उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों (Shikshmitra) के समायोजन पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। यहां पढ़ें सुप्रीम कोर्ट से जुड़े फैसले से जुड़ी 5 बातें:
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 1.78 लाख शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक के रूप में नियमितीकरण को सिरे से गैरकानूनी ठहराया है। लेकिन शिक्षामित्र तत्काल नहीं हटाए जाएंगे।
2- शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा में बैठना होगा
कोर्ट के अनुसार शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा में बैठना होगा और उन्हें लगातार दो प्रयासों में यह परीक्षा पास करनी होगी। शिक्षक भर्ती परीक्षा में शिक्षामित्रों को अध्यापन अनुभव का वेटेज तथा उम्र सीमा में रियायत दी जा सकती है।
3- 1.78 लाख दावों को कानून का उल्लंघन करते हुए नियमित किया गया
पीठ ने कहा लेकिन हमारे सामने जहां 1.78 लाख लोगों के दावे हैं, जिन्हें कानून का उल्लंघन करते हुए नियमित किया गया है। वहीं हमें कानून के शासन को भी ऊपर रखने के साथ ही छह से 14 साल के बच्चों को शिक्षित शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के अधिकार को देखना है। यदि हम अस्थाई रूप से अयोग्य शिक्षकों से अध्यापन को जारी भी रखते हैं तो भी योग्य शिक्षक नियुक्त करने ही होंगे।
4- राज्य सरकार ने योग्यताओं में रियायत देकर शिक्षामित्रों को नियुक्ति दी थी
राज्य को आरटीई एक्ट की धारा 23(2) के तहत शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यताओं को घटाने का कोई अधिकार नहीं है। आरटीई की बाध्यता के कारण राज्य सरकार ने योग्यताओं में रियायत देकर शिक्षामित्रों को नियुक्ति दी थी। पीठ ने कहा कि कानून के अनुसार ये कभी शिक्षक थे ही नहीं, क्योंकि ये योग्य नहीं थे।
5- राज्य सरकार यह परीक्षाएं लगातार दो बार आयोजित करेगी
राज्य सरकार यह परीक्षाएं लगातार दो बार आयोजित करेगी, जिसमें आवश्यक योग्यताएं सामान्य रहेंगी और उनमें कोई छूट नहीं दी जाएंगी। जो शिक्षामित्र विज्ञापन के अनुसार योग्य होंगे, वे दो भर्ती परीक्षाओं में बैठ सकते हैं। उनके इस अवसर का लाभ उठाने तक सरकार उन्हें शिक्षामित्र के रूप में जारी रख सकती है लेकिन इसके लिए शर्तें नियमितीकरण से पूर्व की होंगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 1.78 लाख शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक के रूप में नियमितीकरण को सिरे से गैरकानूनी ठहराया है। लेकिन शिक्षामित्र तत्काल नहीं हटाए जाएंगे।
2- शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा में बैठना होगा
कोर्ट के अनुसार शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा में बैठना होगा और उन्हें लगातार दो प्रयासों में यह परीक्षा पास करनी होगी। शिक्षक भर्ती परीक्षा में शिक्षामित्रों को अध्यापन अनुभव का वेटेज तथा उम्र सीमा में रियायत दी जा सकती है।
3- 1.78 लाख दावों को कानून का उल्लंघन करते हुए नियमित किया गया
पीठ ने कहा लेकिन हमारे सामने जहां 1.78 लाख लोगों के दावे हैं, जिन्हें कानून का उल्लंघन करते हुए नियमित किया गया है। वहीं हमें कानून के शासन को भी ऊपर रखने के साथ ही छह से 14 साल के बच्चों को शिक्षित शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के अधिकार को देखना है। यदि हम अस्थाई रूप से अयोग्य शिक्षकों से अध्यापन को जारी भी रखते हैं तो भी योग्य शिक्षक नियुक्त करने ही होंगे।
4- राज्य सरकार ने योग्यताओं में रियायत देकर शिक्षामित्रों को नियुक्ति दी थी
राज्य को आरटीई एक्ट की धारा 23(2) के तहत शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यताओं को घटाने का कोई अधिकार नहीं है। आरटीई की बाध्यता के कारण राज्य सरकार ने योग्यताओं में रियायत देकर शिक्षामित्रों को नियुक्ति दी थी। पीठ ने कहा कि कानून के अनुसार ये कभी शिक्षक थे ही नहीं, क्योंकि ये योग्य नहीं थे।
5- राज्य सरकार यह परीक्षाएं लगातार दो बार आयोजित करेगी
राज्य सरकार यह परीक्षाएं लगातार दो बार आयोजित करेगी, जिसमें आवश्यक योग्यताएं सामान्य रहेंगी और उनमें कोई छूट नहीं दी जाएंगी। जो शिक्षामित्र विज्ञापन के अनुसार योग्य होंगे, वे दो भर्ती परीक्षाओं में बैठ सकते हैं। उनके इस अवसर का लाभ उठाने तक सरकार उन्हें शिक्षामित्र के रूप में जारी रख सकती है लेकिन इसके लिए शर्तें नियमितीकरण से पूर्व की होंगी।
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