लखनऊ : सूबे में बीएड कॉलेजों में 13 हजार सीटें खाली रह गई हैं। अब इन पर कोई दाखिला नहीं होगा। ऐसे में यह सीटें खाली ही रहेंगी। बीएड कॉलेजों द्वारा दिए गए शपथपत्र के सत्यापन के बाद 43 हजार खाली सीटों में से 30 हजार सीटें भर गई हैं।
बीएड कॉलेजों में दाखिले की अंतिम समय सीमा 15 जुलाई को खत्म हो गई थी, लेकिन रविवार व अन्य अवकाश होने के कारण कॉलेज दाखिले की सूची नहीं भेज पाए थे। ऐसे में कॉलेजों ने बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन करने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) से दाखिले की लिस्ट ऑनलाइन भेजने के लिए समय देने की मांग की थी। लविवि ने दाखिले की लिस्ट शपथपत्र के साथ भेजने की मोहलत दी थी और एक-एक दाखिले का सत्यापन करवाया गया। इस बार बीएड की कुल 1.96 लाख सीटें थी।
बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के राज्य समन्वयक प्रो. एनके खरे ने बताया कि बीएड कॉलेजों द्वारा दाखिले की सूची और यह शपथपत्र की उन्होंने 15 जुलाई तक ही दाखिले लिए हैं उनका सत्यापन लगभग खत्म हो गया है। ऐसे में 43 हजार में से 30 हजार सीटें भर गई हैं। फिलहाल 27 अगस्त तक सत्यापन पूरा होने की उम्मीद है इसके बाद इनकी फीस जमा होने की रिपोर्ट दे दी जाएगी। उधर ऐसे कॉलेज जिनमें अंतिम समय में दाखिले हुए थे और अगर लविवि उन्हें यह मौका न देता तो उनकी काफी सीटें खाली रह जाती। प्राइवेट बीएड कॉलेजों को इस फामरूले से काफी राहत मिली है।
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बीएड कॉलेजों में दाखिले की अंतिम समय सीमा 15 जुलाई को खत्म हो गई थी, लेकिन रविवार व अन्य अवकाश होने के कारण कॉलेज दाखिले की सूची नहीं भेज पाए थे। ऐसे में कॉलेजों ने बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन करने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) से दाखिले की लिस्ट ऑनलाइन भेजने के लिए समय देने की मांग की थी। लविवि ने दाखिले की लिस्ट शपथपत्र के साथ भेजने की मोहलत दी थी और एक-एक दाखिले का सत्यापन करवाया गया। इस बार बीएड की कुल 1.96 लाख सीटें थी।
बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के राज्य समन्वयक प्रो. एनके खरे ने बताया कि बीएड कॉलेजों द्वारा दाखिले की सूची और यह शपथपत्र की उन्होंने 15 जुलाई तक ही दाखिले लिए हैं उनका सत्यापन लगभग खत्म हो गया है। ऐसे में 43 हजार में से 30 हजार सीटें भर गई हैं। फिलहाल 27 अगस्त तक सत्यापन पूरा होने की उम्मीद है इसके बाद इनकी फीस जमा होने की रिपोर्ट दे दी जाएगी। उधर ऐसे कॉलेज जिनमें अंतिम समय में दाखिले हुए थे और अगर लविवि उन्हें यह मौका न देता तो उनकी काफी सीटें खाली रह जाती। प्राइवेट बीएड कॉलेजों को इस फामरूले से काफी राहत मिली है।
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