68500 शिक्षक भर्ती: जांच में अंक सही दर्ज न करने की मिलीं खामियां, शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी की जांच को पहुंची टीम ने कार्यालय में 10 घंटे तक की गहन पड़ताल: अंक की जगह बार कोड नंबर दर्ज

इलाहाबाद : परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय उप्र इलाहाबाद पिछले 24 घंटे से जांच केंद्र में तब्दील हो गया है। 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में गड़बड़ी के रिकॉर्ड लगातार खंगाले गए हैं।
इस दौरान वह साक्ष्य भी जांच टीम के सामने आए जिसमें अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थियों के सही अंक एवार्ड ब्लैंक पर नहीं चढ़ाए गए। जांच अफसरों ने उन्हें सील कराया और एक प्रति कब्जे में ली है। आरोपित अधिकारियों परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव व रजिस्ट्रार से घंटों पूछताछ चली, साथ ही इन अफसरों ने अपनी सफाई में जिन कर्मियों का नाम लिया उनसे भी सामना कराया गया। 1बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 68500 शिक्षक भर्ती के लिखित परीक्षा परिणाम में तमाम गड़बड़ियां उजागर हुई हैं। शासन ने इस संबंध में उच्च स्तरीय जांच समिति बनाई है। समिति के सदस्य सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक वेदपति मिश्र व बेसिक शिक्षा निदेशक डा. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह रविवार देर शाम इलाहाबाद पहुंचे। ।परीक्षा नियामक कार्यालय में जांच करने पहुंचे अधिकारी।

अंधेरे में राख के ढेर से खोजे सुबूत 
दोनों ने सबसे पहले कार्यालय परिसर में जलाए गए अभिलेखों की गहनता से पड़ताल की। रात के अंधेरे में दोनों अफसर राख के ढेर व आसपास जरूरी सुबूत खोजते रहे। यह सिलसिला करीब 10 बजे तक चला। सोमवार सुबह दोनों जांच सदस्य फिर कार्यालय पहुंचे और वहां परीक्षा नियामक सचिव रहीं डा. सुत्ता सिंह व हटाए गए रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी व अन्य स्टॉफ से गड़बड़ियों के बावत गहन पूछताछ की। अफसरों ने जानना चाहा कि आखिर इतने पारदर्शी इंतजाम होने के बाद भी चूक कहां-कहां रह गई।

अंक की जगह बार कोड नंबर दर्ज 
जांच टीम ने अनुत्तीर्ण होने वाले 23 अभ्यर्थियों की सूची बेसिक शिक्षा परिषद को भेजने के संबंध में भी सवाल किया। ऐसे ही सोनिका देवी की कॉपी गुम होने व अन्य कई के अंक बदलने की मूल वजह पूछी। उन्हें बताया गया कि सोनिका देवी की कॉपी गुम नहीं हुई है बार कोड में बदली है, जल्द ही मिल जाएगी। फेल 23 अभ्यर्थियों की सूची इसलिए परिषद चली गई, क्योंकि उत्तर पुस्तिकाओं के अंक एवार्ड ब्लैंक पर दर्ज करने में चूक रह गई। इसी तरह से अन्य अभ्यर्थियों के अंक सही से दर्ज नहीं हो सके। जांच सदस्यों को दिखाया गया कि एजेंसी व शिक्षकों ने किस तरह अंक की जगह बार कोड या फिर सूचनाएं लिख दी हैं।