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गलत जवाब पर भी बांटे गए नंबर
सहायक शिक्षक भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन और नंबर चढ़ाने में गलतियों के रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। जांच कमिटी के सामने सोमवार को कई अभ्यर्थियों ने दस्तावेज के साथ इसकी शिकायत की। अभ्यर्थियों ने 15 ऐसे अभ्यर्थियों की कॉपियों का विवरण भी जांच कमिटी को सौंपा, जिन्होंने कॉपी में गलत जवाब लिखे थे, लेकिन उनको सही बता कर नंबर दे दिए गए। वहीं, 10 अभ्यर्थियों ने अपनी कॉपी की स्कैन्ड कॉपी सौंपी है जिससे पता चलता है कि लिखित परीक्षा में पास होने के बाद भी रिजल्ट में उन्हें फेल घोषित कर दिया गया। मसलन बबलू बिंद को कॉपी में 77 और रिजल्ट में 35, अजय को कॉपी में 81 और रिजल्ट में 52, रिजवाना परवीन को कॉपी में 81 और रिजल्ट में 60, उमा राजपूत को कॉपी में 90 और रिजल्ट में 56, शौर्य सिंह को रिजल्ट में 44 और कॉपी में 104, मोहम्मद अजमल को रिजल्ट में 39 और कॉपी में 92, भूपेश कुमार को रिजल्ट में 16 और कॉपी में 71, किरन देवी को रिजल्ट में 37 और कॉपी में 87, अंकित वर्मा को रिजल्ट में 22 और कॉपी में 122, मनोज कुमार को रिजल्ट में 19 और कॉपी में 98 नंबर मिले हैं। अभ्यर्थियों के मुताबिक रिजल्ट में अगर यह खिलवाड़ नहीं हुआ होता वे इस समय सड़क पर भटकने की जगह सहायक शिक्षक की नौकरी कर रहे होते। अभ्यर्थियों ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से ऊपर के सभी कर्मचारियों-अधिकारियों को सस्पेंड कर न्यायिक जांच और गलत कॉपियां जांचने वाले अध्यापकों को भी सस्पेंड करने की मांग की है।
डेटलाइन बीती, रिपोर्ट नहीं आई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच कमिटी को एक सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा था। इसकी समयसीमा 15 सितंबर को बीत गई, अब तक रिपोर्ट सीएम को सौंपी नहीं गई है। जांच कमिटी के दो सदस्यों ने इलाहाबाद में परीक्षा नियामक प्राधिकारी के कार्यालय जाकर भी दस्तावेज खंगाले थे। इसमें व्यापक पैमाने पर गड़बड़ियां भी मिली थीं। इसके बाद जांच कमिटी के अध्यक्ष प्रमुख सचिव गन्ना संजय आर भूसरेड्डी ने 19 सितंबर तक पीड़ित पक्षों को प्रत्यावेदन का मौका दे दिया। इसलिए अब जांच रिपोर्ट भी इस समय सीमा के बाद ही आने के आसार हैं। सूत्रों का कहना है कि गन्ना विभाग में भी आवंटन को लेकर कई अहम बैठकें चल रहीं हैं, इसलिए दोहरी भूमिका के चलते भी रिपोर्ट में समय लग रहा है।
कोट
अगर कॉपी जांचने में परीक्षक की गलती है तो अभ्यर्थियों से शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। हम इसकी वापसी पर विचार कर रहे हैं।
अनुपमा जायसवाल, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
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