नहीं बनाया जा सकता। राज्य सरकार को नियमों में छूट देने का हक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अंतत: योग्य की भर्ती होनी चाहिए। 1कोर्ट ने कहा कि मामले की विशिष्ट परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें भर्ती में प्राथमिकता दी जा सकती है। शिक्षामित्र जरूरी योग्यता हासिल कर लेते हैं तो लगातार दो बार के भर्ती विज्ञापनों में उन्हें मौका दिया जायेगा। उन्हें आयु में छूट मिलेगी, साथ ही उनके अनुभव को भी प्राथमिकता दी जाएगी। जब तक उन्हें ये मौका मिलता है तब तक राज्य सरकार चाहे तो उन्हें समायोजन से पहले की शर्तो के आधार पर शिक्षामित्र के रूप में काम करने दे सकती है। फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव ने कहा कि वे फैसले का सम्मान करते हैं।
सहायक शिक्षकों को राहत : सुप्रीम कोर्ट ने 15वें और 16वें संशोधनों को सही ठहराकर एकेडमिक योग्यता के आधार पर भर्ती हुए सहायक शिक्षकों को बड़ी राहत दे दी है। कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि सहायक शिक्षक भर्ती में एकेडमिक मेरिट ही आधार होगी। टीईटी सिर्फ क्वालीफाइंग योग्यता होगी। 1ये सारा मामला 12वें, 15वें और 16वें संशोधन को लेकर था। हाई कोर्ट ने टीईटी को भर्ती की मेरिट का आधार माना था, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ये तर्क स्वीकार कर लिया कि टीईटी जरूरी योग्यता तो है लेकिन वो मेरिट का एकमात्र जरूरी आधार नहीं है।
एकेडमिक मेरिट पर नियुक्त हुए सहायक शिक्षकों की नौकरी बनी रहेगी
शिक्षामित्रों को जरूरी योग्यता हासिल कर दो भर्तियों में भाग लेने का मौकाखास-खास
172000 शिक्षामित्रों पर अब आफत
165000 सहायक शिक्षकों को मिल जाएगी राहत
66655 सहायक अध्यापकों को नहीं छेड़ा जाएगा
72825 सहायक शिक्षकों की भर्ती का था मामला
99000 एकेडमिक योग्यता के शिक्षकों को राहतउत्तर प्रदेश सरकार ने 26 मई 1999 को एक आदेश जारी किया जिसके आधार पर शिक्षा मित्र (पैरा टीचर)नियुक्त हुए। ये भर्तियां सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षक और छात्रों का अनुपात ठीक करने और सभी को समान प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई। इनकी भर्तियां शिक्षक से कम योग्यता पर और कम वेतन पर हुईं। नियुक्ति संविदा आधारित थी। 1 जुलाई 2001 को सरकार ने एक और आदेश निकाला और योजना को और विस्तृत किया। जून 2013 में 172000 शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित करने का निर्णय लिया गया। सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने जरूरी योग्यता न होने के आधार पर 12 सितंबर 2015 को शिक्षामित्रों का समायोजन रद कर दिया। जिसके खिलाफ शिक्षा मित्र और राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट आए थे। कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान 172000 में से करीब 138000 शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उन्हें करारा झटका लगा है।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
165000 सहायक शिक्षकों को कोर्ट से राहत मिल गई है।
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- सुप्रीमकोर्ट आर्डर: शिक्षामित्रों के आज के आदेश का सार हिंदी में
शिक्षा मित्रों का समायोजन रद : सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन रद करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 12 सितंबर 2015 के फैसले को सही ठहराया है। बेंच ने हाई कोर्ट से सहमति जताते हुए कहा कि कानून के मुताबिक नियुक्ति के लिए 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना से न्यूनतम योग्यता जरूरी है। न्यूनतम योग्यता के बगैर किसी नियुक्त की अनुमति नहीं दी जा सकती। ये सारी नियुक्तियां उपरोक्त तिथि के बाद हुई हैं। नियमों में छूट सीमित समय के लिए दी जा सकती है। शिक्षामित्र 23 अगस्त 2010 से पहले की श्रेणी में नहीं आते, जिनकी नियुक्ति नियमित की जा सके। कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति न सिर्फ संविदा पर थी बल्कि उनकी योग्यता भी पूरी नहीं थी। उनका वेतनमान भी शिक्षक का नहीं था। उन्हें शिक्षक के तौर पर नियमित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्र निर्धारित योग्यता के मुताबिक कभी शिक्षक नहीं नियुक्त हुए। उन्हें नियमों के विरुद्ध शिक्षक नहीं बनाया जा सकता। राज्य सरकार को नियमों में छूट देने का हक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अंतत: योग्य की भर्ती होनी चाहिए। 1कोर्ट ने कहा कि मामले की विशिष्ट परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें भर्ती में प्राथमिकता दी जा सकती है। शिक्षामित्र जरूरी योग्यता हासिल कर लेते हैं तो लगातार दो बार के भर्ती विज्ञापनों में उन्हें मौका दिया जायेगा। उन्हें आयु में छूट मिलेगी, साथ ही उनके अनुभव को भी प्राथमिकता दी जाएगी। जब तक उन्हें ये मौका मिलता है तब तक राज्य सरकार चाहे तो उन्हें समायोजन से पहले की शर्तो के आधार पर शिक्षामित्र के रूप में काम करने दे सकती है। फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव ने कहा कि वे फैसले का सम्मान करते हैं।
सहायक शिक्षकों को राहत : सुप्रीम कोर्ट ने 15वें और 16वें संशोधनों को सही ठहराकर एकेडमिक योग्यता के आधार पर भर्ती हुए सहायक शिक्षकों को बड़ी राहत दे दी है। कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि सहायक शिक्षक भर्ती में एकेडमिक मेरिट ही आधार होगी। टीईटी सिर्फ क्वालीफाइंग योग्यता होगी। 1ये सारा मामला 12वें, 15वें और 16वें संशोधन को लेकर था। हाई कोर्ट ने टीईटी को भर्ती की मेरिट का आधार माना था, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ये तर्क स्वीकार कर लिया कि टीईटी जरूरी योग्यता तो है लेकिन वो मेरिट का एकमात्र जरूरी आधार नहीं है।
एकेडमिक मेरिट पर नियुक्त हुए सहायक शिक्षकों की नौकरी बनी रहेगी
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99000 एकेडमिक योग्यता के शिक्षकों को राहतउत्तर प्रदेश सरकार ने 26 मई 1999 को एक आदेश जारी किया जिसके आधार पर शिक्षा मित्र (पैरा टीचर)नियुक्त हुए। ये भर्तियां सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षक और छात्रों का अनुपात ठीक करने और सभी को समान प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई। इनकी भर्तियां शिक्षक से कम योग्यता पर और कम वेतन पर हुईं। नियुक्ति संविदा आधारित थी। 1 जुलाई 2001 को सरकार ने एक और आदेश निकाला और योजना को और विस्तृत किया। जून 2013 में 172000 शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित करने का निर्णय लिया गया। सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने जरूरी योग्यता न होने के आधार पर 12 सितंबर 2015 को शिक्षामित्रों का समायोजन रद कर दिया। जिसके खिलाफ शिक्षा मित्र और राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट आए थे। कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान 172000 में से करीब 138000 शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उन्हें करारा झटका लगा है।
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