लखनऊः इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक
बेसिक शिक्षकों के 68500 पदों पर भर्ती में हुई कथित गड़बड़ी मामले में
सीबीआई निदेशक को नसीहत दी है कि वह इस प्रकरण में पारित आदेश की गंभीरता
को समझें।
अदालत की यह टिप्पणी सीबीआई के वकील बीरेश्वर नाथ के उस दलील पर आई जिसमें उन्होंने कहा था कि जांच अभी प्रारम्भ नहीं हो पाई है क्योंकि सीबीआई निदेशक यह तय नहीं कर सके हैं कि सीबीआई की कौन सी शाखा इस प्रकरण की जांच करेगी।
मामले की सुनवाई कर रही एकल पीठ के न्यायमूर्ति इरशाद अली ने 10 फरवरी को निदेशक से प्रगति आख्या तलब की है। वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से एकल पीठ द्वारा पारित सीबीआई जांच संबधी आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की विशेष अपील पर खंडपीठ में सुनवाई 5 दिसम्बर तक टल गयी है। एकल पीठ ने एक नवम्बर को अपने आदेश में सहायक शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं के साथ बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की बात पाते हुए मामले की जांच सीबीआई को छह माह में पूरा करने के आदेश दिए थे। उक्त आदेश में अदालत ने निर्देश दिया था कि सीबीआई मामले की जांच में हुई प्रगति की रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से कहा गया कि जांच अभी प्रारम्भ नहीं हो पाई है। अभ्यर्थियों की ओर से दर्जनों याचिकाएं दाखिल करते हुए उत्तर पुस्तिकाओं में छेड़छाड़ की बात कही गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान एकल पीठ ने अभ्यर्थियों के आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए थे व राज्य सरकार से जवाब मांगा था। सरकार के जवाब से संतुष्ट न होने पर अदालत ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी।
अदालत की यह टिप्पणी सीबीआई के वकील बीरेश्वर नाथ के उस दलील पर आई जिसमें उन्होंने कहा था कि जांच अभी प्रारम्भ नहीं हो पाई है क्योंकि सीबीआई निदेशक यह तय नहीं कर सके हैं कि सीबीआई की कौन सी शाखा इस प्रकरण की जांच करेगी।
मामले की सुनवाई कर रही एकल पीठ के न्यायमूर्ति इरशाद अली ने 10 फरवरी को निदेशक से प्रगति आख्या तलब की है। वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से एकल पीठ द्वारा पारित सीबीआई जांच संबधी आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की विशेष अपील पर खंडपीठ में सुनवाई 5 दिसम्बर तक टल गयी है। एकल पीठ ने एक नवम्बर को अपने आदेश में सहायक शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं के साथ बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की बात पाते हुए मामले की जांच सीबीआई को छह माह में पूरा करने के आदेश दिए थे। उक्त आदेश में अदालत ने निर्देश दिया था कि सीबीआई मामले की जांच में हुई प्रगति की रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से कहा गया कि जांच अभी प्रारम्भ नहीं हो पाई है। अभ्यर्थियों की ओर से दर्जनों याचिकाएं दाखिल करते हुए उत्तर पुस्तिकाओं में छेड़छाड़ की बात कही गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान एकल पीठ ने अभ्यर्थियों के आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए थे व राज्य सरकार से जवाब मांगा था। सरकार के जवाब से संतुष्ट न होने पर अदालत ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी।
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