जागरण संवाददाता, मथुरा: देरी से ही सही एक बार फिर शिक्षक भर्ती घोटाला
मामले में मंद पड़ी जांच प्रक्रिया तेज हो गई है। शुक्रवार को मामले में
विवेचक टीम ने बीएसए कार्यालय में पहुंचकर बंद पड़े कक्ष को खुलवाया। यहां
जरूरी दस्तावेज खंगालने के साथ बीएसए से मामले में पूछताछ की गई।
जिले में 15 सितंबर को आए उपमुख्यमंत्री दिनेश चंद शर्मा के सामने
जागरण ने शिक्षक भर्ती घोटाले में मंद पड़ी जांच के मामले को उठाया था। उस
समय तो डिप्टी सीएम ने इसका कोई जवाब नहीं दिया लेकिन अब पुलिस फिर से इस
मामले में तेजी से सक्रिय हो गई है। जिले में 12 हजार 468 शिक्षक भर्ती
घोटाले की जांच को आज विवेचक इंद्रेश कुमार और जीपी ¨सह बीएसए कार्यालय
पहुंचे। यहां उन्होंने शिक्षक भर्ती से जुड़े दस्तावेज खंगाले। बीएसए
चंद्रशेखर से भी जरूरी जानकारी हासिल की। पुलिस की मौजूदगी में बंद कमरे का
ताला खोलकर बीएसए कार्यालय के कर्मचारियों ने जमा दस्तावेज देखे। बीएसए ने
बताया कि शासन ने जांच की ढिलाई पर सख्त रुख अख्तियार किया है। अब शेष
संदिग्ध अभ्यर्थियों के बीटीसी और टेट प्रमाणपत्रों के अलावा हाईस्कूल,
इंटर, स्नातक आदि कागजातों का सत्यापन होना है।
शिक्षक भर्ती का यह फर्जीवाड़ा सामने आने पर जिला चयन समिति के अध्यक्ष
डायट प्राचार्य डॉ. मुकेश अग्रवाल ने प्रारंभिक जांच की थी। इसमें 33 लोगों
के शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी पाए गए। इसमें बीएसए के पटल सहायक की
संलिप्तता को देखते हुए तत्कालीन बीएसए संजीव कुमार ¨सह को इन लोगों के
खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे। बीएसए ने 33 फर्जी शिक्षक
और पटल सहायक महेश बाबू के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई। मगर , इसके बाद मामला
ढीला पड़ गया था।
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