Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

शिक्षामित्रों के अगर इस्लाम कबूलने से समस्याएं हल होती हैं, तो पूरे मुल्क को इस्लाम कबूल लेना चाहिए

दो दिन से एक वीडियो वायरल हो रहा है.  इसमें कुछ शिक्षामित्र अपनी समस्या का समाधान न होने पर इस्लाम कबूलने की बात कर रहे हैं. हमें ये वीडियो हमारे एक पाठक ने भेजा.
इस वीडियो में कुछ शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज़ नज़र आ रहे हैं. सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद, जब एक तरह से मुहर लग गई कि उनकी नौकरियां जाएंगी, तो उन्होंने आख़िरी हथियार के तौर पर ये स्टंट रचा है.

इस वीडियो में एक व्यक्ति कह रहा है,

“पहले हमारी याचिका हाईकोर्ट ने निरस्त कर दी. फिर हम सुप्रीम कोर्ट गए. सुना था कि वो न्याय का बहुत बड़ा मंदिर है. लेकिन वहां भी हमारे साथ घोर अन्याय हुआ. और साजिश के तहत हुआ. अगर हिंदू धर्म में ये सज़ा है, अगर हम गांव वालों के साथ ये अन्याय होगा, तो हम इसकी निंदा करते हैं. और अब हम इस्लाम कबूल करेंगे. सारे शिक्षामित्रों के परिवार भी इस्लाम को जल्दी से जल्दी कबूल करेंगे. जैसे ही हमारी मौलवी साहब से बात होती है, कोई डेट निर्धारित कर लेंगे और सब सपरिवार इस्लाम को कबूल करेंगे. हम अल्लाहु अकबर बोलेंगे. बिल्कुल जेहाद पर आ जाएंगे. पूरे जिले में हम 7 या 8 हज़ार लोग इस्लाम कबूल करेंगे.  हमें नहीं रहना ऐसे धर्म में, जहां हमारे बच्चे भूखे मरे.”
देखिए पूरा वीडियो:





पीछे से लोग अल्लाहु अकबर के नारे भी लगाते हैं.

जो बात इस वीडियो में कही जा रही है, वो कई फ्रंट पर बेवकूफाना है. क्या इस्लाम कबूलने से इन लोगों की नौकरियां बहाल हो जाएंगी? वो जो बच्चे भूखे होने की दुहाई है, उनकी थालियों में रोटी आ जाएगी? मौलवी साहब कलमा पढ़ाने के बाद, हर महीने हर एक के घर सैलरी वाला लिफाफा पहुंचा आएंगे? या किसी बड़े इस्लामिक ट्रस्ट से वजीफा बंधेगा शिक्षामित्रों का? क्या सऊदी अरब नोटों की बारिश करवा देगा इन पर? आखिर होगा क्या इस्लाम कबूलने से?

और ये कौन सा तरीका है अपनी मांगे मनवाने का? कोई वर्डिक्ट आपके खिलाफ़ गया और आप इस्लाम कबूलने की धमकी देने लगे. ये मूर्खता तो है ही, साथ ही साथ बेतुका ब्लैकमेल भी है. ऐसा ब्लैकमेल जो सिवाय मज़ाक उड़ाने के और किसी काम नहीं आने वाला. आखिर एक सेक्युलर मुल्क में किसी धर्मविशेष में कन्वर्ट होने की धमकी देने के क्या निहितार्थ हैं? क्या आप ये मानते हैं कि इस देश की सत्ता किसी धर्म से ऑफिशियली परहेज़ करती है? आप इस्लाम कबूलने की धमकी दोगे और सरकार, कोर्ट, क़ानून सब आपके चरणों में लोट जाएंगे कि प्रभु ऐसा मत करो! हासिल क्या है आखिर इस मूर्खता से?
एक बात ये भी कि उन 8 हज़ार लोगों में क्या सभी हिंदू हैं? जो पहले से इस्लाम में हैं वो क्या स्टेप लेंगे? ईसाई बन जाएंगे? या घरवापसी करा लेंगे? ये धमकी अपने आप में एक सबूत है कि धर्म अब महज़ हथियार बन के रह गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इनके खिलाफ़ जो फैसला दिया, उसका इनके हिंदू होने न होने से कोई कनेक्शन नहीं था. कोर्ट ने महज़ नियमों का ध्यान रखा है. साफ़ कहा है कि पढ़ाने वालों की योग्यता घटाने का राज्य को कोई अधिकार नहीं. दयालुता दिखाते हुए दो मौके भी दिए हैं. दो बार प्रयास कर के अगर कोई शिक्षक भर्ती की परीक्षा पास कर लेता है, तो उसे बहाल किया जाएगा.

लेकिन ये क्यों करे कोई? ब्लैकमेल का आसान रास्ता जो है सामने. ये लोग अपनी कमअक्ली में ये समझ बैठे हैं कि सरकार को इनके मुसलमान हो जाने से कोई फर्क पड़ेगा. वो तो कह देगी कल की जगह आज कर लो. वैसे भी जिस ब्लैकमेल का आधार ही कमज़ोर हो, उसपर सत्ता कान क्यों देगी? कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि शिक्षामित्र पढ़ाने की योग्यता नहीं रखते. योग्य बनने का मौका भी दे दिया गया है. इसके बावजूद ऐसे सस्ते स्टंट करेंगे शिक्षामित्र, तो सिवाय जगहंसाई के कुछ पल्ले नहीं पड़ने वाला.
अगर ऐसे समस्याएं हल होती है, तो हमारी सलाह है कि पूरा मुल्क ही मुसलमान बन जाए. सबका साथ, सबका विकास. हो ही जाए जेहाद.
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

إرسال تعليق

0 تعليقات

latest updates

latest updates

Random Posts