आज भी पैरवीकार को यह जानकारी नही है कि शिक्षा मित्र योजना क्यो लॉच की गयी है?

*आज भी पैरवीकार को यह जानकारी नही है कि शिक्षा मित्र योजना क्यो लॉच की गयी है?*
पैरवीकार अपने को ssa से जोड़ लेते है।लोगो की मान्यता है कि योग्य व्यक्ति उपलब्ध नही थे इसी कारण से शिक्षा मित्रो को रखा गया था ।
ऐसी स्थिति के कारण समाज और कोर्ट का रुख नकारात्मक बनता है। ऐसे लोगो से क्या अपेक्षा की जा सकती है? भीड़ में सही बात भी दब जाती है । शिक्षामित्रों के सभी पैरवीकारो से अनुरोध है कि अच्छे तैयारी करके ही आगे कदम बढ़ाया जाय। तभी सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं..
*शिक्षामित्रों को रखने की व्यवस्था निम्नवत रही है*
१, *पंचायती राज एक्ट के तहत सत्ता विकेन्द्री करण हेतु कई बेसिक शिक्षा समेत कुछ विभाग पंचायत को दिये गये*
२  *१३अप्रैल १९९९ को राज्यपाल द्वारा पंचायत को दिये गये विभाग मे सरकार या सरकार के किसी अधिकारी द्वारा उन विभागो मे नियुक्ति पर रोक लगा दिया गया तथा बेसिक विद्यालयो  मे स्थानीय व्यक्ति को वरीयता देते हुए ,इण्टर पास पैरा अध्यापको की नियुक्ति करने के लिए पंचायत को अधिकृत किया गया*
३- *उपरोक्त के क्रम मे बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा मित्र योजना पैरा टीचर के रूप मे जारी किया*
४- *२१जून १९९९ को बेसिक शिक्षा संशोधन अध्यादेश  जारी किया गया जिसके द्वारा नियुक्ति का अधिकार परिषद से लेकर ग्राम पंचायत को दे दिया गया*
५- *१जुलाई १९९९ को बेसिक शिक्षा विभाग को पैरा टीचर के लिए दिशा निर्देश जारी को करने को कहा गया और उन शर्तो पर पंचायत से नियुक्ति करनो को कहा गया*
६- *११अगस्त १९९९ को शिक्षको की किसी भी प्रकार की रिक्तियो को शिक्षा मित्रो के पद मे जोडने को कहॉ गया*
७- *५ मई २००० को बेसिक शिक्षा अधिनियम मे १३क जोड कर व्यवस्था की गयी की कोई भी व्यवस्था पंचायत मे होते हुए परिषद की व्यवस्था चालू रहेगी। यही से दोनो व्यवस्था पुनः चालू हो गयी*
*इससे सिद्ध है कि हम फुल टीचर थे ।यदि परिषद की व्यवस्था दूबारा न चालू होती तो आज हमे अपने को साबित भी नही करना पड़ता*
*अब यूपी आर टी  ई रूल १८ और केन्द्र के आर टी ई एक्ट के २० के अनुसार दोनो शिक्षको को एक नियम मे आना था*
उक्त जानकारी के साथ....
जय महाकाल
*शिक्षामित्रों के हित में जारी*
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